सावधान : ट्रेन में यात्रा कर रहे हैं तो "रात 2 से सुबह 4 बजे" के बीच रहें चौकन्ना
ग्वालियर/वेब डेस्क। ग्वालियर से होकर लंबी दूरी की कई ट्रेनें गुजरती हैं। इनमें से अधिकतर ट्रेन ग्वालियर स्टेशन से रात के समय गुजरती है। सुरक्षा के लिहाज से इन ट्रेनों में जीआरपी और आरपीएफ के जवान और अधिकारी तैनात रहते हैं। इनकी सीमा एसी बोगियों तक जाकर समाप्त हो जाती है। दरअसल रात को एसी बोगियों को रेलवे में तैनात अटेंडर लॉक कर देते हैं और वहां सिक्योरिटी के लिए तैनात जवानों को भी जाने की मनाही होती है। रातभर यात्री बिना किसी सुरक्षा के उसमें यात्रा करते हैं। जबकि एसी बोगियों में चोरी की सबसे ज्यादा वारदात रात के समय ही होती है। रात को होने वाली चोरी या अन्य घटनाओं को लेकर आला अधिकारी कई बार मंथन कर चुके हैं लेकिन कोई निष्कर्ष नहीं निकल रहा है। उधर एक बार फिर चोरों ने दो ट्रेनों में चोरी की घटनाओं को अंजाम दिया है।
टिकट लेकर यात्रा करते हैं चोर
जानकारों की मानें तो जब एसी कोच लॉक रहते हैं तो उसमें चोर कैसे घुस जाते हैं, इसे लेकर पड़ताल करने पर सामने आया कि कई चोर तो बकायदा टिकट लेकर एसी कोच में यात्रा करते हैं। वे वारदात को अंजाम देने के बाद सुनसान पडऩे वाले और आधी रात या फिर तडक़े पहुंचने वाले स्टेशनों में उतर कर भाग जाते हैं।
महिलाओं के साथ चोरी की घटनाएं भी बढ़ी
ट्रेन में अकेली या बच्चों के साथ यात्रा करने वाली महिलाएं चोरों का आसान लक्ष्य होती हैं। चोर इनके पर्स या बैग छीनकर आसानी से भाग जाते हैं। इसके अलावा एसी बोगियों में यात्रा करने वाली महिलाएं भी अकेली होती हैं जिसके कारण चोर इनको टारगेट बनाते हैं।
निजी हाथों में है एसी बोगियां का जिम्मा
एसी बोगियों में दिन के समय जीआरपी के जवान आसानी से पेट्रोलिंग करते हैं लेकिन रात होते ही उनकी बंदिशें शुरू हो जाती है। बताया गया है कि रात को 11 बजे एसी बोगियों को लॉक कर दिया जाता है। इन बोगियों में तैनात रेलवे अटेंडर निजी कंपनी के कर्मचारी होते हैं जिन्हें एसी बोगियों की जिम्मेदारी दी गई है। रात 11.00 बजे से सुबह 5.00 बजे तक ट्रेन की एसी बोगियां इन्हीं के जिम्मे होती है।
प्राथमिकी दर्ज करने का भी अधिकार नहीं
रेलवे सुरक्षा बल (आरपीएफ) के पास वर्दी है, आधुनिक हथियार हैं, लेकिन जब बदमाशों के खिलाफ कार्रवाई की बात आती है तो उसके हाथ में कुछ भी नहीं होता। रेलवे एक्ट में कोई विशेष कानूनी धाराएं नहीं होने से आरपीएफ को जीआरपी पर आश्रित रहना पड़ता है। आरपीएफ के कार्य और अधिकारों में सिगरेट पीने पर रोक, रेल पटरी पार करने, चेन पुलिंग, गलत तरीके से यात्रा करने, गंदगी फैलाने, रेलवे क्षेत्र में अनधिकृत रूप से घूमने और छत पर यात्रा करने वालों के खिलाफ कार्रवाई करना ही शामिल है। वहीं यदि ट्रेन में लूटपाट, जहरखुरानी या फिर चोरी होती है तो आरपीएफ कोई कार्रवाई नहीं कर सकती। आरपीएफ के पास प्राथमिकी(एफआईआर) दर्ज तक दर्ज करने का अधिकार नहीं है।इसका फायदा भी बदमाश उठाते हैं।
चंडीगढ़ एक्सपे्रस में ग्वालियर से निकलते ही चोरी
पश्चिमी विहार दिल्ली निवासी रमाकांत अवस्थी उम्र 39 साल उज्जैन जाने के लिए नई दिल्ली रेलवे स्टेशन से चंडीगढ़-इंदौर एक्सप्रेस में सवार हुए थे। ट्रेन के मुरैना से निकलने के बाद दंपति को नींद जा लगी। इसी बीच ट्रेन के ग्वालियर से रवाना होने के बाद कोच में पहुंचे शातिर चोर अभिषेक की पत्नी जो एस-1की सीट नंबर 15 पर थी जबकि पति अभिषेक इस कोच में सीट नंबर 23 पर सो रहे थे, दोनों को गहरी नींद में सोता देख चोर सीट पर रख पर्स चोरी कर ले गए। पर्स में एक तोला वजनी सोने का मंगलसूत्र, एक अंगूठी, दस हजार रुपए नगदी, यात्रा का टिकट सहित एटीएम, आधारकार्ड व अन्य दस्तावेज थे। फरियादी ने शिवपुरी पहुंचने पर जीआरपी में मामला दर्ज कराया। ग्वालियर जीआरपी ने शिवपुरी से आई डायरी के बाद अज्ञात चोरों के खिलााफ मामला दर्ज कर तलाश शुरु कर दी है।
बिरलानगर स्टेशन पर सक्रिय
बिरलानगर रेलवे स्टेशन पर शातिर बदमाश पूरी तरह सक्रिय है। बीते 3 मई को बिरलानगर से गौरी तोमर इटावा जाने के लिए ट्रेन में चढ़ रही थी, तभी शातिर चोरों ने पर्स में रखे जेवरात पार कर दिए। महिला ने इटावा पहुंचकर मामला दर्ज कराया।
चोरियां रात 2 से सुबह 4 बजे के बीच
ट्रेनों में चोरी की अधिकतर घटनाएं देर रात दो बजे से सुबह चार बजे के बीच होती हैं। इस दौरान ज्यादातर यात्री गहरी नींद में रहते हैं और चोर इसी का फायदा उठा लेते हैं।
यहां हैं चोर सक्रिय
झांसी से ग्वालियर स्टेशन के बीच, आगरा से ग्वालियर स्टेशन के बीच, बीना से झांसी स्टेशन के बीच चोर अधिक सक्रिय है।
इन्होंने कहा
ट्रेनों में समय-समय पर विशेष चैकिंग अभियान चलाया जाता रहा है। रात्रि के समय आरपीएफ के जवानों द्वारा गश्त कराई जा रही है जो आगे भी जारी रहेगी।
संयज आर्या, आरपीएफ निरीक्षक