बलिया: 10 के बदले तय करनी पड़ रही 70 किलोमीटर की दूरी, एक माह बाद भी तैयार नहीं हो सका खरीद दरौली पीपा पुल…

10 के बदले तय करनी पड़ रही 70 किलोमीटर की दूरी, एक माह बाद भी तैयार नहीं हो सका खरीद दरौली पीपा पुल…
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बलिया। तहसील सिकंदरपुर क्षेत्र के खरीद-दरौली के मध्य सरयू नदी पर बनने वाला पीपा पुल विभागीय अधिकारियों की लापरवाही से एक माह बाद भी चालू नहीं हो पाया है। इससे स्थानीय लोगों सहित बिहार की एक बड़ी आबादी को आवागमन में काफी परेशानी हो रही है।

इसके अभाव में 10 किमी की बजाय 70 किमी की दूरी तय करनी पड़ रही है। जबकि बरसात बीतने के बाद 15 नवंबर से पुल चालू हो जाना चाहिए। मगर अभी इसका कार्य अधूरा है। जिसके चलते लोगों को जान जोखिम में डालकर नाव के सहारे नदी पार करनी पड़ रही है।

दो खंडों में बनने वाले इस पीपा पुल के लिए पीपा तो लगा दिए गए हैं, लेकिन लकड़ी के स्लीपर के अभाव के कारण इसके संचालन को लेकर असमंजस की स्थिति बनी हुई है।

जबकि जिले के सिकंदरपुर, बांसडीह, मनियर आदि क्षेत्रों के लोगों को सीवान जिले के दरौली, मैरवा, नौतन, गुठनी, आदर, रघुनाथपुर, सिसवन, हसनपुरा, हुसैनगंज जाने का यह सबसे सुगम और नजदीकी मार्ग है।

छात्रों और व्यापारियों को हो रही दिक्कत : सरयू के दियारा क्षेत्र के सिसोटार, लील कर, खरीद, बिजलीपुर, बहदुरा, निपनिया, कठौड़ा, बसारीखपुर समेत दर्जनों गांवों के लिए यह पुल लाइफ लाइन का काम करता है।

इलाके के छात्र, व्यापारी, दूधिए समेत रोजाना आने जाने वाले लोगों के लिए यह पुल ही एकमात्र रास्ता है। वहीं बिहार क्षेत्र के कुछ किसानों की खेती दियारा में क्षेत्र में होने के कारण रोजाना लोगों का आना जाना लगा रहता है।

मगर पुल न होने से लोगों को नाव के सहारे नदी पार करनी पड़ती है। जो जोखिम भरा है। इसके बावजूद भी लोक निर्माण विभाग पुल निर्माण को लेकर लापरवाह बना है।

साल वुड स्लीपर के लिए मिला था 1.96 करोड़ : पीपा पुल के निर्माण में प्रयोग होने वाले साल वुड स्लीपर और एजिंग के लिए शासन से बीते अगस्त माह में एक करोड़ 96 लाख 93 हजार की वित्तीय स्वीकृति मिली थी।

जिसमें से एक करोड़ 38 लाख 70 हजार रुपए साल वुड स्लीपर और 28.19 लाख साल वुड एजिंग पर खर्च किए जाने थे। बावजूद निर्माणाधीन पीपा पुल पर यत्र तत्र लकड़ी के पुराने स्लीपर ही लगाए जा रहे हैं।

दो खंडों में होता है पीपा पुल का निर्माण : सरयू नदी पर पीपा पुल का निर्माण दो खंडों में कराया जाता है। नदी के प्रवाह क्षेत्र के विभाजन के कारण पहले खंड के निर्माण में औसतन 22 से 25 पीपा लगते हैं वहीं नदी का पाट चौड़ा होने के कारण दूसरे खंड में 70 से 75 पीपों की जरूरत होती है।

जिसके लिए करीब एक हजार से अधिक लकड़ी के स्लीपर और एजिंग सहित स्लीपर पर बिछाने के लिए लोहे की प्लेट्स और अन्य सामान की जरूरत होती है। इस संबंध में अधिशासी अभियंता (पीडब्ल्यूडी, निर्माण खंड) पन्ना लाल यादव से जब पूछा गया तो स्पष्ट कुछ बताने से इनकार कर दिया।

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