असम में चुनाव से पहले दो नेताओं ने बदली पार्टी, भाजपा में शामिल होते ही मिला टिकट

असम में चुनाव से पहले दो नेताओं ने बदली पार्टी, भाजपा में शामिल होते ही मिला टिकट
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गुवाहाटी। प्रदेश में होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए टिकटों का बंटवारा होने के बावजूद राजनीति का खेल जारी है। भाजपा ने असम विधानसभा चुनाव के दो चरणों के लिए अपने 70 उम्मीदवारों के नामों की घोषणा शुक्रवार को किया था। इस बीच शनिवार को अचानक पार्टी में शामिल होने वाले दो नेताओं को आनन-फानन टिकट थमा दिया। इस कड़ी में भाजपा ने अपने एक वर्तमान विधायक विनंद सैकिया का टिकट काट दिया है।

दोनों नेताओं का प्रदेश भाजपा अध्यक्ष रंजीत कुमार दास ने पार्टी में स्वागत करते हुए कहा कि विधानसभा चुनाव के ऐन मौके पर दोनों नेताओं के भाजपा में शामिल होने से पार्टी और अधिक मजबूत होगी। उन्होंने कहा कि भाजपा में सत्ता के लिए नहीं बल्कि देश और समाज को मजबूत बनाने के लिए शासन में आती है।

असम साहित्य सभा के पूर्व अध्यक्ष परमानंद राजवंशी हाल ही में भाजपा की सहयोगी पार्टी असम गण परिषद (अगप) में शामिल हुए थे। अगप से टिकट न मिलते देख शनिवार को असम प्रदेश भाजपा मुख्यालय अटल बिहारी वाजपेयी भवन में पहुंचकर भाजपा की सदस्यता ग्रहण कर ली। भाजपा में राजवंशी के शामिल होने के साथ-साथ पार्टी ने सिपाझार से उन्हें टिकट भी दे दिया। सिपाझार से उम्मीदवार की घोषणा पार्टी ने नहीं की थी। ऐसे में वर्तमान विधायक विनंद सैकिया का टिकट पार्टी ने काट दिया है।

दूसरी ओर कांग्रेसी नेता व असम चाय मजदूर संघ के महासचिव रूपेश ग्वाला भी शनिवार को भाजपा में शामिल हो गये। भाजपा में ग्वाला के शामिल होते ही उन्हें दुमदुम विधानसभा से पार्टी ने अपना उम्मीदवार भी घोषित कर दिया। दुमदुमा सीट से भी भाजपा ने अपने उम्मीदवार की घोषणा नहीं की थी। भाजपा में शामिल होने के बाद परमानंद राजवंशी ने कहा कि जनता के हितों के लिए वे भाजपा में शामिल हुए हैं। पार्टी उन्हें जो भी आदेश देगी उस पर आने वाले दिनों में कार्य करेंगे। जबकि रुपेश ग्वाला ने कहा कि चाय जनजाति के लोगों की मांग थी कि मैं भाजपा में शामिल हो जाऊं, इसके मद्देनजर में मैं भाजपा में शामिल हो गया।

परमानंद राजवंशी को लेकर माना जा रहा था कि भाजपा के अंदर कुछ मतभेद जरूर है। इसके बावजूद पार्टी में उन्हें शामिल कर लिया गया। माना जा रहा है कि भाजपा का एक धड़ा जहां इसका विरोध कर रहा था, वहीं दूसरा धड़ा राजवंशी को भाजपा में शामिल कराने के पक्ष में अडिग था। अब देखना होगा कि आने वाले दिनों में इसके पार्टी के अंदर क्या असर होते हैं।

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