जापान के क्योटो में नववर्ष तीरंदाजी टूर्नामेंट में युवतियों ने साधा निशाना

जापान के क्योटो में नववर्ष तीरंदाजी टूर्नामेंट में युवतियों ने साधा निशाना
तीरंदाज समूहों में लक्ष्य को तीर से भेदते हैं। प्रत्येक तीरंदाज को दो तीर दिए जाते हैं और लक्ष्य पर निशाना साधने के लिए उसके पास दो मिनट का समय होता है।

क्योटो । जापान के पश्चिमी प्रांत यमाशिरों की राजधानी क्योटो में रविवार को प्रसिद्ध बौद्ध मंदिर संजूसांगेन्डो में वार्षिक नववर्ष तीरंदाजी टूर्नामेंट (जापानी में क्यूडो) का आयोजन किया गया। इसमें लगभग 1700 युवाओं ने हिस्सा लिया। इनमें युवतियों की संख्या अधिक रही। जापानी समाचार पत्र जापान टुडे की रिपोर्ट के अनुसार, प्रतिभागियों को 60 मीटर दूर एक मीटर चौड़े लक्ष्य पर निशाना लगाना होता है। तीरंदाज समूहों में लक्ष्य को तीर से भेदते हैं। प्रत्येक तीरंदाज को दो तीर दिए जाते हैं और लक्ष्य पर निशाना साधने के लिए उसके पास दो मिनट का समय होता है।

जो लोग दोनों तीरों से लक्ष्य पर प्रहार करते हैं वे दूसरे दौर में आगे बढ़ते हैं। यह पारंपरिक आयोजन 1600 के दशक की शुरुआत का है।क्योटो को क्वामू शासनकाल में 'हे यान जो' अर्थात 'शांति का नगर' की संज्ञा दी गई थी। 11वीं शताब्दी तक क्योटो जापान की राजधानी था। अब यह पश्चिमी प्रदेश की राजधानी है। यह शहर विशाल मंदिरों, भव्य प्रसादों और कलात्मक भवनों के लिए जापान में प्रसिद्ध है। यहां रेशम के कपड़े, चीनी मिट्टी के बर्तन, कसीदाकारी, रंगनिर्माण, पंखा, खिलौना और अन्य प्रकार के धातु के बर्तनों का उद्योग अधिक होता है। यह जापान में बौद्ध धर्म का सबसे बड़ा केंद्र है। यहां एक विश्वविद्यालय और एक कला केंद्र है।

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