खेल मंत्रालय ने लिया बड़ा फैसला: कई एथलीट TOPS स्कीम से हुए बाहर, सूची में हुई बड़ी कटौती
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कई एथलीट TOPS स्कीम से हुए बाहर
Target Olympic Podium Scheme: भारतीय खेल मंत्रालय ने टारगेट ओलंपिक पोडियम स्कीम (TOPS) के तहत एथलीटों की संख्या में बड़ा बदलाव किया है। पेरिस ओलंपिक में भारत के अपेक्षा से कमजोर प्रदर्शन के बाद मंत्रालय ने इस योजना के अंतर्गत शामिल खिलाड़ियों की संख्या 179 से घटाकर 94 कर दी है। हालांकि, पेरिस पैरा-ओलंपिक 2024 में भारतीय पैरा-एथलीटों की शानदार उपलब्धियों को देखते हुए उन्हें अधिक प्राथमिकता दी गई है।
अब टारगेट ओलंपिक पोडियम स्कीम (TOPS) की सूची में 42 सक्षम एथलीट और 52 पैरा-एथलीट शामिल हैं। पहले इस सूची में 120 सक्षम एथलीट थे, लेकिन भारत के पैरा-ओलंपिक में 29 पदकों की शानदार सफलता के बाद, पैरा-एथलीटों को अधिक अवसर दिए गए हैं।
इन खिलाड़ियों को किया गया बाहर?
टारगेट ओलंपिक पोडियम स्कीम (TOPS) से कई बड़े नाम बाहर हो गए हैं। पहले जहां 30 एथलीट्स एथलेटिक्स कैटेगरी में शामिल थे। अब केवल तीन नीरज चोपड़ा (जेवलिन थ्रो), अविनाश साबले (स्टीपलचेज़) और एम श्रीशंकर (लॉन्ग जंप) ही अपनी जगह बनाए रख सके हैं।
तजिंदरपाल सिंह तूर को सूची से हटा दिया गया है। मुक्केबाजी में लवलीना बोरगोहेन और निखत जरीन को स्कीम में शामिल किया गया है, लेकिन अमित पंघाल और शिव थापा को बाहर कर दिया गया है।
वहीं बैडमिंटन में पीवी सिंधु, एचएस प्रणय, लक्ष्य सेन, सात्विकसाईराज रंकीरेड्डी और चिराग शेट्टी को टारगेट ओलंपिक पोडियम स्कीम (TOPS) में बनाए रखा गया है, जबकि किदांबी श्रीकांत और अश्विनी पोनप्पा को सूची से हटा दिया गया है। टेबल टेनिस में मनिका बत्रा और श्रीजा अकुला को जगह मिली है, लेकिन अनुभवी खिलाड़ी शरत कमल और जी. साथियान को इस सूची से बाहर कर दिया गया है।
गौरतलब है कि भारत अब लॉस एंजिल्स 2028 ओलंपिक की तैयारियों पर ध्यान केंद्रित कर रहा है। इसी वजह से खिलाड़ियों को उनके क्वालीफिकेशन चक्र में किए गए प्रदर्शन के आधार पर स्कीम में शामिल करने या बाहर करने की प्रक्रिया जारी रहेगी।
इन खेलों को किया गया नज़रअंदाज़
कुछ खेलों को नज़रअंदाज़ किया गया है, जिसमें टेनिस, गोल्फ और तैराकी पूरी तरह से सूची से बाहर कर दिए गए हैं। इस फैसले के कारण सुमित नागल और रोहन बोपन्ना की प्रतिष्ठित जोड़ी को भी बाहर कर दिया गया है। मंत्रालय ने यह निर्णय अगले ओलंपिक को ध्यान में रखते हुए लिया है, लेकिन इससे कई अनुभवी खिलाड़ियों के करियर पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। अब देखने वाली बात यह होगी कि इस बदलाव का भारतीय खेल जगत पर क्या प्रभाव पड़ता है।