Padma Shri Award: भेरू सिंह चौहान और सैली होल्कर समेत मध्यप्रदेश के 5 लोगों को मिला भारत का सर्वोच्च सम्मान

भेरू सिंह चौहान और सैली होल्कर समेत मध्यप्रदेश के 5 लोगों को मिला भारत का सर्वोच्च सम्मान
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Padma Shri Award

Padma Shri Award : गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर भारत सरकार द्वारा सर्वोच्च नागरिक सम्मान पद्म अवार्ड की घोषणा कर दी गई है। इस सूची में मध्यप्रदेश के लोगों का नाम भी शामिल है। जानकारी के अनुसार मध्यप्रदेश के पांच नागरिकों पद्म श्री से सम्मानित किया है। इन लोगों भेरू सिंह चौहान और सैली होल्कर का नाम भी शामिल है।

गृह मंत्रालय द्वारा बताया गया कि, कला के क्षेत्र में भेरू सिंह चौहान, मेडिसिन के क्षेत्र में बुधेन्द्र कुमार जैन, कला के ही क्षेत्र में हरचंदन सिंह भट्टी, साहित्य एवं शिक्षा के क्षेत्र में जगदीश जोशीला और व्यापार एवं उद्योग के क्षेत्र में सैली होल्कर को सम्मानित किया गया है।

भेरू सिंह चौहान इंदौर के महू में छोटे से गाँव बजरंगपुरा हैं। वे निर्गुण कबीर धारा के गायक हैं। उनके पिता भी गायन किया करते थे। लोक गायन में भजन शामिल होते हैं। भेरू सिंह चौहान ने अपने पिता से लोक गायन की यह शैली सीखी थी।

शैली होल्कर ने महेश्वर में हैंडलूम स्कूल खोला है। 82 वर्षीय शैली होल्कर ने महेश्वरी बुनाई को पुनर्जीवित करने के साथ - साथ महिलाओं को रोजगार के अवसर भी दिए हैं।

जगदीश जोशीला निमाड़ी के उपन्यासकार हैं। उन्होंने 60 ज्यादा किताबें लिखीं हैं। 76 वर्षीय जगदीश पांच दशक से निवाड़ी और हिंदी साहित्य को समृद्ध कर रहे हैं। तांत्या मामा, अहिल्याबाई होल्कर, संत सिंगाजी समेत आद्यगुरु शंकराचार्य पर जगदीश जोशीला ने उपन्यास लिखा है।

बुझी आंखों को रोशन करने का बीड़ा उठाने वाले नामचीन चिकित्सक के बलिदानों के चलते चित्रकूट का भी सम्मान बढ़ा है। सद्गुरु नेत्र चिकित्सालय जानकीकुंड के निदेशक डॉ. बुधेंद्र कुमार जैन (बीके जैन) को पद्मश्री अवॉर्ड से सम्मानित किया गया है। डॉ. बुधेंद्र कुमार जैन लंबे समय से नेत्र रोगियों की सेवा कर रहे हैं।

हरचंदन सिंह भाटी का जन्म 20 अप्रैल 1959 को हुआ था। उन्होंने चित्रकला में स्नातक की शिक्षा ललित कला महाविद्यालय-इन्दौर से प्राप्त की। देश और दुनिया में अपनी प्रकृति के अनूठे बहुकला केन्द्र भारत भवन की स्थापना से जुड़े और तबसे यहीं कार्यरत हैं। भट्टी को सुप्रतिष्ठित चित्रकार स्वर्गीय जगदीश स्वामीनाथन के मार्गदर्शन में मध्यप्रदेश के अलग-अलग जनजातीय बहुल क्षेत्रों में जनजातीय जीवन को नजदीक से देखने-समझने और प्रलेखन करने का अवसर प्राप्त हुआ, जो इनके सोचने-समझने और अभिव्यक्ति शैली का अहम हिस्सा ही बन गया। भोपाल में स्थापित 'मध्यप्रदेश जनजातीय संग्रहालय' के कला संयोजनकर्ता हरचन्दन सिंह भट्टी ने जनजातीय जीवन और उसके दैनंदिन व्यवहार की वस्तुओं का एक संग्रहालय के सन्दर्भ में किस तरह उपयोग हो सकता है, इसके नये आयाम रचे हैं। इस रचनाशीलता से संग्रहालय विज्ञानी आश्चर्यचकित हैं और संग्रहालयों की प्रस्तुति में सजीवता लाने के क्षेत्र में पुनर्विचार करने को मजबूर भी हुए हैं।

पिछले तीन दशकों से मध्यप्रदेश शासन के संस्कृति विभाग द्वारा आयोजित राष्ट्रीय और राज्य स्तरीय प्रतिष्ठित समारोहों, राष्ट्रीय एवं अन्तर्राष्ट्रीय प्रदर्शनियों और शिविरों की भव्य परिकल्पना, आकल्पन और संयोजन का सर्वथा नया आयाम ही विकसित करने में भट्टी का अविस्मरणीय योगदान है। वे ऐसे अकेले और बिरले चित्रकार हैं, जो सांस्कृतिक और कला प्रतीकों के पुनर्व्यहार की संस्कृति को विकसित करने तथा परम्परा और आधुनिकता के बीच कला सेतु का निर्माण करने में संलग्न है। अनेकों मान-सम्मान से सम्मानित जिनमें मध्यप्रदेश शासन का राष्ट्रीय कालिदास सम्मान (रूपंकर कलाएँ) वर्ष 2016 भी शामिल हैं।

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