Anand Mohan Mathur: आजादी की लड़ाई, जेपी मूवमेंट में सहयोग, अपनी फीस की दान...कुछ ऐसे थे MP के पूर्व महाधिवक्ता आनंद मोहन माथुर

Anand Mohan Mathur
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Anand Mohan Mathur Passed Away : मध्यप्रदेश। 70 से अधिक वर्षों का करियर, समाजसेवी और स्वतंत्रता संग्राम सेनानी...मध्यप्रदेश के पूर्व महाधिवक्ता आनंद मोहन माथुर की पहचान मात्र इतनी ही नहीं थी। बात देश की आजादी की हो या व्यक्ति की स्वतंत्रता की आनंद मोहन माथुर ने अपना पक्ष हमेशा मुखरता से रखा। वे उन चुनिंदा लोगों में से हैं जिन्होंने देश की आजादी की लड़ाई भी लड़ी और जेपी मूवमेंट में सक्रिय योगदान भी दिया। आइए जानते हैं आनंद मोहन माथुर की जिंदगी से जुड़े कुछ रोचक किस्से।

आनंद मोहन माथुर इंदौर, मध्य प्रदेश के एक प्रख्यात वरिष्ठ अधिवक्ता, कानूनविद्, समाजसेवी और स्वतंत्रता संग्राम सेनानी थे। वे मध्यप्रदेश के पूर्व महाधिवक्ता (Advocate General) भी रहे थे। उनका जन्म धार में 23 जुलाई 1926 को हुआ था और उनका निधन लंबी बीमारी के बाद 22 मार्च 2025 को सुबह इंदौर में हुआ।

आनंद मोहन माथुर ने अपने 70 से अधिक वर्षों के करियर में कानूनी क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान दिया। वे न केवल एक कुशल वकील थे, बल्कि सामाजिक न्याय और जनहित के मुद्दों पर कोर्ट से लेकर सड़क तक संघर्ष करने वाले व्यक्तित्व के रूप में भी जाने जाते थे। उन्होंने आदिवासी, दलित और पिछड़े वर्गों के लोगों के लिए मुफ्त कानूनी सलाह और सहायता प्रदान की, जिसके कारण उन्हें समाज के शोषित और पीड़ित वर्गों के मसीहा के रूप में सम्मान मिला।

उन्होंने स्वतंत्रता संग्राम में भी हिस्सा लिया था और आपातकाल (Emergency) के दौरान जेपी आंदोलन में सक्रिय भूमिका निभाई थी। इसके अलावा, वे मालवा-निमाड़ सहित पूरे मध्य प्रदेश में आंदोलनकारियों के लिए कानूनी सलाहकार और मेंटर रहे। उनकी सामाजिक चेतना और निष्पक्ष जांच की मांग को लेकर वे हमेशा मुखर रहे, जैसे कि भोपाल एनकाउंटर (2016) और विकास दुबे एनकाउंटर (2020) जैसे मामलों में उन्होंने सुप्रीम कोर्ट से जांच की मांग की थी।

गरीब के कारण डॉक्टर नहीं बन पाए :

आनंद मोहन माथुर शुरुआत से कानून नहीं बल्कि मेडिकल की पढ़ाई करना चाहते थे। उनका परिवार गरीब था। स्वतंत्रता आंदोलन में हिस्सा लेने के चलते पिता की नौकरी भी चली गई थी। इसके बाद पैसों की तंगी हुई और आनंद मोहन माथुर का डॉक्टर बनने का सपना अधूरा रह गया।

पढ़ाई पूरी करने के लिए मजदूरी की :

आनंद मोहन माथुर सामान्य व्यक्तित्व के व्यक्ति नहीं थे। उनकी आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं थी लेकिन उनके हौसले बुलंद थे। उन्होंने अपने संघर्ष के शुरुआती दिनों में इंदौर की मालवा मिल में बदली मजदूर के रूप में काम किया। इसके बाद मेहनत करके उन्होंने कानून की पढ़ाई पूरी की। इस दौरान उन्होंने कॉलेज में शिक्षक के रूप में भी सेवाएं दीं।

बेटी को बनाया डॉक्टर :

खुद डॉक्टर नहीं बन सके इसलिए अपनी बेटी को उन्होंने डॉक्टर बनाने का निर्णय लिया। मेहनत और लगन से उन्होंने अपनी बेटी को मेडिकल की पढाई करवाई। इस समय आनंद मोहन माथुर की बेटी डॉक्टर के रूप में अपनी सेवाएं दे रहीं हैं।

भोपाल गैस कांड का केस भी लड़ा :

आनंद मोहन माथुर की कहानी का एक अहम हिस्सा भोपाल गैस कांड से जुड़ा है। जिस दिन उनकी बेटी की शादी थी उसी दिन भोपाल में गैस कांड हुआ। बेटी को विदा कर वे तुरंत भोपाल के लिए रवाना हो गए। उन्होंने भोपाल गैस कांड मामले से जुड़ी याचिका कोर्ट में दायर की। उनके द्वारा डाउ केमिकल फैक्ट्री से पीड़ितों के लिए मुआवजे की मांग को भी प्रमुखता से उठाया गया।

समाजसेवा से जुड़े काम :

आनंद मोहन माथुर जितने बड़े कानूनविद थे उतने ही बड़े समाजसेवी थे। अधिवक्ता के नाते मिली फीस का बड़ा हिस्सा वे दान कर देते थे। उन्होंने अपनी जमीन भी समाजसेवा से जुड़े कामों में दी। अपने खर्च पर कान्हा नदी पर ब्रिज बनवाया और आनंद मोहन माथुर सभागृह का निर्माण भी किया।

संगीत प्रेम भी थे आनंद मोहन माथुर :

कानून के जानकर होने के साथ - साथ आनंद मोहन माथुर संगीत प्रेमी भी थे। उन्होंने अपने इसी प्रेम के चलते 94 साल की उम्र में हारमोनियम बजाना सीखा।

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