सोशल मीडिया पर चल रही है ज्योतिरादित्य सिंधिया को सीएम बनाने की मुहिम
कांग्रेस ने भले ही आने वाले विधानसभा चुनाव में किसी दिग्गज नेता को मुख्यमंत्री के तौर पर प्रोजेक्ट न किया हो, लेकिन समर्थक अपने नेताओं को सोशल मीडिया के सहारे मुख्यमंत्री के तौर पर प्रोजेक्ट पर समर्थन जुटा रहे हैं। ऐसी ही कुछ मुहिम प्रदेश चुनाव अभियान समिति के संयोजक और पूर्व केन्द्रीय मंत्री ज्यातिरादित्य सिंधिया के समर्थक सोशल मीडिया साइट फेसबुक पर चला रहे हैं। समर्थकों ने सिंधिया को अगले मुख्यमंत्री के तौर पर प्रोजेक्ट करते हुए फेसबुक पर आठ पेज बनाए हैं। कांग्रेस में चुनाव से पहले किसी नेता को मुख्यमंत्री प्रोजेक्ट करने की परंपरा नहीं है। जीतने पर विधायक दल ही नेता का चुनाव करता है।
ऐसा पहली बार है जब किसी नेता विशेष के समर्थकों ने इस तरह की मुहिम छेड़ी है। इन पेजों की सदस्यों की संख्या भी अच्छी खासी है। इनमें ज्योतिरादित्य सिंधिया नेक्स्ट सीएम ऑफ एमपी पेज की सदस्य संख्या 5500, मिशन 2018 नेक्स्ट सीएम ज्योतिरादित्य सिंधिया पेज की 3400 और ज्योतिरादित्य सिंधिया फॉर सीएम पेज की सदस्य संख्या 513 है। इनके अलावा अन्य पेज ज्योतिरादित्य माधवराव सिंधिया नेक्स्ट सीएम ऑफ एमपी, ज्योतिरादित्य सिंधिया नेक्स्ट सीएम, नेक्स्ट सीएम ज्योतिरादित्य सिंधिया जी कांग्रेस, श्रीमंत ज्योतिरादित्य सिंधिया नेक्स्ट सीएम और मिशन 2018 ज्योतिरादित्य सिंधिया सीएम हैं। ये सारे पेज हाल ही में बनाए गए हैं।
प्रदेश कांग्रेस कई गुटों में बंटी है। प्रदेश के दिग्गज पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह, प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ, नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह, पूर्व केन्द्रीय मंत्री व गुना सांसद ज्यातिरादित्य सिंधिया के अपने-अपने गुट हैं। कांग्रेस को लग रहा है कि इस बार जनता बदलाव के मूड में है और उनकी लाटरी लग सकती है। दिग्विजय सिंह पहले ही साफ कर चुके हैं वे सीएम पद की दौड़ में शामिल नहीं है। अब मैदान में ज्योतिरादित्य सिंधिया, कमलनाथ और अजय सिंह हैं।
आलाकमान ने कमलनाथ को कांग्रेस की कमान सौंपते समय ही साफ कर दिया था कि अब गुटबंदी किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं की जाएगी। इस सख्त संदेश के बाद गुटबंदी पर थोड़ी लगाम लगी है। लेकिन अब समर्थक सोशल मीडिया का सहारा लेकर अपने नेताओं के लिए समर्थन जुटा रहे हैं। कांग्रेस भी चुनाव प्रचार में सोशल मीडिया के महत्व से वाकिफ है। कुछ दिन पहले ही प्रदेश कांग्रेस की ओर से फरमान निकाला गया था कि चुनाव में टिकट उसी नेता को दिया जाएगा जिस के फेसबुक पर 15000 लाइक होंगें। हालांकि विवाद होने पर इसे वापस ले लिया गया। अब देखने वाली बात यह होगी कि समर्थकों की अपने नेताओं को प्रोजेक्ट करने की यह कोशिश कितनी रंग लाएगी।