मध्‍यप्रदेश: 10 हाथियों की मौत के बाद जनजाति क्षेत्रों में मुनाफाखोर सक्रिय, अफवाहों की गिरफ्त में “श्रीअन्न” का बाजार…

10 हाथियों की मौत के बाद जनजाति क्षेत्रों में मुनाफाखोर सक्रिय, अफवाहों की गिरफ्त में “श्रीअन्न” का बाजार…
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किसानों को डराकर औने-पौने दाम पर कर रहे कोदो का सौदा

भोपाल। प्रदेश के उमरिया जिले के बांधवगढ़ में 10 हाथियों की मौत के बाद कोदो-कुटकी फसल की कीमतें अफवाहों की गिरफ्त में आ गई हैं। मुनाफाखोर कोदो उत्पादक किसानों को हाथियों की मौत विषाक्त कोदो खाने से होने की वजह बताकर, डराकर कम कीमतों पर सौदा कर रहे हैं।

जबकि अभी प्रदेश की किसी भी मंडी या उपार्जन केंद्र पर कोदो की फसल की खरीदी प्रक्रिया ही शुरू नहीं हुई है। देश में कोदो के सबसे बड़े बाजार नासिक में भी कोदो की नई फसल की खरीदी तय नहीं हुई हैं। ऐसे में मप्र के कोदो उत्पादक किसानों को फसल की उचित कीमतों के लिए थोड़ा धैर्य और इंतजार करना होगा।

कोदो-कुटकी से कोई बीमार नहीं होता

मप्र सरकार के उच्च अधिकारी के अनुसार कोदो-कुटकी से कोई बीमार नहीं होता है। कोदो पौष्टिक और सुपाच्य प्राकृतिक भोजन है। भारत सरकार ने कोदो को “श्रीअन्न” की श्रेणी में शामिल कर अंतरराष्ट्रीय पहचान दी है। पिछले कुछ सालों में कोदो भारत ही नहीं विदेशों में निर्यात हो रहा है।

महाराष्ट्र के नासिक में कोदो का सबसे बड़ा निर्यात बाजार है। नासिक के कोदो कारोबारी 'मिलेट एक्सपोर्ट मोरपंख सांवा ने 'मध्य स्वदेश से चर्चा में बताया कि वह अभी खरीदी नहीं, बिक्री के ऑर्डर ले रहे हैं।

किसान अभी फसल बेचने का इंतजार करें

वहीं मप्र सरकार के एक अधिकारी ने बताया कि मप्र ही नहीं देश में कोदो के भाव नासिक से तय होते हैं। ऐसे में मप्र के जनजाति क्षेत्र के किसानों को चाहिए कि वे अभी फसल बेचने का इंतजार करें।

इस अधिकारी ने बताया कि जब कोदो की खरीदी शुरू हो जाएगी, तब यदि मप्र के किसी क्षेत्र विशेष में किसानों को कम कीमतें मिलती हैं, तब सरकार किसान हित में विशेष निर्णय ले सकती है। उन्होंने बताया कि मप्र में इस बार कोदो का रिकॉर्ड उत्पादन होने की संभावना है।

इसके लिए बड़े खरीददारों की तलाश भी शासन स्तर पर की जा रही है, जो उचित भाव किसानों को दे सकें।

4290 समर्थन मूल्य के साथ

3900 रुपए प्रोत्साहन राशि :

भारत सरकार ने कोदो उत्पादन बढ़ाने के लिए समर्थन मूल्य 4290 तय किया है। मप्र सरकार ने पिछले महीने 5 अक्टूबर को दमोह जिले के सिंग्रामपुर में कैबिनेट बैठक में प्रदेश के जनजाति किसानों को प्रोत्साहित करने के साथ-साथ उन्हें आर्थिक लाभ देने के लिए 3900 रुपए प्रति हेक्टेयर प्रोत्साहन राशि देने का निर्णय किया है।

खास बात यह है कि प्रोत्साहन राशि किसान को तभी मिलेगी, जब रानी दुर्गावती श्रीअन्न प्रोत्साहन योजना के तहत गठित महासंघ कोदो को क्रय करेगा। अन्य क्रेता या बिचौलियों को फसल बेचने पर प्रोत्साहन योजना का लाभ नहीं मिलेगा।

मप्र में बढ़ा कोदो-कुटकी का रकबा

श्रीअन्न में शामिल होने के बाद मप्र में पिछले 3 सालों के भीतर ही कोदा-कुटकी का रकबा बढ़कर दोगुने से ज्यादा हो गया है। वर्ष 2021-22 में कोदो-कुटकी का रकबा 89413 हेक्टेयर था। जो वर्ष 2022-23 में बढ़कर 1,45,095 हो गया। साथ ही उत्पादन भी 76934 से बढ़कर 1,40818 मीट्रिक टन हो गया। कृषि विभाग के अनुसार वर्ष 2023-24 में कोदो कुटकी का रकबा करीब ढाई लाख हेक्टेयर है।

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