जिजामाता सम्मान समारोह: भारत की एकता, सम्मान, गौरव के प्रतीक हैं सैनिक और खिलाड़ी - दत्तात्रेय होसबाले

जिजामाता सम्मान समारोह
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जिजामाता सम्मान समारोह

भाेपाल। एक सैनिक और खिलाड़ी राष्ट्र का ध्वज लेकर चलते हैं। वे देश के किसी भी कोने से आये हों, वे किसी जाति-भाषा के नहीं अपितु देश के होते हैं। ऐसे सैनिकों और खिलाड़ियों के प्रति देश के नागरिक कृतज्ञता ज्ञापित करते हैं। सैनिक और खिलाड़ी भारत की एकता, सम्मान और गौरव के प्रतीक हैं। यह विचार राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले ने क्रीडा भारती के ‘जिजामाता सम्मान’ समारोह में व्यक्त किए। समारोह का आयोजन रविन्द्र भवन, भोपाल में हुआ, जिसमें 6 खिलाड़ियों की माताओं का सम्मान किया गया। समारोह में अतिथि के रूप में केंद्रीय खेल मंत्री मनसुख भाई मांडविया, मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव, मध्यप्रदेश के खेल एवं युवा कल्याण मंत्री विश्वास सारंग, क्रीड़ा भारती के राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष एवं मध्यप्रदेश सरकार के मंत्री चेतन कश्यप उपस्थित रहे।

इस अवसर पर संघ के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले ने कहा कि पदक विजेता खिलाड़ियों को जिन्होंने तैयार किया, उनके परिश्रम और संघर्ष को चिन्हित करना और उसे सम्मान देना, यह बहुत महत्व की बात है। हम जानते हैं कि जिजामाता ने प्रतिकूल परिस्थितियों में अपने बेटे को छत्रपति बनाया। जिजामाता श्रेष्ठ माँ के साथ-साथ कुशल प्रशासक भी थीं। जब छत्रपति शिवाजी महाराज औरंगजेब की कैद में थे तब जिजामाता ने राज्य का कुशलता से संचालन किया। जिजामाता ने संकल्प लिया था कि मेरा बेटा किसी की नौकरी नहीं करेगा। वह शासक बनेगा और समाज की सेवा करेगा। जिजामाता दृढ़ संकल्प की उदाहरण हैं। यह सभी गुण हमें शिवाजी महाराज के जीवन में दिखाई देते हैं। जिजामाता ने शिवाजी महाराज को बचपन से ही रामायण और महाभारत की कहानियां सुनाकर उन्हें बताया कि शिवाजी महाराज को कैसा बनना है। उन्होंने कहा कि कुछ ही खेलों का आगे बढ़ना हितकारी नहीं है। सभी खेलों को आगे बढ़ना चाहिए। प्रसंगवश उल्लेख करना चाहूंगा कि आज खो-खो का पहला विश्व कप दिल्ली में सम्पन्न हो रहा है। उन्होंने कहा कि वैश्विक प्रतियोगिताओं की मैडल टैली में अब भारत ऊपर आता दिख रहा है, यह हम सबको प्रसन्नता देता है। क्रीड़ा भारती के उद्देश्य को रेखांकित करते हुए उन्होंने कहा कि खेल के क्षेत्र में संस्कार और संस्कृति रहे। देश का सम्मान और गौरव बढ़ाने का भाव खिलाड़ियों के मन में आये। इस तरह के उद्देश्य से क्रीड़ा भारती काम कर रही है। उन्होंने कहा कि सभी प्रकार के सद्गुणों का केंद्र परिवार होता है। क्रीड़ा भारती का एक उद्देश्य यह भी है कि हमारे यहां परिवारों में इस प्रकार का वातावरण बने, जिसमें युवाओं का संस्कार हो। आज के समय में ध्यान आ रहा है कि युवाओं के जीवन में गलत आदतें आ रही हैं। मोबाइल फ़ोन ने उनकी चंचलता को बढ़ा दिया है। अगर परिवार का वातावरण सकारात्मक होगा तो देश को संस्कारित युवा मिलेंगे।

इस अवसर पर मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने सम्मानित माताओं को बधाई दी और उनके योगदान की सराहना की। उन्होंने कहा कि किसी भी खिलाड़ी की सफलता में माता-पिता की महत्वपूर्ण भूमिका रहती है। उन्होंने श्रीकृष्ण के जन्म का उदाहरण देकर बताया कि देश और धर्म के लिए माता देवकी ने 7 पुत्रों की हत्या के बाद ही हिम्मत रखी और आठवीं संतान के रूप में श्रीकृष्ण को जन्म दिया। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार खेलों और खिलाड़ियों के उत्थान के लिए महत्वपूर्ण कार्य कर रही है।

माँ का सम्मान करें, वह जिजामाता की तरह छत्रपति शिवाजी महाराज गढ़ देगी :

इस प्रसंग पर केंद्रीय खेल मंत्री मनसुख भाई मांडविया ने कहा कि क्रीड़ा भारती का यह कार्यक्रम प्रेरक है जो खिलाड़ियों की माताओं के योगदान के महत्व को स्थापित करता है। उन्होंने कहा कि खेल सार्वजनिक जीवन का हिस्सा है। खेल संस्कार निर्माण का आधार भी है। खेल हमारे व्यक्तित्व का निर्माण भी करते हैं। उन्होंने कहा कि हमारे खिलाड़ी जब पदक जीतकर तिरंगा लहराते हैं तो जो गौरव उनके माता-पिता को होता है, उससे अधिक गौरव की अनुभूति देश को होती है। उन्होंने कहा कि माँ का सम्मान करो तो वह जिजामाता की तरह छत्रपति शिवाजी महाराज गढ़कर देगी। कोच का सम्मान करो तो वह होनहार खिलाड़ी तैयार करके देंगे। उन्होंने कहा कि भारत की भौगोलिक विविधता के कारण खेलों में भी विविधता है। उन्होंने कहा कि भारत मे अनेक परंपरागत खेल भी हैं, जिन्हें हम आगे ला सकते हैं। उन्होंने कहा कि स्पोर्ट्स कोटा से शासकीय सेवा में आनेवाले खिलाड़ियों का उपयोग नए प्रतिभावान खिलाड़ियों को तलाशने और तराशने में किया जाएगा। उन्होंने बताया कि सरकार ने खिलाड़ियों के प्रशिक्षण पर ध्यान देना शुरू किया है। 'खेलो इंडिया' अभियान का असर दिखने लगा है। इससे भारत को पदक जीतने वाले खिलाड़ी मिले हैं।

खेलों के माध्यम से युवा स्वयं को करें मजबूत :

इस अवसर पर मध्यप्रदेश के खेल एवं युवा कल्याण मंत्री विश्वास सारंग ने कहा कि प्रत्येक व्यक्ति की पहली पाठशाला माता ही होती है। माँ चाहती है कि उसका बच्चा परिवार, समाज और देश का नाम ऊंचा करे। उन्होंने कहा कि देश की प्रगति के लिए हमें युवाओं को मानसिक और शारीरिक रूप से सुदृढ़ करना होगा। खेल इसमें महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। स्वामी विवेकानंद भी कहते थे कि युवाओं को फुटबॉल खेलकर अपने आप को मजबूत कर राष्ट्र की सेवा करनी चाहिए। वहीं, मध्यप्रदेश के सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम मंत्री एवं क्रीड़ा भारती के राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष चेतन कश्यप ने कहा कि राष्ट्रीय स्तर पर क्रीड़ा भारती एकमात्र संगठन है जो समस्त खेलों की चिंता करता है। इसके साथ ही क्रीड़ा भारती का प्रयास रहता है कि हमारे खिलाड़ी संस्कारवान बने।

इन खिलाड़ियों की माताओं का हुआ सम्मान

• नीरज चोपड़ा, ओलंपिक गोल्ड और सिल्वर मेडलिस्ट, जैवलिन थ्रो की मां सरोज देवी (यह पुरस्कार नीरज चौपड़ा के काका भीम सिंह ने प्राप्त किया)

• दीपा करमाकर, भारत की पहली महिला जिम्नास्ट, ओलंपिक्स की मां गौरी कर्माकर

• लवलीना बोरगोहेन, ओलंपिक बॉक्सिंग खिलाड़ी की मां मोनी देवी

• पीआर श्रीजेश, भारतीय हॉकी टीम के पूर्व गोलकीपर की मां उषा कुमारी

• विवेक सागर, भारतीय हॉकी टीम खिलाड़ी की मां कमला देवी

• अवनि लेखरा पैरालंपिक स्वर्ण पदक विजेता, 10 मीटर एयर राइफल शूटिंग की मां श्वेता लेखरा

तीन विद्यार्थियों को भी मिले पुरस्कार :

इसके अलावा क्रीड़ा भारती की ओर से अखिल भारतीय स्तर पर आयोजित 'क्रीड़ा ज्ञान प्रतियोगिता-2024' में विजेता विद्यार्थियों को भी पुरस्कृत किया गया। इनमें 1 लाख रुपये का प्रथम पुरस्कार पार्थ प्रजापत और 50-50 हजार रुपये के द्वितीय पुरस्कार देव करेलिया एवं अभिषेक कुमार को दिए गए। इस प्रतियोगिता में एक लाख से अधिक विद्यार्थियों ने हिस्सा लिया था।

खेल गीत का लोकार्पण :

इस अवसर पर क्रीड़ा भारती के ध्येय गीत 'खेल खिलाड़ी खेल' का लोकार्पण भी केंद्रीय खेल मंत्री मनसुख मांडविया किया गया।

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