मातृशक्ति के आँचल में उत्तराखण्ड

मातृशक्ति के आँचल में उत्तराखण्ड
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आशीष रावत

महिलाएं समाज में बहुपक्षीय भूमिका निभाती हैं अर्थात् एक मां, पत्नी, बेटी और समाज की सेवा प्रदाता के रूप में। एक महिला वह पात्र है जो अपनी व्यक्तिगत जरूरतों को पूरा करने और आर्थिक रूप से स्वतंत्र होने के लिए चुनौतीपूर्ण भूमिका स्वीकार करती है। कोई भी विकासात्मक प्रक्रिया ग्रामीण महिलाओं की सम्पत्ति व क्षमताओं का विस्तार है जिसमें वे भाग ले सकती हैं, बातचीत कर सकती हैं, प्रभावित कर सकती हैं, नियंत्रण कर सकती हैं और संस्था को जवाबदेह बना सकती हैं जो उनके जीवन को प्रभावित करती हैं।

ग्रामीण महिलाओं में कौशल विकास समय की मांग है ताकि उन्हें आत्मविश्वासी, आत्मनिर्भर बनाया जा सके और उनमें घर और बाहर निर्णय लेने की क्षमता विकसित की जा सके। जब से उत्तराखण्ड की कमान पुष्कर सिंह धामी ने संभाली है, तब से प्रदेश में विशेष तौर पर मातृशक्ति के कल्याण व विकास को सर्वोच्च प्राथमिकता दी जा रही है। परिणामस्वरूप आज प्रदेश में मातृशक्ति के सर्वांगीण विकास की राह सुनिश्चित हुई है और महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में लगातार कार्य हो रहे हैं। वर्तमान परिस्थिति यह है कि उत्तराखण्ड में मातृशक्ति अपने कार्य-कलापों और आत्मविश्वास के बल पर ना सिर्फ आर्थिक-सामाजिक रूप से सशक्त एवं आत्मनिर्भर बन रही हैं, बल्कि हर क्षेत्र में सफलता के प्रतिमान कायम कर रही हैं। इस तरह वे विश्व पटल पर भी देश-प्रदेश का मान बढ़ा रही हैं। आज प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी अपने यशस्वी नेतृत्व में नए भारत की नींव को मजबूत कर रहे हैं। महिला सशक्तिकरण इसी नींव का एक मजबूत स्तम्भ है। मुख्यमंत्री धामी भी प्रधानमंत्री की इसी प्रतिबद्धता को आगे बढ़ाते हुए प्रदेश में मातृशक्ति को मुख्यधारा में स्थापित करने में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ना चाहते हैं।

डेस्टिनेशन उत्तराखण्ड ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट 2023 में उत्तराखण्ड सरकार द्वारा बनाए गए 'हाउस ऑफ हिमालयÓ ब्राण्ड को लॉन्च करते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा था कि स्थानीय उत्पादों को विदेशी बाजारों में स्थापित करने का ये अभिनव प्रयास है। ये हमारी 'वोकल फॉर लोकलÓ और 'लोकल फॉर ग्लोबलÓ की अवधारणा को और मजबूत करता है। महिला सशक्तिकरण शब्द का तात्पर्य महिलाओं की अपने पूरे जीवनकाल में उनसे संबंधित सभी महत्वपूर्ण निर्णय स्वतंत्र रूप से लेने की क्षमता से है। महिला सशक्तिकरण पर जोर देते हुए मोदी ने कहा था कि हमने संकल्प लिया है कि दो करोड़ ग्रामीण महिलाओं को लखपति दीदी बनाएंगे इसके लिए अभियान चलाया गया है। महिला सशक्तिकरण की अवधारणा पर अमल करते हुए उत्तराखण्ड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने मुख्यमंत्री महालक्ष्मी योजना के तहत प्रथम दो बालिकाओं के जन्म पर माता व नवजात कन्या शिशु को मुख्यमंत्री महालक्ष्मी किट देने का प्रावधान रखा। आंगनबाड़ी बहनों का मानदेय 7500 रुपए से बढ़ाकर 9300 किया गया। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के नेतृत्व में नन्दा गौरा योजना में 282 करोड़ रुपए के बजट का प्रावधान रखा गया। महिलाओं के सशक्तिकरण को लक्ष्य बनाकर वात्सल्य योजना के लगभग 6286 महिलाओं को 1 करोड़ 89 लाख रुपए का डिजिटल हस्तांतरण पुष्कर सिंह धामी के नेतृत्व में किया गया। प्रदेश में प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना में 23895 महिलाओं को लगभग 9.35 करोड़ रुपए की धनराशि सीधे उनके बैंक खातों में स्थानांतरित की। राज्य में पहला अग्निश्मन महिला आरक्षी दस्ता बनाया गया जिसमें 99 महिला आरक्षी बनीं। रोजगार के क्षेत्र में 6.5 प्रतिशत महिला श्रम बल की भागीदारी बढ़ी है। इसके अलावा मुख्यमंत्री नारी सशक्तिकरण योजना, मुख्यमंत्री आंचल अमृत योजना, मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना, मुख्यमंत्री अल्पसंख्यक मेधावी योजना और महिला पोषण अभियान जैसी योजनाएं प्रारम्भ की गई हैं।

हाल ही में उत्तराखण्ड के विभिन्न क्षेत्रों में अनेकों सांस्कृतिक कार्यक्रम जैसे ईजा-बैंणी महोत्सव, बेटी-ब्वारयूं कु कौथिग, चेलि ब्वारयूं कौतिक (मातृशक्ति उत्सव), दीदी भुली महोत्सव, नारी शक्ति वंदन महोत्सव व दीदी-बैंणा नारी शक्ति महोत्सव आयोजित किए गए जिसका उद्देश्य राज्य की महिलाओं को स्वावलंबी बनाना व स्वरोजगार के लिए प्रेरित करना है।

(लेखक स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं)

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