मुख्तार अंसारी पर पोटा लगाने वाले पूर्व डिप्टी एसपी पर दर्ज मुकदमे को योगी सरकार ने लिया वापस
लखनऊ। प्रदेश की योगी सरकार ने मुख्तार अंसारी पर पोटा की कार्रवाई करने वाले पूर्व सीओ शैलेंद्र सिंह के खिलाफ दर्ज मुकदमा वापस ले लिया है। शैलेंद्र सिंह ने 2004 में सपा सरकार में हिम्मत दिखाते हुए पंजाब जेल में बंद यूपी के माफिया मुख्तार अंसारी पर पोटा के तहत कार्रवाई की थी। सरकार के इस फैसले से अपराधियों के खिलाफ सख्त एक्शन लेने वाले पुलिस कर्मियों का मनोबल बढ़ा है। वहीं, पूर्व सीओ शैलेंद्र सिंह ने भी योगी सरकार का आभार व्यक्त किया गया है।
मिली कोर्ट के आदेश की कॉपी
एसटीएफ में तैनात पूर्व सीओ शैलेंद्र सिंह के खिलाफ साल 2004 में मुकदमा दर्ज हुआ था। राजनीति दबाव के चलते पूर्व की सपा सरकार ने शैलेंद्र सिंह से न सिर्फ इस्तीफा ले लिया था बल्कि उनके खिलाफ मुकदमा भी दर्ज कराया था। राजनीति से प्रेरित ऐसे मुकदमों को वापस लेने का फैसला यूपी सरकार ने 20 दिसंबर, 2017 को ही कर लिया था। इसी क्रम में सीजीएम कोर्ट ने पूर्व सीओ शैलेंद्र सिंह पर हुआ मुकदमा वापस ले लिया। इस आदेश की प्रति उनको मंगलवार को प्राप्त हो गई।
दबाव के चलते जब देना पड़ा इस्तीफा
मुलायम सिंह यादव की सरकार साल 2004 में एसटीएफ के डिप्टी एसपी शैलेंद्र सिंह ने माफिया मुख्तार अंसारी के खिलाफ कार्रवाई करने की हिम्मत दिखाई थी। उन्हें जानकारी मिली कि सेना से एक भगौड़ा एक लाइट मशीन गन लेकर भागा है और उस मशीन गन को मुख्तार अंसारी खरीद रहा है। डिप्टी एसपी शैलेंद्र सिंह ने तुरंत अपना जाल बिछा दिया। मुख्तार और सेना के उस भगौड़े का फोन सर्विलांस पर लगा दिया। कार्रवाई के दौरान भगौड़ा पकड़ लिया गया। मशीन गन भी बरामद कर ली गई। इसके बाद डिप्टी एसपी शैलेंद्र सिंह ने मुख्तार के खिलाफ पोटा के तहत मुकदमा लिख दिया। मुकदमा दर्ज करने के बाद उन पर सरकार का दबाव पड़ने लगा। अपराधियों के खिलाफ हिम्मत दिखाने वाले शैलेंद्र सिंह को दबाव चलते इस्तीफा देना पड़ा। साथ ही उन पर मुकदमा भी दर्ज कर दिया गया।
मुख्यमंत्री का जताया आभार
पूर्व डिप्टी एसपी शैलेंद्र सिंह ने मुकदमा वापस लेने पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को धन्यवाद व आभार व्यक्त किया है। उन्होंने कहा कि उनका परिवार जीवन भर मुख्यमंत्री के आभारी रहेगा। अपराधियों के खिलाफ सरकार की जीरो टॉलरेंस नीति से उनके हौसलें पस्त हुए है। साथ ही इस तरह के फैसलों से पुलिस का मनोबल भी बढ़ेगा। इससे वह अपराधियों के खिलाफ कार्रवाई करने में पीछे नहीं हटेंगे।