मुस्लिम समाज : मौलानाओं ने दहेज लेने-देने वालों का बहिष्कार करने की दी सलाह
लड़के-लड़कियों को मस्जिद में घोषणा करनी पड़ेगी कि हम लोग शादी में दहेज नहीं लिए-दिए हैं
बगहा। बिहार के पश्चिम चंपारण जिला के वाल्मीकि नगर में कल हुए एक जलसे में मौलानाओं ने समाज में दहेज लेने-देने की प्रथा पर प्रतिबन्ध लगाये जाने के फैसले को कई बुद्धिजीवियों ने स्वागत किया है। समाचार के मुताबिक कल वाल्मीकि नगर के एक जलसे में मुस्लिम मौलानाओं ने दहेज प्रथा को समाप्त करने के लिए एक बहुत बड़ा निर्णय लेते हुए यह घोषणा की कि मुस्लिम समाज में कोई भी व्यक्ति अपने बेटे-बेटियों के शादी में दहेज नहीं लेंगे और न देंगे। देहज लेने और देने को कुप्रथा मानते हुए यह भी कहा है कि लड़के और लड़कियों को मस्जिद में खड़ा होकर यह घोषणा करनी पड़ेगी कि हम लोग अपनी शादी में दहेज नहीं लिए हैं।
इस्लाहुल मुस्लमिन से जुड़े हुए मौलानाओं ने जलसे में खचाखच भरे हुए लोगों की उपस्थिति में यह भी कहा कि अगर यह पता चल जायेगा कि दोनों पक्ष में कोई भी पक्ष दहेज के लिए लेन-देने किया है,तो हम उसकी निकाह नहीं पढायेंगे और उसका समाज से बहिष्कार भी करेंगे। जलसे में यह भी कहा गया कि इस्लाम में दहेज लेने पर पाबंदी है। दहेज लेना शरीयत के खिलाफ है। मेहर के सन्दर्भ में बताया कि मेहर मर्जी और खुशी की चीज है, वो दहेज नहीं है। मौलाना मुबारक हुसने ने कहा है कि इस्लाम में लड़कियों को सम्पत्ति का अधिकार मिला है, पर दहेज का महत्व नहीं दिया है।
मौलानाओं के फैसले का स्वागत करते हुए पं०उमा शंकर तिवारी महिला महाविद्यालय के उर्दू विभागाध्यक्ष प्रो०नूर आलम ने कहा है कि जलसे में मौलानाओं का लिया गया फैसला सम्मानजनक है। वहीं पीयूएसटी महिला इन्टर काॅलेज बगहा के प्रो०रहमान ने भी कल के फैसले का स्वागत किया है। वहीं जद यू अल्पसंख्यक सेल के नेता निजामुद्दीन ने भी फैसले का स्वागत किया है।