3 महीने की बेटी की देखभाल में क्यों जुटी हैं नर्सें, जानें कारण
रायपुर। पूरा देश आज कोरोना के खिलाफ जंग लड़ रहा है। इस लड़ाई में मेडिकल स्टाफ दिन-रात मेहनत कर मरीजों की सेवा कर रहे हैं। इसके साथ-साथ कई ऐसे दृश्य भी देखने को मिले हैं, जो कुछ पल के लिए आपको भावुक कर देती है। ताजा दृश्य छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर स्थित एम्मस (AIIMS) का है, जहां एक कोरोना पॉजिटिव महिला की तीन महीने की बेटी की देखभाल भी वहां के स्वास्थ्यकर्मी कर रहे हैं।
रायपुर एम्स के निदेशक प्रो. डॉ. नितिन नागरकर ने कहा कि हमारे अस्पताल में 20 कोरोना पॉजिटिव मरीज हैं। इनमें से 2 मरीज के साथ उनके बच्चे भी आए थे। एक बच्चा 22 महीने का और एक तीन महीने का है। तीन महीने के बच्चे की देखभाल हमारे नर्सिंग स्टाफ कर रहे हैं और 22 महीने के बच्चे की देखभाल उसके पिता कर रहे हैं।
छत्तीसगढ़ में इस वायरस से संक्रमित अबतक 13 लोगों को इलाज के बाद छुट्टी दे दी गई है। जबकि 20 मरीज अस्पताल में भर्ती हैं।रायपुर स्थित एम्स अस्पताल के अधिकारियों ने मंगलवार को बताया कि अस्पताल से आज तीन मरीजों को इलाज के बाद छुट्टी दे दी गई, वे सभी कोरबा जिले के कटघोरा शहर के हैं। उन्होंने बताया कि लगातार दो बार तीनों मरीजों की जांच रिपोर्ट में संक्रमण नहीं नजर आने पर इन्हें छुट्टी दे दी गई।
अधिकारियों ने बताया कि एम्स में अभी कोरोना वायरस संक्रमित 20 लोगों का इलाज किया जा रहा है। इनमें से तीन लोगों को मंगलवार को भर्ती कराया गया है। छत्तीसगढ़ के कोरबा जिले का कटघोरा शहर राज्य में कोरोना वायरस संक्रमण का हॉटस्पॉट बना हुआ है। इस शहर से 24 लोगों में संक्रमण की पुष्टि की गई है।
छत्तीसगढ़ के बालोद जिले में शराब और अन्य सामाजिक कुरितियों के खिलाफ जंग लड़ने के लिए प्रख्यात महिला कमांडो इन दिनों कोरोना वायरस से बचाव की लड़ाई लड़ रही हैं तथा लोगों को सामाजिक दूरी (सोशल डिस्टेंसिंग) का महत्व समझा रही हैं।
राजधानी रायपुर से लगभग सौ किलोमीटर दूर बालोद जिले में इन दिनों महरून रंग की साड़ी, सुरक्षा कर्मियों की तरह गोल टोपी और फेस मास्क पहने महिलाओं को 'कोरोना की जंग, महिला कमांडो के संग, जीतेंगे हम' के नारे लगाते हुए देखा जा सकता है। यह महिलाएं लोगों को कोरोना वायरस से लड़ने के लिए जागरूक कर रही हैं तथा सोशल डिस्टेंसिंग का महत्व समझा रही हैं।