सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र स्पीकर को लगाई फटकार, कहा - विधायकों की अयोग्यता पर जल्द लें फैसला
विधायकों की अयोग्यता पर फैसला लेने में स्पीकर की तरफ से देरी पर सुप्रीम कोर्ट नाराज़
नईदिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने विधायकों की अयोग्यता पर फैसले लेने में महाराष्ट्र विधानसभा स्पीकर की तरफ से हो रही देरी पर नाराजगी जाहिर की। चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा कि स्पीकर यूं ही अनिश्चितकाल तक अपने फैसले को नहीं टाल सकते। कम से कम अगले चुनाव तक फैसला लें। मामले की अगली सुनवाई 17 अक्टूबर को होगी।
चीफ जस्टिस ने कहा कि कोर्ट के आदेश के बावजूद स्पीकर कोई कार्रवाई नहीं कर रहे हैं। कोर्ट के आदेश का सम्मान किया जाना चाहिए। चीफ जस्टिस ने कहा कि स्पीकर 17 अक्टूबर को समय सीमा बताएं कि कब तक वो फैसला ले लेंगे। अगर स्पीकर समय सीमा नहीं बताते हैं तो कोर्ट आदेश पास करेगा। फिर कोर्ट उनके फैसला लेने की समय सीमा तय करेगा।
कोर्ट अजित पवार और उनके समर्थक विधायकों की अयोग्यता पर जल्द फैसले की मांग पर 17 अक्टूबर को सुनवाई करेगा। 9 अक्टूबर को सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र विधानसभा में विधायकों की अयोग्यता मामले में एनसीपी नेता जयंत पाटिल की याचिका पर सुनवाई करते हुए महाराष्ट्र विधानसभा के स्पीकर को नोटिस जारी किया था। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले को शिवसेना के उद्धव ठाकरे की याचिका के साथ टैग करने का आदेश दिया था।एनसीपी विधायक जयंत पाटिल ने विधानसभा के स्पीकर की ओर से अयोग्यता के मामले को जानबूझकर लटकाए रखने का आरोप लगाते हुए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की है।
जयंत पाटिल ने अपनी अर्जी में कहा है कि दो महीने से ज्यादा हो गए हैं लेकिन अब तक स्पीकर ने विधायकों को नोटिस देकर पूछताछ के लिए तलब भी नहीं किया है। पाटिल की अर्जी के मुताबिक विधायकों के अयोग्यता की अर्जी 2 जुलाई को दाखिल की गई थी। रिमाइंडर 5 सितंबर और प्रतिवेदन 7 सितंबर को दिया गया था। याचिका में कहा गया है कि याचिकाकर्ता ने स्पीकर से व्यक्तिगत तौर पर मुलाकात कर मामले पर शीघ्र निर्णय करने का आग्रह किया था। इसके बावजूद अभी तक कुछ नहीं हुआ।पाटिल ने अपनी याचिका में निर्वाचन आयोग में चल रहे मामले का भी जिक्र करते हुए कहा कि बागी विधायकों ने आयोग में अर्जी लगाई है, जिस पर नोटिस जारी हो चुका है। उधर, विधानसभा में स्पीकर ने शरद पवार गुट की ओर से नौ जुलाई को दी गई अर्जी पर भी कोई कार्यवाही नहीं की। इसमें अनुशासनहीनता के आरोपित विधायकों की अयोग्यता पर शीघ्र निर्णय लेने की बात कही गई है।उल्लेखनीय है कि शिवसेना विधायकों की अयोग्यता के मामले में हो रही देरी के खिलाफ उद्धव गुट ने भी सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है।