योगी आदित्यनाथ की सरकार में और मजबूत हुई महिला सुरक्षा
सुषमा सिंह। भारतीय समाज में महिलाओं को आर्थिक, सामाजिक, जाति, धर्म, लिंग के आधार पर बहुत अत्याचार और भेदभाव सहना पड़ता है। इन समस्याओं के समाधान हेतु कानून के माध्यम से बहुत प्रयास किए गए हैं। केंद्र और राज्य सरकार समय-समय पर कानूनों की सहायता से पीड़िताओं को न्याय दिलाने का प्रयास भी करती रही हैं। आंकड़ों में सुधार हुए भी हुए हैं पर अभी भी वस्तुस्थिति बहुत आशाजनक नहीं है। समाज की सोच में अभी व्यापक विस्तार नहीं हुआ है। 2020 में हाथरस की दलित महिला के साथ हुए सामूहिक बलात्कार के बाद उच्चतम न्यायालय ने इससे मिलते-जुलते मामले में कड़ाई करते हुए अत्याचार निवारण या अनुसूचित जाति/जनजाति अधिनियम के साथ ही भारतीय दंड सहिता की धारा 376 के अंतर्गत मामला दर्ज करते हुए अपराध सिद्ध किया है। उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने भी इस संबंध में सभी आवश्यक निर्णय तीव्र गति से लिए जिसका परिणाम हुआ कि यह घटना एक जातिगत आन्दोलन लेने से बची।
स्वतंत्रता के पश्चात से ही उत्तर प्रदेश की गिनती व पहचान एक असुरक्षित और पिछड़े प्रदेश के रूप में होती रही है। यह छवि आधारहीन नहीं थी, बल्कि इसके बहुत कारण मौजूद रहे हैं। उत्तर प्रदेश में अपराधियों का बोलबाला था और हजारों अपराधी यहां सक्रिय थे। निरंकुश अपराध के कारण निश्चित ही आम नागरिक, विशेषकर व्यापारियों व महिलाओं में निरंतर भय और असुरक्षा व्याप्त रहती थी। पिछली सरकारों में निरंकुश होते अपराधियों के कारण हाल ही के कुछ वर्षों में अगनित लोग प्रदेश से पलायन कर गए, जबकि बहुत सारे लोग पलायन के बारे में सोच रहे थे। योगी जी की सरकार के सत्ता में आने से प्रदेश में पलायन काफी हद तक रुका। काफी संख्या में पलायन कर चुके लोग उत्तर प्रदेश में वापस भी आने लगे हैं। कैराना क्षेत्र इसका सर्वाधिक उपयुक्त उदहारण है। इस छवि का अन्य अनेक हानियों के अलावा मुख्य नुकसान यह हुआ कि पूर्व में यूपी में कोई विशेष निवेश नहीं हुआ, उद्योग-धंधे वांछित रूप से पनप नहीं पाए और विकास की दौड़ में यह राज्य अपेक्षाकृत पिछड़ा चला गया।
सौभाग्यवश 2017 में मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के तुरंत बाद ही बाबा योगी आदित्यनाथ ने अपराध के प्रति जीरो टोलरेंस नीति अपनाने की अपनी मंशा स्पष्ट कर अपराधियों के विरुद्ध व्यापक अभियान छेड़ दिया। उन्होंने एंटी रोमियो स्क्वॉड और अन्य अपराध रोकने के लिए विशेष कदम उठाकर और अनेक योजनाएं बनाकर उन्हें क्रियान्वित करने का संकल्प लिया और उसको आज पांच वर्ष के कार्यकाल में स्थापित नहीं कर दिया।हाल ही में एक आरटीआई के जवाब में एंटी रोमियो स्क्वॉड्स की ओर से की गईं गिरफ्तारियों से संबंधित सवाल पर उत्तर प्रदेश पुलिस मुख्यालय महानिदेशक से यह जवाब मिला कि मुख्यालय को उपलब्ध सूचना के मुताबिक 22 मार्च 2017 से 30 नवंबर 2020 के बीच कुल 14,454 गिरफ्तारियां की गईं हैं। इस जवाब के मायने निकलते हैं कि बताई गई अवधि के दौरान हर दिन औसतन गिरफ्तारियां की गईं। राज्य के हर जिले में एंटी रोमियो स्क्वॉड तैनात है। यूपी पुलिस की पहल के कारण राज्य में महिलाओं के खिलाफ समग्र तौर पर अपराध की घटनाओं में गिरावट तो आई है। नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो के मुताबिक 2017 में जब एंटी रोमियो स्क्वॉड बने थे तो महिलाओं के खिलाफ अपराध के 153 केस सामने आए थे। लेकिन 2019 में ये आंकड़ा बढ़कर 164 हो गया।
2017 में 139 बच्चियों के साथ बलात्कार किया गया जबकि 2018 में ये संख्या 144 रही। एनसीआरबी की रिपोर्ट के मुताबिक, 2018 में 2,736 मामलों के साथ अपराध के मामले में लखनऊ 19 शहरों में शीर्ष पर है। उत्तर प्रदेश में 2018 में दहेज हत्याएं के 2,444 मामले दर्ज किए गए। जबकि 2017 में ये संख्या 2,524 थी। एक आधिकारिक बयान में कहा गया, 'उत्तर प्रदेश में बलात्कार के मामले 3,946 हैं, न कि 4,322। 2017 के मुकाबले 2018 में बलात्कार के मामलों में वास्तव में 7 प्रतिशत की कमी आई है।' क्योंकि अब पीड़िता आसानी से बिना डरे अपनी शिकायत लिखा सकती है। इसीलिए हमें आंकड़ों में भले ही यह संख्या ज्यादा लगे परन्तु यह योगी सरकार पर लोगो का विश्वास है कि वह अब बिना डरे बेबाकी से अपनी बात कह पा रहे है।
यहाँ यह समझने की आवश्यकता है कि महिलाओं के साथ होने वाले अपराधों में लिंग, जाति, धर्म, वर्ग और विकलांगता के आधार पर ज्यादती होती रहती थी, परन्तु अगर सजग और सतर्क शासन और प्रशासन है तो इस प्रकार के अपराधों को रोका जा सकता है। क़ानूनी और न्यायालय स्तर पर भी महिलाओं के साथ होने वाली यौन हिंसा में भी न्यायालय सामान्यतः अत्याचार निवारण या प्रिवेन्शन ऑफ एट्रोसिटीस अधिनियम का इस्तेमाल नहीं करते हैं। जबकि यह कानून खासतौर पर उन्हीं के लिए बनाया गया है। बावजूद इसके 2006 के महाराष्ट्र के मामले में उच्चतम न्यायालय ने अधिनियम को यह कहकर किनारे कर दिया कि इसका इस्तेमाल सिर्फ इस बुनियाद पर नहीं किया जा सकता कि यह एक दलित जाति की महिला से जुड़ा हुआ है।
ऐसे मामलों में अक्सर न्यायालय साक्ष्यों का पुलिंदा मांगती है। कोई महिला इस बात के साक्ष्य कैसे प्रस्तुत कर सकती है कि उसके दलित या विकलांग होने के कारण ही उसके साथ अत्याचार हुआ है। अनुसूचित जाति एवं जनजाति की महिलाओं को इस आधार पर न्याय मिलने की संभावना रहती है कि दोषी को महिला की जाति का ज्ञान था। कमजोर वर्ग की विकलांग महिलाओं के पास तो यह आधार भी नहीं होता। उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने जांच एजेंसियों और न्यायालय प्रक्रिया के कार्यप्रणाली को सुगम और उपयुक्त बनाने के लिए अपनी अनुशंसा की है। जिसका परिणाम है कि अब ऐसे अपराधों की न्यायकि कार्रवाई फ़ास्ट ट्रैक कोर्ट के माध्यम से की जा रही है।
महिला-बेटियों की सुरक्षा और स्वावलंबन के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा शुरू की गई 'मिशन शक्ति' योजना भी इस दिशा में सरकार के गंभीर रुख को इंगित करती है। मिशन शक्ति योजना के सार्थक परिणाम दिखने लगे हैं। महिलाओं में सुरक्षा और सम्मान के प्रति सामाजिक जागरुकता और चेतना में भी वृद्धि हुई है। सरकार प्रदेश में ऐसा माहौल बनाने की कोशिश में लगी है, जिससे समाज में लोग बेटियों के पैदा होने पर निराश होने की बजाए जश्न मनाएं। बेटियों को प्रोत्साहित करने के लिए सरकार की कन्या सुमंगला योजना मनोबल बढ़ाने वाली है। इसमें बेटियों के पैदा होने के समय से लेकर उनकी डिग्री तक की पढ़ाई के लिए अलग-अलग चरणों में सरकार 15 हजार रुपये की आर्थिक मदद करती है। अब तक 6.13 लाख परिवारों को इस योजना का लाभ मिला है। बेहतर जीवन जीने के लिए महिलाएं आर्थिक रूप से सशक्त भी हो रही हैं। महिलाएं शिक्षित और प्रशिक्षित होकर विकास की मुख्यधारा से जुड़कर काम कर रही हैं।
महिलाओं के सुरक्षा और संवर्धन के वादे पर भाजपा उत्तर प्रदेश में चुनाव जीत कर आई थी। इन लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अथक प्रयास किए हैं। इनमें महिलाओं के प्रति होने वाले अपराधों पर अंकुश समेत अन्य अधिकांश प्रकार के अपराधों पर नियंत्रण, पुलिस व्यवस्था में सुधार करने के निर्देश देने सहित अन्य लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए अनेक कार्य शामिल हैं। पुलिस व्यवस्था को मजबूत करने और पुलिस की छवि में सुधार के 40 से अधिक नए पुलिस थाने, एक दर्जन से ज्यादा नई पुलिस चौकियां और लगभग डेढ़ लाख नई पुलिस भर्तियों की प्रक्रिया पूरी की गई है। योगी सरकार के आने से पहले उत्तर प्रदेश में महिला सुरक्षा एक गंभीर समस्या थी। योगी सरकार ने महिला अपराध रोकने के लिए रात्रि सुरक्षा कवच योजना, महिला सहायता डेस्क, गुलाबी बूथ समेत गुलाबी बस सेवा आरंभ की। इन सभी प्रयासों का सकारात्मक परिणाम राज्य में दिखाई भी देने लगा है।
सरकार के तमाम प्रयासों के कारण ही अब महिलाएं अपनी समस्याएं खुलकर हर स्तर पर साझा करने लगी हैं। यौन शोषण, लैंगिक असमानता, घरेलू हिंसा, कन्या भ्रूण हत्या, स्कूल के आसपास शराब की दुकानें, दहेज उत्पीड़न जैसे तमाम मुद्दों पर अपनी बात कहने लगी हैं। सरकार ने महिलाओं को आर्थिक रूप से स्वावलंबी बनाने के लिए पंचायत स्तर पर बैंकिंग सहित अन्य योजनाओं में सहयोग के लिए बीसी सखी योजना शुरू की है। इसके पहले चरण में 58 हजार महिला अभ्यर्थियों का चयन किया गया है।नयदि हम समस्त विश्व को गौर से देखें तो पाएंगे कि प्रत्येक जगह एक व्यवस्था मौजूद है। व्यवस्था समाज के हित में है और अराजकता समाज के विरुद्ध। समाज में भी लगभग हर जगह कोई न कोई व्यवस्था है और व्यवस्थित समाज ही सुखी, संपन्न और प्रगतिशील समाज होता है। कानून व्यवस्था सुधारने के लिए उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने निश्चित ही अभूतपूर्व दूरदृष्टि, इच्छाशक्ति, दृढ़निश्चय और प्रतिबद्धता का परिचय दिया है।
(लेखिका सुषमा सिंह उत्तर प्रदेश राज्य महिला आयोग की उपाध्यक्ष हैं।)