नागालैंड फायरिंग : पुलिस ने दर्ज की FIR, मृतकों का हुआ अंतिम संस्कार
कोहिमा। सेना की उग्रवादियों के विरुद्ध की गई कार्रवाई के दौरान गलत पहचान के कारण फायरिंग में 15 आम नागरिकों की मौत से स्थानीय लोग गुस्से में हैं। इस संबंध में नगालैंड पुलिस ने टिजिट थाने में केस नं. 027/2021 यू/एस 302/307/34/आईपीसी की धाराओं में सेना के 21 पैरा विशेष बल की टुकड़ी के खिलाफ स्वत: संज्ञान लेते हुए एफआईआर दर्ज की है। मोन जिला में धारा 144 लागू की गई है।
हालांकि, मोन जिला में अफ्सपा कानून लागू होने की स्थिति में जब तक केंद्र सरकार अनुमति नहीं देती तब तक सेना पर मुकदमा नहीं चलाया जा सकता है। लेकिन यह एक दुर्लभ मामला है, जिसमें पुलिस ने नागरिकों पर गोलीबारी के आरोप में सेना के विशेष बलों के खिलाफ स्वत: हत्या के आरोप का मुकदमा दर्ज किया है।
उल्लेखनीय है कि शनिवार शाम को हुई इस घटना के बाद रात में ही राज्य के गृह आयुक्त ने इंटरनेट और एसएमएस सेवाओं पर रोक लगाने का आदेश दिया था। यह घटना उस समय हुई जब मोन जिला में उग्रवादियों के इलाके से पिकअप वाहन से गुजने की खुफिया सूचना के आधार पर सेना का दस्ता अभियान चलाने के लिए घात लगाए हुए था। जैसे ही पिकअप वाहन दिखाई दिया पहचान नहीं होने के चलते यह घटना घटी।
इस घटना के बाद ग्रामीणों के साथ झड़प में सेना के एक जवान की भी मौत हुई है। प्राथमिकी में नगालैंड पुलिस ने स्पष्ट कहा है कि पैरा स्पेशल बलों ने स्थानीय पुलिस को सूचित नहीं किया, न ही कोई पुलिस गाइड लिया, इसलिए सेना का कहना है कि यह 'गलत पहचान' थी। प्राथमिकी में पुलिस ने 'सुरक्षा बलों की मंशा नागरिकों की हत्या और घायल करना' बताया है।
परिवहन और नागरिक उड्डयन मंत्री पाइवांग कोन्याक, आयुक्त नगालैंड रोविलातुओ मोर, डीजीपी टीजे लोंगकुमेर और अन्य अधिकारी के नेतृत्व में एक उच्च स्तरीय प्रतिनिधिमंडल स्थिति का जायजा लेने के लिए रविवार को ओटिंग गांव पहुंचा। मुख्यमंत्री नेफ्यू रियो ने इस घटना की जांच के लिए एसआईटी का गठन किया है। मृतकों के आश्रितों को आर्थिक मदद पहुंचने के लिए पांच-पांच लाख रुपये की आर्थिक सहायता देने की राज्य सरकार ने घोषणा की। मुख्यमंत्री नेफ्यू रियो सोमवार को मृतकों के अंतिम संस्कार में शामिल हुए। मुख्यमंत्री ने नगालैंड से अफ्सपा को हटाए जाने की मांग की है। राज्य में लंबे समय से अफ्सपा को हटाने की मांग की जा रही है।