गुजरात चुनाव में पाटीदारों की भूमिका अहम, जानिए क्यों माने जाते है किंगमेकर ?
अहमदाबाद। गुजरात में पावर पॉलिटिक्टस के लिए राज्य की 15 फीसदी आबादी वाले पाटीदार समाज को अपने साथ करने के लिए तीनों ही प्रमुख पार्टियों के बीच होड़ मची है। राजनीतिक, सामाजिक रूप से अगुवा इस समाज को रिझाने के लिए जहां पहली बार राज्य में बड़े स्तर पर चुनाव लड़ रही आम आदमी पार्टी सबसे आगे दिख रही है। आम आदमी पार्टी ने राज्य में 182 विधानसभा सीटों में से 46 पर पाटीदार उम्मीदवार मैदान में उतारे हैं। वहीं भाजपा ने 44 और कांग्रेस ने 25 पाटीदारों को टिकट दिया है। राज्य में पिछले विधानसभा चुनाव 2017 में 48 पाटीदार विधायक थे, जिनमें 28 भाजपा के और 20 कांग्रेस के थे। वहीं वर्ष 2012 के चुनाव में पाटीदार विधायकों की संख्या 50 थी, जिनमें भाजपा के पास 36 और कांग्रेस के पास 14 थी।
राज्य की राजनीति में अहम भूमिका निभाने के साथ आर्थिक और सामाजिक रूप से अगड़े पाटीदार समाज के वोटों पर सभी राजनीतिक दलों की नजर रहती है। इस समाज को अपने साथ करने के लिए चुनावों में टिकट का तोहफा देकर प्रतिनिधित्व बढ़ाने की कोशिश की जाती है। इस बार भी यह स्पष्ट हुआ जब तीनों ही दलों ने पाटीदार वोट पर दावेदारी करते हुए उन्हें अपने साथ आने का न्यौता बतौर टिकट का उपहार देकर दिया।
लेउवा-कडवा का गणित
पाटीदार समाज में दो मुख्य उपजातियां हैं। इनमें एक लेउवा और दूसरी कड़वा पाटीदार हैं। कड़वा पाटीदार समाज उमिया माता को अपना कुलदेवी मानता है, वहीं लेउवा समाज खोडलधाम को अपना आराध्य मानता है। इन दोनों उपजातियों को संतुलित करने के लिए तीनों दलों ने टिकट बांटा है। भाजपा ने सर्वाधिक 24 टिकट लेउवा समाज को जबकि 20 टिकट कडवा समाज को दिया है। वहीं कांग्रेस ने 13 लेउवा और 12 कड़वा पाटीदार को टिकट दिया है। जबकि आम आदमी पार्टी ने 18 लेउवा और 28 कड़वा पाटीदार को टिकट दिया है। गुजरात की 26 लोकसभा सांसदों में 6 पाटीदार और राज्यसभा के 11 सांसदों में 3 पाटीदार सांसद हैं।
71 सीटों पर प्रभाव, 50 पर निर्णायक
राज्य की 71 सीटों पर पाटीदार प्रभावी हैं, इसमें 50 सीटों पर यह निर्णायक भूमिका में हैं। इनमें अधिकांश सौराष्ट, उत्तर गुजरात, दक्षिण गुजरात में हैं। हालांकि इस बार भाजपा ने सामाजिक संतुलन के आधार पर पांच सीटों पर पाटीदारों का टिकट काटकर अन्य जाति के उम्मीदवारों को टिकट दिए। इनमें अहमदाबाद की मणिनगर सीट से गत चुनाव के उम्मीदवार सुरेश पटेल की जगह अमूल भट्ट को टिकट दिया गया। इसके अलावा वढवाण से धनजी पटेल की जगह जगदीश मकवाणा, राजकोट पूर्व सीट से अरविंद रैयाणी की जगह उदय कनगड, माणवदर में नितिन फलदू की जगह जवाहर चावडा, जसदण से भरत बोधरा की जगह कुंवरजी बावलिया को टिकट दिया गया।
राज्य की 48 सीटों पर 40 हजार से अधिक मतदाता
राज्य विधानसभा की 48 सीटें ऐसी हैं, जहां पाटीदार के मतदाताओं की संख्या 40 हजार से अधिक है। एक अनुमान के अनुसार सबसे अधिक पाटीदार मतदाता विधानसभा क्षेत्र ऊंझा में है, जहां 85,407 मतदाता हैं। इसके अलावा विसनगर 63,958, बेचराजी 52,507, कडी 52,739, महेसाणा 63,131, विजापुर 67,538, हिंमतनगर 54,880, माणसा 47,090, घाटलोडिया 60,161, ठक्कर बापानगर 35,365, नारणपुरा 40,282, नीकोल 52,723, नरोडा 34,408, मणिनगर 52,121, साबरमती 44,221, ध्रांग्रध्रा 67,046, मोरबी 60,230, टंकारा 1,02,469, दस्क्रोई 51,959, विरमगाम 37,055, राजकोट-ईस्ट 55,969, राजकोट-वेस्ट 77,789, राजकोट-साउथ 35,795, राजकोट-ग्रामीण 94,485, जसदण 56,765, गोंडल 86,240, जामजोधपुर 46,112, माणावदर 69,337, जुनागढ 61,446, विसावदर 1,06,126, केशोद 57,647, धारी 58,195, अमरेली 75,871, लाठी 46,240, सावरकुंडला 54,470, जेतपुर 1,20,512, धोराजी 74,726, कालावड 55,008, जामनगर-ग्रा 40,292, सयाजीगंज 47,929, बोटाद 40,088, ओलपाड 39,245, कामरेज 40,043, सूरत-नो 81,631, वराछा 1,28,323, करजण 81,239, मजुरा 61,321, कतारगाम 1,01,541, लुणावाडा क्षेत्र में 49,204 पाटीदार मतदाता है।