Vinod Kambli Birthday: पहली गेंद पर छक्का, लगातार शतक और अनोखा अंदाज...क्रिकेट के चमकते सितारे की कहानी

क्रिकेट के चमकते सितारे की कहानी
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क्रिकेट के चमकते सितारे की कहानी

Vinod Kambli Birthday: भारतीय क्रिकेट में कई ऐसे खिलाड़ी हुए, जिन्होंने अपने करियर की शुरुआत में शानदार प्रदर्शन से सबको चौंका दिया, लेकिन कुछ कारणों से उनका सफर जल्दी थम गया। इन प्रतिभाशाली खिलाड़ियों ने अपने कौशल और खेल से सभी को प्रभावित किया, मगर अपनी आदतों या परिस्थितियों के चलते उस क्षमता का पूरा इस्तेमाल नहीं कर पाए। विनोद कांबली इसी सूची का सबसे बड़ा नाम हैं।

भारतीय टीम के इस पूर्व बल्लेबाज को हमेशा एक ऐसे खिलाड़ी के रूप में याद किया जाएगा, जो अपनी प्रतिभा को पूरी तरह भुना नहीं सके। हालांकि, जब तक वे मैदान पर रहे, उन्होंने अपने खेल और मनोरंजन से क्रिकेट प्रेमियों का दिल जीता। आज उनके 53वें जन्मदिन पर, उनके छोटे लेकिन यादगार करियर को याद करना लाजमी है।

सचिन के साथी से भारतीय क्रिकेट का सितारा बनने तक

18 जनवरी 1972 को मुंबई में जन्मे विनोद कांबली ने सचिन तेंदुलकर के साथ रमाकांत आचरेकर से क्रिकेट के गुण सीखे। दोनों ने स्कूल क्रिकेट के दिनों में ही हैरिस शील्ड टूर्नामेंट में 664 रनों की नाबाद साझेदारी कर तहलका मचाया। हालांकि सचिन ने जल्द ही भारतीय टीम में जगह बना ली, लेकिन कांबली को अपनी बारी का इंतजार करना पड़ा।

पहले छक्के से लेकर दोहरे शतक तक का सफर

कांबली ने 1989 में रणजी ट्रॉफी डेब्यू पर अपनी पहली ही गेंद पर छक्का मारकर धमाकेदार शुरुआत की। डोमेस्टिक क्रिकेट में लगातार बेहतरीन प्रदर्शन के दम पर उन्होंने अक्टूबर 1991 में वनडे डेब्यू किया। जनवरी 1993 में अपने 21वें जन्मदिन पर पहला वनडे शतक ठोकने वाले कांबली ने टेस्ट डेब्यू के तुरंत बाद दो लगातार दोहरे शतक जड़े और क्रिकेट प्रेमियों को अपना दीवाना बना लिया।

शानदार बल्लेबाजी का अनोखा अंदाज

कांबली की बैटिंग स्टाइल बेहद खास थी। स्पिनर्स के खिलाफ उनका कदमों का इस्तेमाल, गली में कट शॉट्स और बल्ले के हत्थे पर 9-9 ग्रिप लगाकर खेलने का अंदाज उन्हें बाकी बल्लेबाजों से अलग करता था। शेन वॉर्न को एक ओवर में 22 रन ठोकना उनकी आक्रामकता का उदाहरण था।

प्रतिभा के सामने जीती अनुशासनहीनता

कांबली का करियर उनकी अनुशासनहीनता और फिटनेस समस्याओं के कारण जल्द खत्म हो गया। जहां राहुल द्रविड़, सौरव गांगुली और वीवीएस लक्ष्मण जैसे खिलाड़ी अपनी जगह पक्की कर रहे थे, वहीं कांबली अपने मौके गंवाते रहे। 24 साल की उम्र में उनका टेस्ट करियर खत्म हो गया, वहीं 2000 में वनडे से भी विदाई हो गई।

करियर के आंकड़े

17 टेस्ट में 54.2 की औसत से 1084 रन और 104 वनडे में 32 की औसत से 2477 रन बनाने वाले कांबली के आंकड़े उनके अपार टैलेंट की झलक देते हैं।

विनोद कांबली भले ही भारतीय क्रिकेट में एक अधूरी कहानी बनकर रह गए हों, लेकिन उनका आक्रामक अंदाज और शानदार प्रदर्शन हमेशा याद किया जाएगा।

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