दमोह फर्जी डॉक्टर केस: जानकारी मांगने पर भी मिशन अस्पताल छिपाता रहा सच, जॉन केम के पास उपराष्ट्रपति के फर्जी हस्ताक्षर वाली डिग्री भी

Damoh Fake Doctor Case : मध्यप्रदेश। दमोह फर्जी डॉक्टर केस में अब नए - नए खुलासे होने लगे हैं। CMHO की मानें तो उनके द्वारा बार - बार मिशन अस्पताल से जॉन केम उर्फ नरेंद्र यादव की जानकारी मांगी गई थी। हर बार दमोह का मिशन अस्पताल जॉन एन केम से जुड़े दस्तावेज देने से बचता रहा। जब दस्तावेज मिले तो पता चला कि, जिस डिग्री को लेकर यह डॉक्टर लोगों का इलाज किया करता था उसमें उपराष्ट्रपति के हस्ताक्षर फर्जी थे।
दमोह का फर्जी डॉक्टर नरेंद्र यादव उर्फ जॉन एन केम इस समय पुलिस की हिरासत में है। उससे पुलिस लगातार पूछताछ कर रही है। इस बीच दमोह के CMHO का बयान सामने आया है। उन्होंने पहली बार मीडिया के सामने आकर दमोह फर्जी डॉक्टर केस से जुडी महत्वपूर्ण जानकारी साझा की है।
CMHO मुकेश जैन ने बताया कि, 20 फरवरी को कलेक्टर द्वारा इस मामले की जांच के आदेश दिए गए थे। 22 मार्च से जॉन एन केम के खिलाफ जांच शुरू हुई। इस फर्जी डॉक्टर ने लोगों की एंजायप्लास्टी की थी। तीन लोगों की मौत की पुष्टि हुई है। कार्डियोलॉजी विभाग में जबतक नरेंद्र यादव उर्फ जॉन एन केम रहा तब तक 7 लोगों की मौत हो गई थी। मिशन अस्पताल से इस बारे में जानकारी मांगी गई लेकिन फर्जी डॉक्टर को लेकर कोई जनकारी नहीं मिली।
इसके बाद मार्च में फ़ाइनल जांच रिपोर्ट तैयार करके एक बार पुनः दस्तावेज मांगे गए। इस बार पता चला कि, जॉन एन केम के पास कोलकाता यूनिवर्सिटी से एमबीबीएस और एमडी की डिग्री है। इसके अलावा उसने कार्डियोलॉजिस्ट की डिग्री पांडिचेरी यूनिवर्सिटी से प्राप्त की है। इस डिग्री पर उप-राज्यपाल के हस्ताक्षर भी थे। जब जांच की तो पता चला कि, यह हस्ताक्षर भी नकली हैं। डिग्री में न तो एनरोलमेंट नंबर था न रोल नंबर।
20 फरवरी से जांच शुरू हुई लेकिन 6 - 7 अप्रैल की दरमियानी रात को हुई। 7 तारीख की सुबह जब NHRC की टीम दमोह पहुंचने वाली थी तब एक रात पहले ही CMHO मुकेश जैन ने पुलिस थाने पहुंचकर FIR लिखवाई।