इधर ओमिक्रोन का खतरा, उधर स्टाफ की कमी, जिला प्रशासन को भारी पड़ सकती है लापरवाही
श्योपुर। तुम्हारी फाइलों में गाँव का मौसम गुलाबी है ,मगर ये आंकड़े झूठे हैं ये दावा किताबी है। मशहूर कवि अदम गोंडवी साहब की गजल का यह शेर श्योपुर जिले की स्वास्थ्य विभाग सेवाओं पर चरितार्थ होता हुआ नजर आ रहा है महामारी के इस दौर मे श्योपुर जिला प्रशासन बेशक सुद्रण स्वास्थ्य सेवाओं का ढोल पीटे लेकिन इस ढोल की पोल भी जनता के सामने खुल ही जाती है।
जिले तहसील वीरपुर की ग्राम पंचायत में जिला स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही एवम स्वास्थ्य प्रबंधन की कमी का मामला सामने आया है। जो स्वास्थ्य विभाग पूरे रघुनाथ पुर एरिये को स्वस्थ रखने का प्रयास कर रहा हो वहीं रघुनाथपुर में स्वयं स्वास्थ्य विभाग की स्वास्थ सेवायें वेंटिलेटर पर रखी हुई।
एक तरफ जिला स्वास्थ्य प्रशासन एवम कलेक्टर सायबर मीडिया एवम धरातल पर लोगो को कोविड 19 की तीसरी लहर ओमिक्रोन के लिए जागरूक कर रहे हैं वहीं दूसरी तरफ रघुनाथपुर का प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र स्वयं स्वस्थ होने की दुहाई मांग रहा है। इस स्वास्थ्य केंद्र में है कमियों का ढेर अब कागजो में बेशक श्योपुर स्वास्थय विभाग अपनी सेवाओं की पूर्ति करता रहे लेकिन धरातल पर स्वास्थ्य सेवाओं के लाभार्थियों की संख्या कम है।
नहीं है पूर्ण स्टाफ -
रघुनाथपुर का यह प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र 5 अक्टूबर 2020 को शुरू हुआ जिसमे कोविड के समय एक रेगुलर डॉक्टर दो स्टाफ नर्स एवम दो वार्ड बॉय की अस्थाई नियुक्ति हुई 6 महीने के बाद इस स्टाफ को हटा दिया गया था उसके बाद वर्तमान में एक रेगुलर डॉक्टर और 2 स्टाफ नर्स है जोकि अपर्याप्त है क्योंकि जब डॉक्टर छुट्टी पर हो तो कोई दूसरा डॉक्टर उसकी जगह नहीं और स्टाफ नर्स अगर फील्ड पर हों तो हॉस्पिटल में कोई नहीं जिसके कारण स्वास्थ्य सेवायें पूर्ण रूप से प्रभावित हो रहीं हैं।
तो कितनों का हो स्टाफ -
एक डॉक्टर और वर्तमान दो स्टाफ़ नर्स को साथ लेकर एक फार्मासिस्ट, एक लैब टेक्नीशियन, एक वार्ड बॉय ,और एक स्टाफ नर्स और चाहिये। इसके बाद एक डॉक्टर एनएचएम से या फिर आयुष से हो । तब जाकर रघुनाथपुर का प्रथमिक स्वास्थ्य केंद्र अपनी सेवाओं का लाभ पूर्ण रूप से ग्रामीणों को दे सकता है। सबसे बड़ी बात यह भी है कि यहां हर रोज की ओपीडी 70 से 100 का आंकड़ा रखती है।
संसाधनों का अभाव -
जहां ओमिक्रोन के कारण से केंद्र एवम राज्य की सरकारों के हाथ पांव फूल कर बैठे हैं वहीं इस बीच रघुनाथपुर प्राथमिक स्वास्थ केंद्र में कोविड 19 की जांच नहीं है। ना तो है रेपिड किट ना आरटीपीसीआर की सुविधा क्योंकि रैपिड किट तो है ही नही और आरटीपीसीआर के लिए टेक्नीशियन की आवश्यकता है जो है नहीं। इस के लिए लोगों को या तो वीरपुर भागना पड़ता है या फिर विजयपुर स्वास्थ विभाग टीम की मदद लेनी पड़ती है । ऐसे में कोई यदि कोविड से संक्रमित हो और जब तक जांच समय पर ना हो सके तो वह पूरे रघुनाथपुर को ही संक्रमित कर दे।
बाउंड्री वाल का ना होना -
रघुनाथपुर का प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र रघुनाथपुर से बाहर आउट खुले जंगल जैसे इलाके में बना हुआ है डॉक्टर का कहना है कि बाउंड्री वाल ना होने से रात को जंगली कुत्ते एवम शियार क्वार्टर के पास आ जाते हैं लाइट परमानेंट न होने से कभी भी हादसा हो सकता है। एवम पीएससी में जनरेटर की सुविधा भी नहीं है।
क्या कहते हैं डॉक्टर
हमने पत्राचार के माध्यम से अपने वरिष्ठों को सूचित किया है। स्टाफ की कमी एवम संसाधनों के अभाव के कारण स्वास्थ सेवाओं को ठीक से मुहैया नही करा पा रहे हैं।
फिर भी हमारी दोनों ही नर्स बाखूबी फील्ड और हॉस्पिटल का कार्य कर रही हैं।
डॉ अशोक मांझी मेडिकल ऑफिसर रघुनाथपुर पीएससी
क्या कहते हैं सीएमएचओ
मैं स्वास्थ्य सेवाओं को सुधारने का प्रयास कर रहा हूं जैसे जैसे मांग बढ़ती जाएगी वैसे वैसे पूर्ति की जाएगी।
डॉ यादव सीएमएचओ श्योपुर
क्या कहते हैं कलेक्टर
आपके द्वारा मुझे सूचित किया गया है मैं इसे दिखवाता हूं
*शिवम वर्मा कलेक्टर श्योपुर