बचपन में हुई अपनी पिटाई के बारे में इन दोनों खिलाडियों ने बताया
दिल्ली। भारतीय क्रिकेट टीम के कप्तान विराट कोहली और भारतीय फुटबॉल टीम के कप्तान सुनील छेत्री ने इंस्टाग्राम लाइव सेशन में अपने बचपन से जुड़े कई मजेदार किस्से शेयर किए। छेत्री इंस्टाग्राम पर 'इलेवनऑनटेन' शो में होस्ट की भूमिका निभा रहे थे। इस दौरान छेत्री और कोहली ने 90 के दशक की कई बातें कीं। इसके साथ ही दोनों खिलाड़ियों ने बचपन में हुई अपनी पिटाई के बारे में बताया। दोनों खिलाड़ियों ने बताया कि बचपन में किस तरह शरारत करने पर उनकी जमकर पिटाई हुआ करती थी।
सुनील छेत्री ने अपनी पिटाई के किस्से से शुरुआत करते हुए बताया कि एक बार किसी बात पर उनकी मम्मी ने उनकी बहुत सुताई की थी। उन्होंने बचपन के उस किस्से को याद करते हुए कहा कि उस दिन तो पाइप, हेंगर और बेल्ट तीनों बाहर आ गए थे। इसके बाद मैं गुस्सा हो गया कि मुझसे मम्मी कोई प्यार नहीं करती। मैंने गुस्से में घर छोड़ने का फैसला कर लिया। एक बैग में कुछ कपड़े पैक किए और निकल गया। बाहर जाकर देखा की जेब में सिर्फ 20 रुपये हैं। तो लगा कि यह तो खत्म हो जाएंगे। फिर मैं चुपचाप घर आ गया और दिखाने लगा कि जैसे मैं गया ही नहीं था।
सुनील छेत्री ने आगे बताया कि मैं चुपचाप घर तो आ गया था, लेकिन मम्मी ने पकड़ लिया। मम्मी ने बोला तू तो घर छोड़कर गया था ना फिर वापस क्यों आ गया। चल जा निकल। इसके बाद मैंने मम्मी से माफी मांगी की प्लीज माफ कर दो।
इसके बाद विराट कोहली ने अपनी शरारतों के बारे में बताते हुए कहा कि उन्हें बचपन में शादी में जो लोग नोट उड़ाते हैं उसे देखकर बहुत अच्छा लगता। एक बार घर में मेहमान आए हुए थे। तो मम्मी ने 50 रुपये दिए कि सामान ले आओ। घर के नीचे जाकर मुझे पता नहीं क्या हुआ मैंने उस 50 के नोट के छोटे-छोटे टुकड़े किए और हवा में उड़ा दिए। इसके बाद मैं उनके नीचे नाचा। फिर इसके बाद बहुत डर लगा कि अब घर जाकर क्या कहूंगा। इस पर भी पिटाई हुई।
विराट ने एक और किस्सा बताते हुए कहा कि मुझे तू बोलने की बहुत आदत थी। एक दिन दीदी को पता नहीं क्या हुआ, उन्होंने बहुत पिटाई की। उसके बाद मेरे मुंह से त निकलना ही बंद हो गया। बस आ ही निकलता था। विराट और छेत्री अपनी पिटाई की यह किस्से बताते हुए खूब हंसे।
विराट कोहली ने अपने 90 के दशक को याद करते हुए कहा, "आप जहां से आते हैं, उसे आपको कभी नहीं भूलना चाहिए।" उन्होंने कहा, "मेरा बचपन पश्चिमी दिल्ली के अच्छे समाज में रहते हुए बीता है। इसलिए मैंने जो कुछ सीखा है, वह यह है कि जब भी मैं अपने समाज के किसी दोस्त से मिलता हूं, तो मैं उनसे उसी तरह से बात करता हूं, जब मैं वहां रहकर उस समय किया करता था। मेरे लिए वह सबसे बड़ी चीज है, जिससे आप कभी दूर नहीं होते।"