मप्र के शाजापुर से अयोध्या जा रही यात्रा के कई रंग, 1992 के कारसेवक समेत कई लोग करेंगे रामलला के दर्शन
सुलतानपुर। इस तपतपाती धूप में इनकी दीवानगी देखने लायक है। डीसीएम नुमा गाड़ी ही सबका ठिकाना है। उसी में चूल्हा, विस्तर, कपड़ा, राशन सब लदा है। हँसते, गाते-बजाते जा रही यह टोली सुलतानपुर पहुँची है। सबमें ऐसी लागी लगन कि न खाने की चिंता, न रहने, सोने की। बस टोली में शामिल सभी पुरुषों, महिलाओं को अयोध्या पहुँचने की जल्दी है। यह यात्रा मध्य प्रदेश के शाजापुर जिले के मक्सी से अयोध्या के लिए निकली है।
सुलतानपुर में स्वदेश' संवाददाता से मुलाकात होने पर सभी खुश हुए और 'स्वदेश' को अपना अखबार बताते हुए कहा कि वे इसके पाठक हैं। 900 किमी की इस यात्रा का पहला पड़ाव बागेश्वर धाम रहा। फिर मैहर, चित्रकूट, प्रयागराज होते हुए सुलतानपुर पहुँची है। यात्रा के संयोजक सुरेश मंडलोई एवं व्यवस्था नरेंद्र कुमार भावसार 'मोदी' ने 'स्वदेश' को बताया कियात्रा में शामिल सभी 'मां शारदा भजन मंडल' एवं 'प्रभात फेरी मंडल' से जुड़े हैं। इस यात्रा के अनेक रंग हैं। यात्रियों के खाने से लेकर गाने-बजाने तक, हसने हँसाने के साथ ही रुकने, रहने से लेकर चलने तक की व्यवस्था आपस में बांट रखी है। इस यात्रा में पुरुषों से ज्यादा महिलाएं हैं। जिनमें 70% से ज्यादा महिला यात्री खेती-बाड़ी करती हैं। इनका नेतृत्व सावित्रीबाई लोधी, सुशीलाबाई कर रही हैं। गाने-बजाने का जिम्मा सावित्रीबाई के जिम्मे है। उनका साथ रामकली बाई, चंद्रकलाबाई, मनुबाई, लीलाबाई, गंगाबाई, संगीता लोधी, माया लोधी, गिरजा बाई, रामकली बाई, आशा सोलंकी दे रहीं।
आशा कॉमेडियन के पास पूरी टीम को हंसने हंसाने का जिम्मेदारी इनके पास है। सुशीला लोधी ढोल पर साथ देती तो मनुबाई खाना बनाती है। आशा सोलंकी स्वास्थ्य विभाग में आशा पर्यवेक्षक हैं। कहती हैं कि मुझे गाना बजाना संग कमेडी करना पसंद है। पहली बार अयोध्या आने पर उत्साहित हैं। सावित्री बाई लोधी महिला मंडली की अगुवा हैं। टीम का ढोलक पर साथ देती हैं। अयोध्या आना उनका सपना था। खूब उत्साहित हैं। महिलाओं में ही हेमलता लोधी हैं जो पार्षद हैं। इस पद पर परिवार का 25 साल से कब्जा है। यात्रियों के स्वास्थ्य बिगड़ने पर दवा देने का कार्य डॉ.दयाशंकर मंडलोई के पास है। इसी टीम में कैलाश मंडलोई हैं। 1992 में वे कार सेवा करने अयोध्या आए थे। अबकी बार उनकी यह तीसरी यात्रा है, जिसमें राम का दर्शन करेंगे। टीम में पेशे से चालक 60 वर्षीय गंगाराम यादव मिले, उनके पिता का नाम भागीरथ यादव व पत्नी सुगंध यादव है। उनके दो लड़के एक लड़की है। जिनमें एक का नाम अनिल यादव दूसरे का नाम शिव यादव एवं बेटी का नाम कोमल यादव है।
मजेदार बात यह है कि यह इनका यादव उपनाम है और यह अनुसूचित जाति से आते हैं। यात्रा के अगुवा सुरेश मंडलोई कहते हैं कि उनका संकल्प था कि पूरी मंडली को निशुल्क यात्रा कराएंगे। आज यह सपना पूरा हो रहा इसलिए खुश हैं। यात्रा की व्यवस्थापक नरेंद्र भवसार उर्फ मोदी कहते हैं कि हमारे प्रभु का मंदिर बहुत इंतजार के बाद बना है। हम सब भाग्यशाली हैं जो दर्शन पा रहे हैं।