पंजाब में लागू होगा एक विधायक-एक पेंशन का फार्मूला

पंजाब में लागू होगा एक विधायक-एक पेंशन का फार्मूला
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फेमिली पेंशन में भी होगी कटौती, अधिकारी तैयार कर रहे ड्राफ्ट

चंडीगढ़। पंजाब सरकार ने पूर्व विधायकों पर शिकंजा कसते हुए एक विधायक-एक पेंशन का फार्मूला अप्रैल से लागू करने का फैसला लिया है। इसके बाद अब पंजाब में एक से अधिक बार चुने गए विधायकों और सांसदों को केवल एक पेंशन मिलेगी। पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने सत्ता संभालते ही पेंशन की समीक्षा करने के संकेत दिए थे।

पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने शुक्रवार को एक वीडियो जारी करते हुए कहा कि पंजाब में बेरोजगारी के साथ-साथ वित्तीय संकट बहुत बड़ा मुद्दा है। पंजाब में अब तक चुने गए विधायक ही अपनी पेंशन के माध्यम से सरकारी खजाने पर बोझ डाल रहे हैं। भगवंत मान ने पूर्व सीएम प्रकाश सिंह बादल का नाम लिए बगैर तंज कसते हुए कहा कि कुछ लोग राज नहीं सेवा कहकर वोट मांगते हैं और कई कई बार की पेंशन लेते रहे हैं। उन्होंने कहा कि इस समय पंजाब में बहुत से पूर्व विधायक ऐसे हैं जिनकी दो लाख से लेकर पांच लाख रुपये तक मासिक पेंशन हैं। कई लोग पहले पंजाब में विधायक बने और बाद में सांसद बन गए। वर्तमान में कुछ घर बैठे हुए पूर्व विधायक और पूर्व सांसद दोनों की पेंशन ले रहे हैं। इससे खजाने पर हर साल करोड़ों रुपये का बोझ पड़ रहा है।

भगवंत मान ने कहा कि इस प्रक्रिया में बदलाव किया जा रहा है। मान ने कहा कि अब चाहे पांच बार या छह बार का विधायक हो लेकिन उसे पेंशन एक बार की ही मिलेगी। मान ने कहा कि फेमिली पेंशन तथा भत्तों की भी समीक्षा की जा रही जिसमें आने वाले दिनों में कटौती की जाएगी। मान ने कहा कि इस संबंध में सभी अधिकारियों को निर्देश जारी कर दिए गए हैं, जो इस बारे में ड्राफ्ट तैयार कर रहे हैं। बहुत जल्द नई पॉलिसी लागू कर दी जाएगी।

पंजाब सरकार के इस फैसले का स्वागत करते हुए पूर्व उपमुख्यमंत्री एवं कांग्रेस विधायक सुखजिंदर सिंह रंधावा ने कहा कि यह सरकार का अच्छा फैसला है, इससे खजाने को लाभ होगा। अकाली दल विधायक मनप्रीत सिंह इयाली ने कहा कि राजस्व बचाने के लिए फैसला अच्छा है लेकिन बेहतर होता कि सरकार इसे लागू करने से पहले सभी दलों के वरिष्ठ नेताओं से विचार विमर्श करती। वर्तमान में बहुत से पूर्व विधायक ऐसे हैं जो पुराने समय में विधायक बने और वर्तमान में उनके परिवार का कोई सदस्य राजनीति में नहीं है। ऐसे पूर्व विधायकों का गुजारा केवल पेंशन से हो रहा है। इसलिए इसके लिए कोई मापदंड तय होने जरूरी हैं।

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