सेवानिवृत्त आबकारी अधिकारी की याचिका खारिज: शराब ठेके की नीलामी में फर्जीवाड़ा का है मामला…

जबलपुर। भोपाल में वर्ष 2003 में हुए शराब ठेके फर्जीवाड़े के मामले में तीन साल की सजा पाए सेवानिवृत्त आबकारी उपायुक्त विनोद रघुवंशी की याचिका को मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय ने खारिज कर दिया है।
रघुवंशी ने याचिका दायर कर तत्कालीन भोपाल कलेक्टर और वर्तमान मुख्य सचिव अनुराग जैन को बचाव साक्षी के रूप में बुलाने की अनुमति मांगी थी, जिसे न्यायालय ने अस्वीकार कर दिया।
रघुवंशी के खिलाफ 2003 में शराब ठेके की नीलामी में अनियमितताओं का आरोप था। उनकी तरफ से दायर अपील में यह कहा गया कि भोपाल में शराब की दुकानों की नीलामी में बदलाव किए गए थे और यह कार्रवाई तत्कालीन कलेक्टर अनुराग जैन की अध्यक्षता में हुई थी।
रघुवंशी ने न्यायालय से अनुरोध किया था कि जैन को बचाव साक्षी के तौर पर बुलाया जाए, ताकि यह स्पष्ट हो सके कि रिपोर्ट में कोई अनियमितता नहीं थी।
हाईकोर्ट की एकलपीठ ने कहा कि धारा 391 के तहत किसी गवाह को बुलाने की अनुमति तभी दी जाती है, जब न्यायालय के समक्ष तथ्यों और साक्ष्यों को उचित रूप से दर्ज नहीं किया गया हो। इस मामले में न्यायालय ने पाया कि रघुवंशी के पास प्रकरण के दस्तावेजों और साक्ष्यों के बारे में पर्याप्त जानकारी थी, इसलिए याचिका को खारिज किया गया।
विनोद रघुवंशी ने भोपाल के तत्कालीन कलेक्टर अनुराग जैन की रिपोर्ट के आधार पर अपनी सजा को चुनौती दी थी। हालांकि, न्यायालय ने उनकी अपील को स्वीकार नहीं किया और पूर्व निर्णय को बनाए रखते हुए सजा को सही ठहराया।