कैंसर की जकड़ में महिलाएं
अरविंद जयतिलक
गत वर्ष जेसीओ ग्लोबल ऑन्कोलॉजी में प्रकाशित यह अध्ययन चिंतित करने वाला है कि भारत में कैंसर से महिलाओं की मौत सर्वाधिक हो रही है। अध्ययन के मुताबिक वर्ष 2000 से वर्ष 2019 के बीच पुरुषों में कैंसर मृत्यु दर में सालाना 0.19 फीसदी की गिरावट आई है वहीं महिलाओं में 0.25 फीसदी की वृद्धि हुई है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के सहयोग से किए गए इस अध्ययन से उद्घाटित हुआ है कि भारत में फेफड़े, स्तन, कोलोरेक्टम, लिम्फोमा, मल्टीपल मायलोमा, पित्ताशय, अग्नाशय, गुर्दे और मेसोथेलियोमा के कैंसर के कारण मृत्यु दर में वृद्धि हुई है। अध्ययन में कहा गया है कि 23 प्रमुख कैंसर के कारण 19 साल के दौरान कैंसर से 1.28 करोड़ से अधिक लोगों की मौत हुई है। इनमें सर्वाधिक मौतें पैंक्रियाज कैंसर में हुई है। पुरुषों में यह दर 2.1 फीसदी है जबकि महिलाओं में 3.7 फीसदी है। यह पहली बार नहीं है जब महिलाओं में कैंसर की भयावहता को लेकर चिंता जताई गई है। याद होगा गत वर्ष पहले पेरिस में आयोजित वर्ल्ड कैंसर कांग्रेस में अमेरिकन कैंसर सोसायटी और प्रतिष्ठित मेडिकल जर्नल लैंसेट के शोध से भी खुलासा हुआ था कि 2030 तक कैंसर से होने वाली महिलाओं की मौतों में 60 फीसदी का इजाफा होगा। शोध के एक उदाहरण के मुताबिक वर्ष 2012 में कैंसर के 67 लाख मामले में 35 लाख महिलाओं की मौत हुई। शोध में आशंका जताया गया है कि 2030 तक 99 लाख महिलाएं कैंसर की चपेट में आ सकती हैं। चिंता की बात यह है कि वैश्विक स्तर पर तमाम जागरूकता और स्वास्थ्य सुविधाओं के विस्तार के बावजूद भी पिछले दो दशक में महिलाओं के कैंसर में 60 फीसदी का इजाफा हुआ है। विशेषज्ञों ने शोध में पाया है कि वर्तमान समय में दुनिया की प्रत्येक 7 महिलाओं की मौतों में एक की मौत कैंसर से हो रही है। शोध में यह भी उद्घाटित हुआ है कि 2030 तक सर्वाइकल (बच्चेदानी का मुंह) कैंसर से पीड़ित महिलाओं की संख्या 7 लाख हो सकती है। यानी इसमें 25 फीसदी का इजाफा हो सकता है। उल्लेखनीय है कि मौजूदा समय में सर्वाइकल कैंसर की चपेट में आकर हर साल दुनिया में तकरीबन तीन लाख महिलाओं की मौत हो रही है। उपचार के विकल्पों के अभाव में विकसित देशों के मुकाबले विकासशील देशों में कैंसर पीड़ित महिलाओं की सर्वाधिक मौतें हो रही हैं। सर्वाइकल कैंसर के कारण दम तोड़ने वाली महिलाओं की 85 फीसदी आबादी केवल विकासशील देशों से है। चिंता की बात यह भी कि कैंसर से पीड़ित महिलाओं के सर्वाधिक मामले गरीब देशों में देखे जा रहे हैं। गरीब देशों में कैंसर से होने वाली कुल मौतों में दो तिहाई स्तन कैंसर और 10 में से 9 सर्वाइकल कैंसर से हो रही हैं। लेकिन विडंबना है कि कैंसर पीड़ित मरीजों विशेषकर महिलाओं में इस भयावह बीमारी को लेकर जागरूकता का घोर अभाव है। यही कारण है कि भारत में हर वर्ष कैंसर पीड़ित महिलाओं की संख्या में इजाफा हो रहा है। अच्छी बात है कि दुनिया भर के वैज्ञानिक कैंसर का प्रभावी इलाज खोजने के लिए लगातार शोध कर रहे हैं। आज उसी का नतीजा है कि कीमोथेरेपी के अलावा कई ऐसे उपचार तैयार कर लिए गए हैं जिससे कैंसर को मात देने में सफलता मिल रही है। पिछले चार दशक में कैंसर से उबरने वाले लोगों की संख्या में दो गुना से अधिक इजाफा हुआ है। आज 3.2 करोड़ लोग कैंसर को मात देकर स्वस्थ जीवन जी रहे हैं।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं)