आरक्षक भर्ती प्रक्रिया में अनियमितता: हाईकोर्ट ने डीजीपी से पूछा, कम अंक वाले अभ्यर्थियों को कैसे मिली बेहतर पोस्टिंग?
जबलपुर। मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने 2016-17 की आरक्षक भर्ती में ओबीसी सहित आरक्षित वर्गों के अभ्यर्थियों की अनदेखी के मामले में डीजीपी और एडीजी भोपाल को रिकार्ड पेश करने के आदेश दिए हैं। ओबीसी के लिए आरक्षित 1090 पदों में से 884 पद खाली रखने और आरक्षित वर्ग के प्रतिभावान अभ्यर्थियों को उनकी चॉइस के अनुसार जिला पुलिस बल में नियुक्ति न दिए जाने को लेकर जवाब मांगा गया है।
आरक्षित वर्ग की अनदेखी
आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों को उनकी चॉइस के विपरीत एसएएफ बटालियनों में नियुक्त किया गया, जबकि उनसे कम अंक वाले अभ्यर्थियों को जिला पुलिस बल और अन्य महत्वपूर्ण शाखाओं में तैनाती दी गई।
नई मेरिट लिस्ट का विवाद
व्यापम द्वारा जारी मेरिट लिस्ट के विरुद्ध 2022 में डीजीपी ने नई मेरिट लिस्ट बनाकर हाईकोर्ट में दाखिल की। इसमें आरक्षण नियमों का उल्लंघन हुआ, जिसमें 72.69 प्रतिशत अंक वालों को ओबीसी में और 62.80 प्रतिशत वालों को अनारक्षित में गिना गया।
क्या है पूरा मामला?
इस मामले की पैरवी कर रहे हाईकोर्ट के एडवोकेट रामेश्वर सिंह ठाकुर ने बताया कि 2016 में आरक्षक संवर्ग की भर्ती के लिए गृह विभाग ने 14, 283 पदों का विज्ञापन जारी किया था। इसमें अनारक्षित वर्ग के लिए 8432, एससी के लिए 1917, एसटी के लिए 2521, और ओबीसी के लिए 1411 पद आरक्षित थे। भर्ती में जिला बल और विशेष सशस्त्र बल के रिक्त पदों का स्पष्ट विवरण नहीं दिया गया और न ही जिला स्तर पर आरक्षण रोस्टर लागू किया गया।
कोर्ट में लगाई याचिका
आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों की मेरिट को नजरअंदाज कर उनकी पसंद के विरुद्ध पोस्टिंग देने के खिलाफ अधिवक्ता रामेश्वर सिंह ठाकुर के माध्यम से हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की गई है। याचिकाकर्ताओं में हलके भाई लोधी, संदीप साहू, विनोद वर्मा, साहिल पटेल, शुभम पटेल और रामराज पटेल शामिल हैं।
चीफ जस्टिस सुरेश कुमार कैथ और जस्टिस विवेक जैन की खंडपीठ ने सुनवाई करते हुए डीजीपी और एडीजी को आदेश दिया है कि वे भर्ती का रिकॉर्ड और याचिकाकर्ताओं से कम अंक वाले अभ्यर्थियों की सूची दो सप्ताह में हाईकोर्ट में प्रस्तुत करें।
हाईकोर्ट ने भर्ती प्रक्रिया में अनियमितताओं की विस्तृत जांच के संकेत दिए हैं और यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया कि आरक्षण नियमों का पालन हो। याचिकाकर्ताओं ने अपनी चॉइस के अनुसार जिला पुलिस बल में नियुक्ति की मांग की है।