कर्बला और पैतृक जमीन को लेकर दो पक्ष आमने-सामने, दूसरे पक्ष ने एसडीएम सदर पर लगाया मिलीभगत का आरोप...
अयोध्या। 4 माह पूर्व 9 मई को नगर कोतवाली क्षेत्र में रामपथ किनारे स्थित वक्फ बोर्ड की जमीन के सामने सूर्यवंशी परिसर का बोर्ड लगाए जाने के बाद हुआ विवाद रविवार को फिर खड़ा हो गया। भीड़ एकत्र होती देख भारी तादात में पुलिस मौके पर पहुंच गई। वक्फ बोर्ड में पंजीकृत इस जमीन की देखभाल का जिम्मा वक्फ बारी तआला बड़ी बुआ के पास है लेकिन इसी जमीन के कुछ हिस्से पर देवकाली निवासी राम बहादुर सिंह ने अपनी पैतृक जमीन बताते हुए पैमाइश के बाद चिन्हित कराने की कोशिश की तो भारी बवाल खड़ा हो गया। राम बहादुर सिंह ने एसडीएम राज कुमार पांडेय पर विपक्षियों से मिली भगत का गंभीर आरोप लगाया है।
बता दें कि बीते 9 मई को भी पैमाइश के पूर्व राम बहादुर सिंह ने उक्त जमीन पर सूर्यवंशी परिसर का बोर्ड लगाया था जिसके बाद उठे बवाल को देखते हुए प्रशासन ने तत्काल बोर्ड को मौके से हटवा दिया था। गौरतलब हो कि रामपथ किनारे उदया चौराहे के पास कर्बला है, जहां ताजिए और शवों को दफन किया जाता है। वक्फ बोर्ड में पंजीकृत इस जमीन की देखभाल का जिम्मा वक्फ बारी तआला बड़ी बुआ के जिम्मे है। इस कर्बला की जमीन के एक हिस्से को देवकाली क्षेत्र निवासी राम बहादुर सिंह अपनी बताते हैं। जिसकी पैमाइश के लिए उन्होंने एसडीएम से आदेश कराया था और पुलिस की मांग की थी लेकिन मामले की जानकारी दूसरे पक्ष को लगी तो कर्बला के प्रबंधन आदि से जुड़े लोग मौके पर पहुँच गए और मामला रोक दिया गया था। रविवार को जब उन्होंने फिर जमीन पर कब्जे की कोशिश की तो मामले की जानकारी पुलिस को हुई तो सीओ सिटी के साथ कोतवाल नगर व अयोध्या तथा दोनो कोतवाली के कई चौकी प्रभारी मौके पर पहुंचे और भीड़ को तितर-बितर कराया।
राम बहादुर सिंह का कहना है कि उनके नाम जमीन का बैनामा है और दो माह से पैमाइश के लिए दौड़ रहे थे। अब जब डीएम के आदेश से पैमाइश हो चुकी है तो वह अपनी जमीन का घेरवाना चाहते है। जिस पर दूसरा पक्ष विवाद खड़ा कर रहा है। उन्होंने एसडीएम राज कुमार पांडेय पर भी विपक्षियों से मिलीभगत का गंभीर आरोप लगाया है। वहीं वक्फ बोर्ड से जुड़े मो आजम कादरी का कहना है कि यह संपत्ति वक्फ बोर्ड में पंजीकृत है तथा विपक्षी ने पूर्व में बाउंड्रीवाल निर्माण के दौरान भी इसी तरह हस्तक्षेप किया था। नगर कोतवाल अश्विनी पांडेय ने बताया कि दोनो पक्षों को समझाकर कोर्ट का आदेश आने तक मामले को शान्त रखने को कहा गया है।