MP Politics: लैपटॉप स्कूटी योजना, CM के जवाब पर हो रहा बवाल, किस अधिकारी ने दी मुख्यमंत्री को गलत जानकारी
CM Mohan Yadav
MP Politics : मध्यप्रदेश। लैपटॉप - स्कूटी योजना को लेकर मुख्यमंत्री ने जो कहा उसे लेकर तमाम सवाल हो रहे हैं। कांग्रेस नेताओं ने मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के जवाब पर उन्हें घेरना शुरू कर दिया है। आरोप लगाए जा रहे हैं कि, मुख्यमंत्री होमवर्क करके नहीं आए लेकिन बड़ा मुद्दा यह है कि, क्या किसी अधिकारी ने सीएम यादव को योजनाओं के संबंध में गलत जानकारी दी है। अगर ऐसा है तो वो अधिकारी कौन है..? उस अधिकारी पर अब सीएम की नजर टेड़ी होगी।
दरअसल मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव से एक पॉडकास्ट में सवाल किया गया कि, बच्चों को लैपटॉप और स्कूटी का वितरण कब किया जाएगा। यह एक ऐसा सवाल है जिसका जवाब पिछले साल 12 वीं पास हुए बच्चे लंबे समय से पूछ रहे हैं...। पॉडकास्ट में जब मुख्यमंत्री से इस विषय पर बात की गई तो उन्होंने कोई सीधा जवाब देने की जगह एक घुमावदार उलझा हुआ सा जवाब दिया।
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने लैपटॉप और स्कूटी देने के सवाल पर जवाब दिया कि, '170 योजनाएं चल रही है, प्रतिभाशाली बच्चों को लैपटॉप और स्कूटी भी दी जा रही है। जिस श्रेणी के बच्चों को ये दिया जाना है, उन्हें मिल भी रही है। बाद में मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि, ये योजना सिर्फ एक साल के लिए थी और मेरे समय की नहीं है।'
अब यहां सवाल यह उठ रहा है कि, क्या स्कूल शिक्षा विभाग के किसी अधिकारी ने मुख्यमंत्री को गलत जानकारी दी। क्योंकि लैपटॉप और स्कूटी की योजना एक साल के लिए नहीं लाई गई थी। सालों इस योजना का क्रियान्वयन हो रहा है। मुख्यमंत्री रहते हुए शिवराज सिंह चौहान ने चुनाव से पहले इस योजना के विस्तार की भी बात कही थी।
तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने तो 60 प्रतिशत लाने वालों को भी 25 हजार रुपए देने की घोषणा की थी। शिवराज सिंह चौहान की सरकार के समय तक 75 प्रतिशत लाने वालों को 25 हजार रुपए (लैपटॉप खरीदने के लिए) और टॉपर्स को स्कूटी दी जा रही थी। योजना की शुरुआत में 85 परसेंट से अधिक अंक लाने वालों को ही 25 हजार रुपए दिए जाते थे।
बहरहाल मौजूदा सरकार ने इस योजना को बंद नहीं किया लेकिन पिछले साल 12 वीं पास छात्र अब तक इस इंतजार में हैं कि, उनके खाते में मुख्यमंत्री वो राशि उन्हें दे जिसका वादा उन्हें चुनाव से पहले किया गया था। यहां जांच उन जिम्मेदार अधिकारियों के बारे में भी जांच की जानी चाहिए जिन्होंने मुख्यमंत्री को यह जानकारी दी कि, यह योजना केवल एक साल के लिए थी जबकि वास्तविकता कुछ और है।