पंजाब में इस बार डेरे नहीं खोल रहे पत्ते, जानिए राजनीति में क्या है भूमिका

पंजाब में इस बार डेरे नहीं खोल रहे पत्ते, जानिए राजनीति में क्या है भूमिका
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चंडीगढ़।पंजाब की राजनीति में अहम भूमिका निभाने वाले धार्मिक डेरों द्वारा विधानसभा चुनाव में अब तक किसी भी दल के पक्ष में अपनी आवाज बुलंद नहीं किए जाने के कारण पंजाब के सभी राजनीतिक दल सकते में हैं और दलों के मुखिया लगातार डेरा प्रमुखों के साथ संपर्क बनाए हुए हैं। आने वाले तीन दिन पंजाब की राजनीति के लिए बेहद अहम हैं, क्योंकि डेरों से जारी होने वाले संदेश सभी के लिए अहम हैं।

पंजाब में सरकारी रिकार्ड के मुताबिक इस समय एक हजार से अधिक छोटे-बड़े डेरे हैं। इनके अनुयायियों की संख्या लाखों में हैं। पंजाब की कुल जनसंख्या का 70 फीसदी हिस्सा किसी न किसी डेरे के साथ जुड़ा हुआ है। पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल, अकाली दल प्रधान सुखबीर सिंह बादल, मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी, कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी, भाजपा प्रभारी केंद्रीय मंत्री गजेंद्र शेखावत, गृहमंत्री अमित शाह, दिल्ली के मुख्यमंत्री एवं आप सुप्रीमो अरविंद केजरीवाल, पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह पंजाब के धार्मिक डेरों के चक्कर लगा चुके हैं।

प्रदेश में 20 बड़े डेरों का राजनीतिक प्रभाव माना जाता है। इनमें डेरा सच्चा सौदा, राधा स्वामी डेराब्यास, निरंकारी समुदाय, नूरमहल स्थित डेरा दिव्य ज्योति जागृति संस्थान व रूमीवाला डेरा, सच्चखंड बल्लां आदि प्रमुख हैं। इनमें से ज्यादातर डेरों ने बकायदा अपने राजनीतिक विंग बना रखे हैं। पंजाब में आनंदपुर साहिब क्षेत्र ऐसा है जहां सबसे अधिक 69 डेरे हैं।डेरा सच्चा सौदा का मालवा क्षेत्र में प्रभाव है। डेरा सच्चा सौदा करीब 35 सीटों पर प्रभावशाली है। इसी प्रकार राधा स्वामी डेरा ब्यास माझा की एक दर्जन सीटों पर ज्यादा प्रभाव डालता है।

डेरा सच्चा सौदा ने 2002 में विधानसभा चुनाव में कांग्रेस का समर्थन किया और जब अकाली दल 2007 में दोबारा सत्ता में आया तो इस पर विवाद भी हुआ। डेरा ढक्की साहिब का लुधियाना क्षेत्र में काफी असर है।डेरा सच्चा सौदा के राजनीतिक विंग के इंचार्ज राम सिंह के अनुसार डेरा द्वारा अभी राजनीतिक विंग द्वारा फीडबैक लिया जा रहा है। संभवतः 18 या 19 फरवरी को डेरा अपना फैसला सुनाएगा। इसी प्रकार पंजाब के राधा स्वामी सत्संग ब्यास, डेरा नूरमहल आदि में भी मंथन चल रहा है। माना जा रहा है कि यह डेरे भी चुनाव प्रचार बंद होने के साथ ही अपना फैसला सुनाएंगे।

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