मणिपुर में हिंसा के बीच 2 महीने बाद खुले स्कूल, पहले दिन कम आए विद्यार्थी
इंफाल। मणिपुर में शिक्षकों, अभिभावकों और छात्र समाज की सहमति पर 62 दिन के बाद बुधवार से स्कूल खुल गए। पहले दिन स्कूलों में छात्रों की उपस्थिति नाममात्र की रही। पूरे राज्य में पहले दिन छात्रों की औसत उपस्थिति दर करीब 20 फीसदी रही।
मणिपुर सरकार ने हिंसाग्रस्त राज्य में अधिकांश स्कूलों के लगभग दो महीने बंद रहने के बाद बुधवार से सामान्य रूप से कक्षाएं फिर से शुरू करने के लिए दिशानिर्देश जारी किए थे। सरकार के प्रयासों के बावजूद उपस्थिति आशानुरूप से कम है। शिक्षा विभाग के एक शीर्ष अधिकारी ने बताया कि पहले दिन उपस्थिति दर काफी कम मात्र 20 फीसदी रही। इसके अलावा, राज्य के 96 स्कूलों में शरणार्थी शिविर खोले गए हैं। स्कूलों की सबसे बड़ी संख्या चुराचांदपुर जिले में है, जहां 41 स्कूलों को शरणार्थी शिविरों में बदल दिया गया है। इसके अलावा, बिष्णुपुर में 17, काकचिंग में 10, इंफाल पूर्व में 8, कांगपोकपी में 8, उखरुल ओतेंगलोपाल में 4, इंफाल पश्चिम और थौबल जिलों में 2-2 शरणार्थी शिविर खोले गए हैं। इसलिए अभी उन स्कूलों में पढ़ाई शुरू नहीं हो सकी है।
राज्य में लगातार छिटपुट झड़पों के बीच शिक्षकों, अभिभावकों और छात्र समाज ने छात्रों की पढ़ाई को ध्यान में रखते हुए लगातार बैठकें हुई। इसमें शांति बनाए रखने और स्कूलों को फिर से खोलने पर सहमति बनी। सामूहिक निर्णय के बाद मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह ने सोमवार को कक्षा एक से आठवीं तक के स्कूल 5 जुलाई से खोलने का आदेश दिया था।
छात्रों ने जताई ख़ुशी -
इस बीच, इंफाल के लिटिल फ्लावर स्कूल के एक छात्र का कहना है कि दो महीने घर पर रहने के चलते अपने दोस्तों और शिक्षकों से नहीं मिल पाया। स्कूल खुलने से खुश हूं। इंफाल के वांगखेई हाई स्कूल की प्रधानाध्यापिका आरके रंजीता देवी ने स्कूल खोलने संबंधी सरकार के फैसले का समर्थन किया। प्रधानाध्यापिका के अनुसार पहले दिन आज केवल 10 प्रतिशत उपस्थिति रही। चौथी कक्षा के छात्र के पिता भावेश शर्मा ने उम्मीद जताई कि कक्षाएं नियमित रूप से चलने से स्थिति सामान्य रहेगी। वह भी अन्य अभिभावकों की तरह आशावादी हैं कि जल्द ही राज्य में शांति और सद्भाव लौट आएगा।