ईमानदार हो तो डर कैसा
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल बयानबाज़ी करने में माहिर हैं। जनता को आकर्षित करने के लिए केजरीवाल कुछ भी बयान दे रहते हैं। अभी केजरीवाल ने डिजिटल पत्रकार वार्ता कर स्वयं को ईमानदार बताते हुए कहा है कि ईमानदारी मेरी सबसे बड़ी सम्पत्ति और ताकत है, मुझे झूठे आरोपों में फंसाकर, मुझे बदनाम करके मेरी ईमानदारी पर चोट करना चाहते हैं। केजरीवाल ने ये वक्तव्य पत्रकारों द्वारा ईडी के बुलावे पर न जाने के प्रश्न पर दिया।
सोचने की बात है कि स्वयं को स्वयं ही ईमानदार बताने वाले अरविंद केजरीवाल आखिर क्यों ईडी के प्रश्नों से भाग रहे हैं। ईडी द्वारा भेजे गए तीसरे नोटिस पर भी केजरीवाल जाने से बच रहे हैं। समझ नहीं आ रहा कि वो बच रहे हंै या डर रहे हैं। खुद को ईमानदार बताने वाले केजरीवाल अगर गलत नहीं है तो मजबूती से अपना पक्ष ईडी के सामने रखें। केजरीवाल भलीभांति जानते हैं कि ईडी के प्रश्नों का उत्तर उनके पास नहीं है। केजरीवाल के जितने भी मंत्री व विधायक जेल में बन्द हैं। सभी गिरफ्तार होने से पहले ऐसी ही भाषा बोल रहे थे। इडी के सामने सच्चाई आने पर वो सब जेल में बन्द हैं।
स्वयं को ईमानदार बताने वाले केजरीवाल के कार्यकाल में घोटालों की भी लंबी लिस्ट है। उन्हीं के कार्यकाल में शराब घोटाला, क्लासरूम घोटाला, जलबोर्ड घोटाला, डीटीसी घोटाला, विज्ञापन घोटाला, जासूसी घोटाला, चंदा घोटाला, और अब मोहल्ला क्लिनिक घोटाला सामने आया है। ये तो वो घोटाले हैं जो सामने आ गए हैं। ऐसे भी बहुत से घोटाले निश्चित ही होंगे जो सामने नही आये हैं। मोहल्ला क्लिनिक घोटाले में बड़ा फर्जीवाड़े का खुलासा सामने आया है जिसमें फर्जी मरीज बनाकर उनके नाम से बिल बनाकर बड़ी राशि हड़पी गई है। मजेदार बात ये कि दिल्ली सरकार ने स्वास्थ्य सचिव तथा स्वास्थ्य सेवा महानिदेशक को इस घोटाले का जिम्मेदार ठहराया है और कहा है कि भाजपा सरकार द्वारा लगाए गए अफसर ही गड़बड़ कर रहे हैं। सार्वजनिक मंचों पर आप संयोजक केजरीवाल बड़ी मजबूती से कहते हंै कि आम आदमी पार्टी सबसे कम आयु में राष्ट्रीय पार्टी बनने वाली देश की प्रथम पार्टी है। उनको ये भी ध्यान रखना चाहिए कि सबसे कम समय की आयु की पार्टी में सबसे कम समय की सत्ता में सबसे ज्यादा घोटाला हुए हैं और सबसे ज्यादा नेता भी आपकी पार्टी के ही जेल में गए है या जेल में बन्द हैं।
जिस ईमानदारी के आंदोलन से आप का जन्म हुआ, उस समय सभी ऐसे लोग जो भविष्य में इनके लिए समस्या बनते उनको योजनात्मक रूप से किनारा किया गया। भ्रष्टाचार मुक्ति आंदोलन के जनक अन्ना हजारे, उनके आंदोलन के साथी कुमार विश्वास, योगेंद्र यादव सहित कई लोगों को पार्टी से अलग कर दिया या फिर वो इनकी सच्चाई को जानकर स्वयं अलग हो गए। केजरीवाल की चालाकी एक बात से और साबित होती है,मुख्यमंत्री बनने के बाद उन्होंने कोई विभाग अपने पास नहीं रखा। यानि केजरीवाल के मुख्यमंत्री कार्यकाल में कही भी उनके हस्ताक्षर नहीं होंगे। वो किसी भी विभाग में गलत होने पर जिम्मेदार नहीं होंगे, परन्तु किसी भी विभाग द्वारा सही होने पर उसकी जिम्मेदारी स्वयं ले लेंगे। ईमानदारी का ढिंडोरा पीटने वाले केजरीवाल की सच्चाई सबके सामने धीरे-धीरे आ गई है। जनता को भ्रमित करके उनका वोट पाकर दो राज्यों में सत्ता पाने वाले अरविंद केजरीवाल जल्द ही ईडी की गिरफ्त में होंगे। कभी केंद्र सरकार पर भृष्टाचार पर कार्रवाई न करने का आरोप लगाने वाले केजरीवाल आज स्वयं ही कार्रवाई से डरने लगे हैं। सब जानते हैं कि डरता वही है जो गलत होता है। सच्चाई कभी डरती नहीं। अगर आप गलत नहीं हो तो फिर ईडी को कार्यवाही करने में सहयोगी बनकर उनका जवाब दो। नहीं तो फिर जनता कार्रवाई करने को आतुर बैठी है।
ललित शंकर, गाजियाबाद