महाराष्ट्र MLC चुनाव : भाजपा का नए चेहरों पर दांव, निर्विरोध जीत के लिए उद्धव ठाकरे को NCP

महाराष्ट्र MLC चुनाव : भाजपा का नए चेहरों पर दांव, निर्विरोध जीत के लिए उद्धव ठाकरे को NCP
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नई दिल्ली। महाराष्ट्र में भाजपा ने एक बार फिर अपने दिग्गज नेताओं को दरकिनार कर नए चेहरों को तरजीह दी है। राज्य में विधान परिषद के लिए घोषित चार उम्मीदवारों में दावेदार बड़े नामों को की जगह नए चेहरे चुनाव मैदान में होंगे। नौ सीटों के लिए होने वाले चुनाव में भाजपा से चार उम्मीदवार घोषित कर दिए जाने के बाद अब सत्तारूढ़ उद्धव ठाकरे सरकार के सामने अपने सहयोगियों के साथ सीटों के तालमेल का दबाव बन गया है। अगर सत्तारूढ़ गठबंधन छह सीटों पर लड़ता है तो उद्धव ठाकरे का निर्विरोध निर्वाचन संपन्न नहीं हो सकेगा।

महाराष्ट्र के विधान परिषद की 9 सीटों पर 21 मई को होने वाले चुनाव को लेकर भाजपा ने अपने पत्ते खोल दिए हैं। पार्टी ने विधान परिषद के चुनाव में अपने पुराने और दिग्गज नेताओं को नजर अंदाज कर नए चेहरों के नाम तय किए हैं। इनमें डॉ. अजित गोपछडे, प्रवीण डटके, गोपीचंद पडलकर और रणजीत सिंह मोहित पाटिल शामिल है। गोपीचंद पडलकर वंचित बहुजन अगाड़ी छोड़कर हाल ही में भाजपा में शामिल हुए हैं, जबकि रणजीत सिंह मोहित पाटिल एनसीपी से आए हैं।

महाराष्ट्र में भाजपा के कई दिग्गज नेता, जो विधानसभा चुनाव हार गए थे या टिकट नहीं मिला था, वो विधान परिषद के टिकट के संभावित दावेदार माने जा रहे थे। इनमे गोपीनाथ मुंडे की बेटी पंकजा मुंडे, पूर्व मंत्री एकनाथ खड़से और पूर्व मंत्री चंद्रशेखर बावनपुरे जैसे बड़े नाम शामिल हैं। पंकजा मुंडे विधानसभा चुनाव हार गई थीं। एकनाथ खड़से और चंद्रशेखर बावनपुरे को भाजपा ने विधानसभा चुनाव में टिकट नहीं दिया था। ये तीनों देवेंद्र फडणवीस के विरोधी गुट के माने जाते हैं। विधानसभा चुनाव के बाद से पंकजा और एकनाथ खड़से तो खुलकर बागी रुख अख्तियार किए हुए हैं, वहीं, चंद्रशेखर बावनपुरे केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी के करीबी नेता माने जाते हैं।

महाराष्ट्र के कुल 288 सदस्यीय विधानसभा में सत्ताधारी महा विकास अघाड़ी को 170 विधायकों का समर्थन हासिल है। इनमें शिवसेना के 56 विधायक, एनसीपी के 54 विधायक, कांग्रेस के 44 विधायक और अन्य 16 विधायक उनके साथ हैं। वहीं, भाजपा के नेतृत्व वाले विपक्ष के पास 115 विधायक हैं, जबकि दो एआईएमआईएम और एक मनसे के विधायक हैं।

विधान परिषद की एक सीट के लिए तकरीबन 32 वोटों की प्रथम वरीयता के आधार पर जरूरत होगी। इस लिहाज से महा अघाड़ी छह सीटों को लेकर समीकरण बना रही है, वहीं भाजपा की नजर भी चार सीटों पर है। इसके लिए सत्तापक्ष और विपक्ष दोनों की नजर निर्दलीय और छोटे दलों के विधायकों पर है। अगर सत्ता पक्ष छह व विपक्ष चार उम्मीदवार उतारता है तो मतदान कराना होगा।

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