ममता बनर्जी के लिए डरावना होता जा रहा बंगाल चुनाव
नई दिल्ली/विशेष प्रतिनिधि। पश्चिम बंगाल में तीसरी बार सत्ता हासिल करने की जद्दोजहद से जूझ रहीं तृणमूल कांग्रेस की मुखिया ममता बनर्जी पर डर का शिकंजा कसता जा रहा है। वह भाजपा से लडऩे के लिए जिस मुस्लिम तुष्टीकरण की पिछले पांच साल से हवा बना कर रखीं थीं, उस हवा का रूख बदलने की आशंका ने उन्हें और भयभीत कर दिया है। असदुद्दीन ओवैसी द्वारा बंगाल चुनाव लडऩे के ऐलान ने ममता बनर्जी के माथे पर बल पैदा कर दिया है।
दरअसल, ओवैसी के चुनाव लडऩे से ममता बनर्जी के डर का प्रमुख कारण हाल का बिहार विधानसभा चुनाव है। वहां ओवैसी द्वारा पांच सीट जीतने के साथ 16 सीटों पर राजद का ऐसा नुकसान किया गया, जिसकी किसी को कल्पना नहीं थी। अब वह बंगाल में दो-दो हाथ करने का मन बना लिए हैं। मजेदार बात ये है कि ममता बनर्जी द्वारा मुस्लिम वोटर को साथ रखने के लिए ऐसा कार्ड खेला गया, जो मुस्लिम वोटर को उनके साथ रहने की जगह उन्हें और भ्रमित कर दिया है। ममता की तरफ से ओवैसी और भाजपा के बीच मिलीभगत का आरोप लगाया गया। इस आरोप का फ्यूज इसलिए उड़ गया क्योंकि हाल में हैदराबाद नगर-निगम चुनाव में भाजपा ने ओवैसी की पार्टी से ही लोहा लिया था और कई वार्ड में ओवैसी के लिए भाजपा चुनौती बनी थी। ओवैसी ने यह कहकर ममता बनर्जी के आरोप की हवा निकाल दी कि दुनिया की कोई ताकत उन्हें खरीद नहीं सकती।
ममता बनर्जी के डर का कारण यही है की ओवैसी यदि बंगाल का विधानसभा चुनाव लड़े तो मुस्लिम वोट बंटना तय है। क्योंकि ओवैसी आंध्रप्रदेश के बाहर जितनी तेजी से पैर पसार रहे हैं, उसका मतलब साफ है की मुस्लिम मतदाता उन्हें स्वीकार कर रहे हैं। महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के बाद बिहार चुनाव में मिली सफलता जता रही है की ओवैसी का जादू उन दलों के लिए सिरदर्द बनता जा रहा है, जो मुस्लिम तुष्टीकरण की राजनीति कर रहे हैं।
लिहाजा, साफ लग रहा है कि पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को उनकी सत्ता जाने का डर सताने लगा है। ओवैसी का जोश देख ममता बनर्जी खौफ में हैं। क्योंकि अभी तक वह मानकर चल रही थीं कि बंगाल में मुस्लिम वोटों पर हक सिर्फ उन्हीं का है। ममता को डर है की जिस तरह से बिहार में असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी ने मुस्लिम बहुल सीटों पर शानदार प्रदर्शन किया। यही वो पश्चिम बंगाल में दोहरा ना दें। पश्चिम बंगाल में विधान सभा की कुल 294 में सीटों में 80 सीट मुस्लिम बहुल है। जनसंख्या की बात करें तो पश्चिम बंगाल में तकरीबन 30 प्रतिशत मुस्लिम वोटर हैं। इन्हीं वोटरों पर असदुद्दीन ओवैसी की नजर है। 2011 के विधानसभा चुनाव से पहले तक ये वोट वामपंथी दलों और कांग्रेस में बंटता था, लेकिन अब इस पर ममता बनर्जी का एकाधिकार है। पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव से पहले राजनीतिक समीकरण जिस तरह से बदल रहे हैं, उससे तीसरी बार सत्ता हासिल करने का मंसूबा लेकर चल रही ममता बनर्जी को अब भाजपा और ओवैसी के दोहरे मोर्चे से लडऩा होगा।