उपायुक्त की चेतावनी के बाद भी एक लाख की ठगी के शिकार हुए हाई स्कूल के शिक्षक
रामगढ़ । रामगढ़ उपायुक्त चंदन कुमार के द्वारा कई बार आगाह करने के बावजूद हाई स्कूल के एक शिक्षक ठगों के जाल में फंस ही गए। उनसे एक लाख रुपए की ठगी कर ली गई। रजरप्पा थाने में दर्ज प्राथमिकी के मुताबिक साइबर गांधी स्मारक प्लस टू उच्च विद्यालय रामगढ़ में सहायक शिक्षक के रूप में कार्यरत प्रेम दीप कुमार महतो ठगी का शिकार हुए हैं। अब रजरप्पा पुलिस उनसे एक लाख रुपए ठगने वाले को खोज रही है।
प्रेम दीप कुमार महतो ने बताया कि उपायुक्त रामगढ़ के फेक अकाउंट से उन्हें सुमित कुमार, सीआरपीएफ ऑफिसर नाम के व्यक्ति को खुद का मित्र बता कर एवं सुमित कुमार का ट्रांसफर होने के उपरांत उनके घर के सामान बेचे जाने से संबंधित मैसेज प्राप्त हुआ। इसके उपरांत उन्हें 7978244036 से फोन आया कि मैं सुमित कुमार सीआरपीएफ ऑफिसर रांची से बोल रहा हूं। मेरा तबादला रांची से जम्मू हो गया है। मैं अपने घर का सारा सामान बेच रहा हूं। रामगढ़ के उपायुक्त मेरे मित्र हैं और उन्होंने कहा है कि मेरा सारा सामान आप एक लाख 25 हज़ार रुपए में खरीदेंगे। उपायुक्त महोदय का मित्र समझकर मैंने बारी-बारी से 50 हज़ार रुपए गूगल पे नंबर 9957194583 एवं 50 हज़ार रुपए फोन पे नंबर 9861183852 पर भुगतान कर दिया। मेरा सामान कब पहुंचेगा यह पूछने पर मुझे 45500 रुपए का भुगतान करने को कहा गया, जिसके उपरांत मुझे एहसास हो गया की मैं किसी फ्रॉड के चक्कर में फंस गया हूं। अपना पैसा वापस मांगने पर सुमित कुमार के द्वारा बताया गया कि मुझे कोई सामान नहीं मिलेगा और सुमित कुमार अपनी ड्यूटी करने जम्मू जा रहे हैं और उनका फोन आगे से ऑफ रहेगा। इसके साथ ही उनके द्वारा बताया गया कि मेरा पैसा छह महीने बाद मिलेगा।
ठगी का मामला सामने आने पर डीसी चंदन कुमार ने एक बार फिर संदेश जारी किया है। उन्होंने अपील की है कि वे इस तरह के किसी भी साइबर ठग एवं साइबर ठग द्वारा दिए गए किसी भी प्रलोभन से सावधान रहें। जिला प्रशासन द्वारा स्पष्ट किया जाता है कि उपायुक्त चंदन कुमार का किसी भी सोशल मीडिया हैंडल पर कोई भी अकाउंट संचालित नहीं है। इसके अतिरिक्त विभिन्न सरकारी कार्यों व आवश्यक सूचनाएं आम जनों तक पहुंचाने के लिए जिला प्रशासन, रामगढ़ द्वारा डीसी रामगढ़ के नाम से आधिकारिक फेसबुक, एक्स '(ट्विटर) एवं इंस्टाग्राम पर अकाउंट संचालित किया जाता है। जिला प्रशासन द्वारा संचालित सोशल मीडिया हैंडल से किसी भी व्यक्ति को किसी भी तरह का कोई मैसेज नहीं किया जाता है।