शहीद कर्नल आशुतोष शर्मा को नम आंखों से दी गई अंतिम विदाई, पत्नी-बेटी के छलकते रहे आंसू

शहीद कर्नल आशुतोष शर्मा को नम आंखों से दी गई अंतिम विदाई, पत्नी-बेटी के छलकते रहे आंसू
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नई दिल्ली। जम्मू-कश्मीर के हंदवाड़ा में आतंकियों से लोहा लेने के दौरान शहीद हुए सेना की 21 राइफल्स के कमांडिंग अफसर कर्नल आशुतोष शर्मा को आज राजकीय सम्मान के साथ जयपुर में नम आंखों से अंतिम विदाई दी गई। आज तड़के शहीद आशुतोष का पार्थिव शरीर जयपुर पहुंचा, जहां उन्हें तिरंगे में लपेट कर आखिरी विदाई और सलामी दी गई। जम्मू-कश्मीर के हंदवाड़ा में रविवार को कर्नल आशुतोष के साथ आतंकियों के खिलाफ ऑपरेशन में चार अन्य जवान शहीद हो गए थे।

समाचार एजेंसी एएनआई के मुताबिक, हंदवाडा मुठभेड़ में शहीद हुए कर्नल आशुतोष शर्मा को आज जयपुर में अंतिम विदाई दी गई। इस मौके पर उनकी पत्नी, बेटी और अन्य परिजन मौजूद थे। नम आंखों और राजकीय सम्मान के साथ कर्नल को अंतिम विदाई दी गई।

शहीद आशुतोष को राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने अंतिम विदाई दी। साथ ही भारतीय जनता पार्टी के नेता राज्यवर्धन सिंह राठौड़ ने भी श्रद्धांजलि अर्पित की। अंतिम विदाई के दौरान कर्नल की पत्नी लगातार रोती रहीं। बता दें कि शहीद आशुतोष का बुलंदशहर के रहने वाले हैं, मगर उनका परिवार काफी समय से जयपुर में रहता है।

21 राष्ट्रीय राइफल्स यूनिट के कमांडिंग ऑफिसर रहे कर्नल आशुतोष अपने आतंक रोधी अभियानों में साहस और वीरता के लिए दो बार वीरता पुरस्कार से नवाजे जा चुके हैं। इतना ही नहीं, शहीद आशुतोष कर्नल रैंक के ऐसे पहले कमांडिंग अफसर थे, जिन्होंने पिछले पांच साल में आतंकियों के साथ मुठभेड़ में अपनी जान गंवाई हो। इससे पहले साल 2015 के जनवरी में कश्मीर घाटी में आतंकियों से लोहा लेने के दौरान कर्नल एमएन राय शहीद हो गए थे। इसके अलावा, उसी साल नवंबर में कर्नल संतोष महादिक भी आतंकियों के खिलाफ अभियान में शहीद हो गए थे।

सेना के अधिकारियों के मुताबिक, कर्नल आशुतोष शर्मा काफी लंबे समय से गार्ड रेजिमेंट में रहकर घाटी में तैनात थे और वह आतंकवादियों के खिलाफ बहादुरी के लिए दो बार सेना मेडल से सम्मानित किए जा चुके हैं। आतंकियों को सबक सिखाने के लिए वह जाने जाते थे। अधिकारियों के मुताबिक, शहीद आशुतोष शर्मा को कमांडिंग ऑफिसर के तौर पर अपने कपड़ों में ग्रेनेड छिपाए हुए आतंकी से अपने जवानों की जिंदगी बचाने के लिए वीरता मेडल से सम्मानित किया जा चुका है। दरअसल, जब एक आतंकी उनके जवानों की ओर अपने कपड़ों में ग्रेनेड लेकर बढ़ रहा था, तब शर्मा ने बहादुरी का परिचय दिया था और आतंकी को काफी नजदीक से गोली मारकर अपने जवानों की जान बचाई थी। इसमें जम्मू-कश्मीर पुलिस के जवान भी शामिल थे।

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