सौरभ शर्मा केस: लोकायुक्त की कार्यप्रणाली पर कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी ने उठाए सवाल, मामले को दबाने का आरोप...
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Saurabh Sharma Case : लोकायुक्त की कार्यप्रणाली जनता में संदेह पैदा कर रही है, यह लोकायुक्त और मध्यप्रदेश दोनों की सेहत के लिए अच्छा नहीं है! ईमानदारी से इस जखीरे के मूल अपराधियों को सामने लाया जाना चाहिए! यह बात कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी ने कही है। उन्होंने इस मामले में निष्पक्ष जांच की मांग करते हुए लोकायुक्त पर मामले को दबाने का आरोप भी लगाया है।
जीतू पटवारी ने कहा कि, "सौरभ शर्मा केस में 300 करोड़ रुपए की संपत्ति मिली लेकिन पब्लिक का परसेप्शन है कि, लोकयुक्त मामले को रफा - दफा करने की कोशिश कर रहा है। लोकायुक्त से आग्रह कि, मध्यप्रदेश के लोगों को आप पर विश्वास होना चाहिए। आप एक तरह से सौरभ को ट्रेनिंग दे रहे हैं कि, दूसरी एजेंसियों को क्या जवाब देना है। वह डायरी कहां है जिसका जिक्र शुरुआत में हुआ था। अब वह कहां है? क्या सौरभ शर्मा सिर्फ मछली है? इस मामले में बड़े - बड़े अजगर कहां है? इस मामले - बड़े अपराधियों को सामने लाया जाना चाहिए।"
दरअसल, पूर्व आरटीओ आरक्षक सौरभ शर्मा, चेतन गौर और शरद जायसवाल को मंगलवार को कोर्ट में पेश किया गया था। जहां से कोर्ट ने तीनों को 17 फ़रवरी तक न्याययिक हिरासत में भेज दिया है। जानकारी के मुताबिक कोर्ट में ED के अधिकारियों ने तीनों की रिमांड नहीं मांगी।
लोकायुक्त की टीम ने तीनों आरोपियों को कोर्ट में पेश करने से पहले उनका मेडिकल करवाया था। इसके बाद पीछे के रास्ते से कोर्ट में पेश किया और वहीं से वापस निकले। बताया जा रहा है कि, सुनवाई के दौरान कोर्ट रूम में ईडी और आयकर विभाग के वकील भी थे, लेकिन किसी की तरफ से भी सौरभ शर्मा की रिमांड लेने की मांग नहीं की गई।
रिपोर्ट्स के मुताबिक, सौरभ शर्मा से बीते दिन सोमवार को पुलिस ने 6 घंटे से भी ज्यादा पूछताछ की गई थी। इस दौरान सौरभ शर्मा से उसके पास मिली संपत्ति के बारे में जानकारी ली गई थी। सौरभ ने बताया था कि उसकी आय का स्रोत रियल एस्टेट कारोबार है, उसने किसी भी गलत तरीके से पैसे नहीं कमाए हैं।