ओलंपिक: आठ बार चैम्पियन रही भारतीय हॉकी टीम की 41 साल बाद टोक्यो में पदक जीतने की उम्मीद

ओलंपिक: आठ बार चैम्पियन रही भारतीय हॉकी टीम की 41 साल बाद टोक्यो में पदक जीतने की उम्मीद
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ग्वालियर। हॉकी ऐसी स्पर्धा है जिसमें भारत का गौरवशाली इतिहास रहा है। भारतीय हॉकी की जादूगरी का दुनिया ने लोहा माना है। ओलंपिक हॉकी में आठ स्वर्ण पदक जीतने वाली भारतीय टीम की इस खेल में बादशाहत को खत्म हुए इतना समय हो चुका है कि नई पीढ़ी इससे पूरी तरह अंजान है। यह तस्वीर का एक पहलू है, हकीकत यह भी है कि हमें ओलंपिक के पोडियम पर पहुंचे 41 साल हो चुके हैं। पिछले दो-तीन वर्षों में कई बड़ी टीमों को प्रदर्शन से चौंकाने वाली भारतीय पुरुष हॉकी टीम का मनोबल ऊंचा है और संभावनाएं मजबूत मानी जा रही हैं। वर्तमान भारतीय हॉकी टीम के प्रशिक्षक ग्राहम रीड द्वारा तैयार की गई इस टीम से इस बार टोक्यो ओलंपिक में पोडियम पर चढऩे की उम्मीद की जा रही है। टीम आजकल बेंगलुरू स्थित साई केंद्र में अपनी तैयारियों को अंतिम रूप दे रही है।

भारत को इस बार मौजूदा ओलंपिक चैंपियन अर्जेंटीना के साथ ग्रुप ए में रखा गया है। ग्रुप की अन्य टीमें ऑस्ट्रेलियॉ, न्यूजीलैंड, स्पेन और मेजबान जापान हैं। भारत को 24 जुलाई को न्यूजीलैंड से खेलकर अपने अभियान की शुरुआत करनी है। प्रशिक्षक ग्राहम रीड के मार्गनिर्देशन में भारतीय टीम पिछले साल एफआईएच प्रो लीग में दुनिया में नंबर एक बेल्जियम, नंबर दो नीदरलैंड और ऑस्ट्रेलिया जैसी दिग्गज टीमों को हराने में सफल रही है। हालांकि कोरोना के चलते टीम की लय टूटी लेकिन बंगलूरू शिविर में टीम के खिलाड़ी एक साथ बेहतर संवाद और तालमेल करने में सफल रहे हैं।

दुनिया की सबसे फिट टीमों में से एक: शिवेंद्र सिंह

भारतीय हॉकी टीम के पूर्व सेंटर फॉरवर्ड खिलाड़ी और मौजूदा सहायक कोच शिवेंद्र सिंह का मानना है कि यह टीम दुनिया की सबसे फिट टीमों में से एक है और टोक्यो ओलंपिक में पदक की प्रबल दावेदार होगी। शिवेंद्र ने कहा, हमारा ध्यान रफ्तार, पैनापन, कौशल और फिटनेस पर है ताकि टोक्यो में पहुंचने पर टीम सर्वश्रेष्ठ फॉर्म में रहे। हम खिलाडिय़ों की मैदान पर पोजिशन के अनुसार ही अभ्यास पर फोकस कर रहे हैं। स्ट्राइकर डी के भीतर के प्रदर्शन पर ध्यान दे रहे हैं। मुझे इन खिलाडिय़ों की काबिलियत पर भरोसा है और मुझे यकीन है कि यह दुनिया की सबसे फिट टीमों में से एक है।

टीम में अनुभव की कमी नहीं : जफर इकबाल -

भारतीय हॉकी टीम के पूर्व कप्तान और प्रशिक्षका की जिम्मेदारी संभाल चुके जफर इकबाल ने कहा कि इस टीम से पदक जीतने का पूरा भरोसा है पर साथ ही यह भी कहा कि ओलंपिक का माहौल अन्य अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंटों के मुकाबले थोड़ा भिन्न होता है। इस टीम ने पेनल्टी कॉर्नरों को गोल में बदलने की कला में सुधार किया है। काफी खिलाड़ी आठ-दस साल से साथ खेल रहे हैं, इसलिए टीम में अनुभव की भी कोई कमी नहीं है। अब देखने वाली बात यह होगी कि टीम उम्मीदों पर कितना खरा उतरती है।

ये रहेगा ओलंपिक में प्रारूप -

बारह देशों की टीमों को दो समूहों में बांटा जाएगा जो राउंड रोबिन आधार पर भिड़ेंगी। दोनों समूह की शीर्ष चार टीमें क्वार्टर फाइनल में पहुंचेंगी। उसके बाद नॉकआउट दौर में होगा। सेमीफाइनल में हारने वालीं टीमें कांस्य पदक के लिए आमने-सामने होंगी।

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