सिद्धू का चला सिक्का
चंडीगढ़/श्याम चौरसिया। जिस सिद्धू को खोटा सिक्का साबित करने के लिए cm कैप्टनअमिन्दर सिह ने गगन सरपर उठा लिया था।वही खोटा सिक्का केप्टन का फास बन चुका है।हाई कमान के फर्मान से खफा कैप्टन कोप भवन में भी चले गए थे। मगर आलाकमान न पिघला।
नव तैनात पंजाब के सूबेदार सिद्धू नामक सूर्य की भले ही कैप्टन ने अभी परिक्रमा नही ली हो। पर मन मार कर अर्ध अर्पित करके हाई कमान के फ़ैसले पर मोहर लगा ही दी। ये कैप्टन की मजबूरी थी। वजह। कभी छप्पनभोग से सजी रहने वाली कैप्टन की थाली में चंद मुट्ठी बाजरा ही बचा था।पकवानो को सिद्धू ने अपनी रसोई की खूंटी पर टांग लिया।
अब सिद्धू अमृतसर को मथने के बाद अश्वमेघ यज्ञ पर कूच कर गए।जालंधर, लुधियाना, मोगा, अम्बाला सहित दर्जन भर नगरों में सिद्धू को मिले व्यापक जनसमर्थन से कैप्टन की सांसे फूलने लगी।कांग्रेसी अपने सत्ता चूसक आचरण के विपरीत पहली बार सत्ता सिंहासन की बजाय संग़ठन की आरती उतारते दिख रहे है, ये चमत्कार सा है।बतौर सिद्धू बाहैसियत सदरे पंजाब bjp, अकाली दल, आप पार्टी की बजाय अपने ही cm कैप्टन की नीतियों को जन विरोधी बता जम कर हमले बोल कैप्टन की किरकिरी किए हुए है। सिद्धू के इस पैतरे से cm केप्टन से ज्यादा कांग्रेस की फजियत बढ़ रही है। अकाली ओर बीजेपी ने सिद्धू के बाणों को कांग्रेस का अंदरूनी सत्ता संग्राम बता पल्ला झाड़ लिया।
दरअसल सदरे पंजाब सिद्धू को लगता हे कि केप्टन को राजपथ से बेदखल करने का रामबाण सत्ता,संग़ठन नीतियों से आम कांग्रेसियों ओर आम जन,किसानों,महिलाओं को हुए सामाजिक,आर्थिक, शेक्षणिक नुकसान ओर खामियों का पर्दाफाश करना ही अंतिम विकल्प है। ताकि केप्टन को राजपथ से उतार नुक्कड़ का जायका दिया जा सके। हैरत । बाजवा जैसे नेता तक केप्टन से किनारा करते लगते है।
सदरे पंजाब सिद्धू का ख्याल है कि 2022 में होने वाले चुनावों में कांग्रेस के जहाज को पार लगाने और अकाली,बीजेपी, आप की पुंगी बजाने के लिए कैप्टन को हर स्तर पर तनखैय्या साबित कर दिया जाए।इस मुहिम में सिद्धू को आलाकमान का पुरजोर समर्थन भी लगता है।नशाग्रस्त हो चुके पंजाब को बादल परिवार से मुक्ति दिलाने के वायदे को पूरा करने में केप्टन विफल रहे।हालात जस के तस है।किसान भी नाराज है।सुखबीर सिंह बादल ओर उनकी सांसद पत्नी पूर्व मंत्री रोज संसद में किसान आंदोलन की पैरवी करते है।ताकि किसान आंदोलन की धार कुंद न पड़ जाए।
दरअस्ल केप्टन को ये गुमान हो गया था कि पूरे भारत मे औंधे मुंह गिरती कांग्रेस का सूर्य पंजाब में उनकी वजह से रोशन है। ये सत्य भी है। केप्टन की आहुतियों से ही पंजाब में कांग्रेस को से संजीवनी मिल सकी।यदि पंजाब न होता तो संसद में कांग्रेस के लोकसभा सदस्यों का आंकड़ा 42 से ज्यादा नही होता। न बीजेपी, अकाली का सफाया होता।कैप्टन की तपस्या से ही पंजाब गढ़ में बदल सका। बाकी पड़ोसी सूबे हरियाणा, हिमाचल,उत्तरांचल,दिल्ली में कांग्रेस खाता भी नही खोल पाई।
केप्टन के जनाधार से आलाकमान खोफ जदा रहा। सदी के सबसे बुरे दौर से गुजर रही कांग्रेस को तारने के लिए गांधी खानदान की बजाय केप्टन को कांग्रेस की कमान सोपने की पैरवी कुछ दिग्गजों ने करके 10 जनपद की भृकुटि तनवा दी। नतीजन केप्टन के पीछे आलाकमान ने सिद्धू नामक केतु लगा दिया। ये केतु आलाकमान की मंशा को खूब सिंधुर लगा रहा है।