गुवाहाटी में मदरसे रहेंगे बंद, हाईकोर्ट ने सरकार के निर्णय को रखा बहाल
गुवाहाटी। हाई कोर्ट ने असम में राज्य वित्त पोषित मदरसों को बंद करने के सरकारी फैसले को बरकरार रखा। हाई कोर्ट ने इस संबंध दायर याचिका खारिज कर दी। यह याचिका 13 लोगों और संगठनों ने दायर की थी। इन मदरसों में मजहबी शिक्षा को प्रतिबंधित करने के लिए सरकार ने 2020 में नया कानून विधानसभा में पारित किया था।
हाई कोर्ट ने असम निरसन अधिनियम 2020 को चुनौती देने वाली याचिका के संबंध में असम विधानसभा में पारित कानून और सरकार के फैसले को बरकरार रखा। उल्लेखनीय है कि असम सरकार के सरकारी वित्त पोषित मदरसों में मजहबी शिक्षा को बंद करने के फैसले पर काफी विवाद हुआ था। हाई कोर्ट का फैसला शुक्रवार शाम काफी देर से आया। मुख्यमंत्री ने इस फैसले पर देररात को ट्वीट कर खुशी जताई।
असम सरकार ने राज्य के सभी सरकारी मदरसों को बंद करते हुए पिछले साल 1 अप्रैल से 620 से अधिक ऐसे मदरसों को सामान्य स्कूलों में स्थानांतरित करने का फैसला किया था। इसका मुख्य रूप से ऑल इंडिया यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट समेत कई मुस्लिम संगठनों ने विरोध किया था।
ये है मामला -
उल्लेखनीय है कि राज्य सरकार ने मदरसों के साथ संस्कृत विद्यालयों को भी बंद कर ऐसे सभी शिक्षण संस्थानों को सामान्य स्कूलों में तब्दील किया है। असम निरसन अधिनियम-2020 के विधानसभा में पारित होने के बाद 30 दिसम्बर, 2020 को राज्यपाल की मंजूरी के बाद मदरसों को बंद कर दिया गया था।
ऐतिहासिक फैसला -
मुख्य न्यायाधीश सुधांशु धूलिया और न्यायमूर्ति सौमित्र सैकिया की खंडपीठ ने यह फैसला सुनाया। मुख्यमंत्री डॉ. हिमंत बिस्व सरमा ने ट्वीट में खुशी जताते हुए कहा है कि गौहाटी हाई कोर्ट का फैसला ऐतिहासिक है। हाईकोर्ट ने 397 प्रांतीय मदरसों को सामान्य शैक्षणिक संस्थानों में बदलने के लिए अन्य सभी अधिसूचनाओं को भी बरकरार रखा है।