उत्‍तर प्रदेश: नियमित वेतन की मांग को लेकर तदर्थ शिक्षकों ने शुरू किया 'याचना' धरना…

नियमित वेतन की मांग को लेकर तदर्थ शिक्षकों ने शुरू किया याचना धरना…
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प्रांतीय संयोजक/अध्यक्ष राजमणि सिंह ने कहा-न्यायालय के निर्णय का सम्मान करे सरकार

लखनऊ। माध्यमिक शिक्षा निदेशालय पर उत्तर प्रदेश माध्यमिक तदर्थ शिक्षक संघर्ष समिति का तीन दिवसीय धरना 'याचना' गुरुवार को शुरू हो गया। इस दौरान हाईकोर्ट में दायर की गई 300 से अधिक याचिकाओं एवं सुप्रीम कोर्ट के ऑर्डर को इम्प्लीमेंट करवाने के लिए मांग बुलंद की।

इन याचिकाओं की सुनवाई करते हुए अदालत ने तदर्थ शिक्षकों को वेतन भुगतान करने का आदेश संबंधित डीआईओएस को दिया है। सरकार ने भी शासनादेश जारी किया। 1993 से तदर्थ शिक्षकों की सेवाएं समाप्त कर मानदेय दिए जाने का आदेश निर्गत किया गया।

उत्तर प्रदेश माध्यमिक तदर्थ शिक्षक संघर्ष समिति के प्रांतीय संयोजक/अध्यक्ष राजमणि सिंह ने बताया कि उच्च न्यायालय ने सरकार का आदेश स्थगित करते हुए वेतन निर्गत करने को कहा है। सरकार के कान पर जूं नहीं रेंग रही है।

2000 के बाद के तदर्थ शिक्षकों के संबंध में सरकार ने काउंटर दाखिल किया था उसमें भी 1993 से सभी तदर्थ को एक श्रेणी में माना गया। अर्थात सर्विस ऑफ नेचर सभी का एक माना है। दूसरा काउंटर एफिडेविट सरकार ने यह दिया था कि जो भी तदर्थ विनियमितीकरण की श्रेणी में आते हैं उनको विनियमित कर दिया गया है।

पुनः उच्च न्यायालय ने वेतन देने का आदेश किया तो सरकार को डबल बेंच में भी मुंह की खानी पड़ी। फिर सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी दायर की। सर्वोच्च न्यायालय ने आदेश निर्गत किया कि तदर्थ शिक्षकों को वेतन भुगतान किया जाए।

उन्होंने बताया कि सेवा एवं सुरक्षा दिए जाने को लेकर शिक्षा निदेशालय पर पुणे माध्यमिक तदर्थ संघर्ष समिति के बैनर तले धरना शुरू हो चुका है। इसमें प्रदेश महामंत्री प्रभात त्रिपाठी, आसाराम वर्मा, प्रदेश उपाध्यक्ष प्रेम शंकर मिश्रा, प्रदेश कोषाध्यक्ष राजेश पांडेय, ह्रदय मिश्रा, ब्रजेश द्विवेदी, अभिमन्यु सिंह, वेद प्रकाश पाठक, धर्मेंद्र शर्मा, दीपक सिंह, सुशील शुक्ला, राजेश सिंह, शैलेंद्र सिंह सहित 500 से अधिक शिक्षक आज धरना दे रहे हैं।

प्रदेश महामंत्री प्रभात त्रिपाठी ने उत्तर प्रदेश सरकार से यह मांग की है कि तदर्थ शिक्षकों की विषम परिस्थितियों को देखते हुए जीविकोपार्जन हेतु तदर्थ शिक्षक याचना के लिए विवश हैं। तत्काल वेतन का भुगतान शुरू कर देना चाहिए।

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