मुंबई : बांद्रा स्टेशन पर कैसे जुटे हजारों लोग, क्या सो रही थी उद्धव सरकार

मुंबई : बांद्रा स्टेशन पर कैसे जुटे हजारों लोग, क्या सो रही थी उद्धव सरकार
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मुंबई। कोरोना वायरस के संक्रमण के कारण आज देश में लॉकडाउन की अंतिम तारीख को तीन मई तक के लिए बढ़ा दिया गया है। इस बीच महाराष्ट्र की राजधानी मुंबई में बांद्रा स्टेशन पर हजारों की संख्या में प्रवासी मजदूरों की भीड़ घर जाने के लिए इकट्ठा हो गई। यहां वे अपने-अपने घर जाने देने की मांग करने लगे। देश को हिला देने वाली इस घटना के बाद सवाल उठ रहा है कि उद्धव सरकार क्या कर रही है? लगातार मामले बढ़ने के बावजूद उद्धव सरकार कोई ठोस रणनीति नहीं पेश कर पाई है। लॉकडाउन लागू होने के बावजूद इतनी भीड़ जुटने के बाद विपक्षी बीजेपी ने इसे षड्यंत्र बताया है।

हम आपको बता दें कि भीड़ को नियंत्रित करने के लिए पुलिस को लाठीचार्ज करनी पड़ी। स्थानीय नेता के कहने पर भीड़ तितर-बितर हो गई। इस पूरे मामले पर गृह मंत्रई अमित शाह ने उद्धव ठाकरे को फोन कर हालातों की जानकारी ली है। इस दौरान गृह मंत्री ने सीएम ठाकरे से कहा कि इससे कोरोना वायरस के खिलाफ हमारी लड़ाई कमजोर होगी। प्रशासन को ऐसे हालातों से निपटने के लिए सतर्क रहना होगा। साथ ही उन्होंने पूर्ण समर्थन का भरोसा भी दिलाया।

बीजेपी प्रवक्ता प्रेम शुक्ला ने इस घटना के बारे में कहा, 'प्रशासनिक विफलता का जीवंत उदाहरण है। पुलिस कमिश्नर का दफ्तर बगल में है। ऐसी जगह पर अचानक 15 हजार लोग आ जाते हैं। यह दृश्य आश्चयर्जनक है। यहां प्रवासी मजदूरों की संख्या कम है। यह पुरानी बस्ती है, यह 1970 में बसी थी। पहले यहां स्लॉटर हाउस था। यहां प्रवासी मजदूर कहां से आए? इसका जवाब सरकार को देना होगा। मंत्री नवाब मलिक मामले में लीपापोती कर रहे हैं। उन्हें जवाब देना होगा कि ये कैसा षडयंत्र है? यहां जामा मस्जिद भी पास है। इसका जवाब सरकार को देना होगा।'

इस घटना के बाद सबसे गंभीर सवाल उद्धव ठाकरे की सरकार पर उठाए जा रहे हैं। मुंबई की पुलिस पर भी सवाल उठ रहे हैं कि आखिर लॉकडाउन लागू होने के बावजूद इतने सारे लोग सड़क पर कैसे आए गए? आपको बता दें कि महाराष्ट्र में ही कोरोना के सबसे ज्यादा मामले सामने आए हैं। मुंबई शहर में ही कोरोना के एक हजार से ज्यादा मामले सामने आ चुके हैं। मुंबई में कोरोना के 100 से ज्यादा मरीजों की मौत भी हो चुकी है।

कोरोना के मामले लगातार बढ़ने के बावजूद महाराष्ट्र सरकार उस सख्ती से निपट नहीं पा रही है, जिस तरह से राजस्थान या केरल की सरकार ने सख्ती दिखाई है। राजस्थान के भीलवाड़ा, केरल के कासरगोड या उत्तर प्रदेश के आगरा और लखनऊ में जिस तरह से कंटेनमेंट प्लान लागू किया गया कि इन इलाकों में कोरोना के मामले कम होने लगे हैं।

महाराष्ट्र सरकार इस मुद्दे पर बुरी तरह से फेल होती दिखाई दे रही है। फुल प्रूफ प्लान ना होने का नतीजा यह है कि अभी भी मुंबई और महाराष्ट्र में कोरोना के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। साथ ही कोरोना के कारण मौत भी महाराष्ट्र में ही सबसे ज्यादा हुई है। कोरोना के बढ़ते मामले, खाने की कमी और बढ़ता लॉकडाउन, ये ऐसी वजहें हैं, जो मुंबई के लोगों में डर पैदा कर रही हैं।

महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के विधायक बेटे आदित्य ठाकरे ने इसको लेकर केंद्र सरकार पर हमला बोला है। उन्होंने ट्वीट कर कहा, 'केंद्र सरकार द्वारा मजदूरों के घर वापस जाने के लिए कोई व्यवस्था नहीं की गई। वे खाना या आश्रय नहीं चाह रहे हैं। वे अपने घर वापस जाना चाह रहे हैं।'

देशभर में जारी कोरोना कहर के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देशव्यापी लॉकडाउन की अवधि को 3 मई तक बढ़ाने का फैसला लिया है। कोरोना वायरस लॉकडाउन के 21वें दिन देश के नाम संबोधन में मंगलवार को सुबह 10 बजे पीएम मोदी ने कहा कि कोरोना वायरस के खतरे को देखते हुए देश में 3 मई तक लॉकडाउन जारी रहेगा। हालांकि, उन्होंने कहा कि 20 अप्रैल के बाद कुछ सीमित सेक्टर्स में सशर्त सीमित छूट दी जा सकती है।

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