एक राष्ट्र एक निर्वाचन: डॉ.लोहिया ने की थी एक इलेक्शन की वकालत, बोले डॉ.दिनेश शर्मा, अखिलेश मानते होंगे तो करेंगे मसौदे का समर्थन
हरदोई। सूबे के पूर्व डिप्टी सीएम और राज्यसभा सदस्य डॉ.दिनेश शर्मा भारतीय जनता पार्टी के सदस्यता अभियान और ब्राह्मणों के ’जलसे’ में शामिल होने पहुंचे थे। वह जिलाध्यक्ष अजीत सिंह बब्बन के साथ पहले पार्टी मुख्यालय पहुंचे, जहां सदस्यता अभियान की आदर्श विद्यालय प्रभारी शोभना सिंह ने पुष्पगुच्छ से सांसद का स्वागत किया। इसके बाद प्रेस कॉन्फ्रेंस रूम में सदस्यता अभियान की अपडेट जानकारी के साथ पत्रकारों के सवालों के जवाब दिए। प्रश्नों के केन्द्र में वन नेशन वन इलेक्शन की कवायद और उस को लेकर मची सियासी गहमागहमी ही रही।
पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता वाली कमेटी ने एक देश एक चुनाव को लेकर सिफारिशें मार्च में सरकार को सौंप दी थीं। अब मोदी कैबिनेट से एक देश एक चुनाव का मौसदा पारित होने के बाद अब इस पर आम राय बनाने की कवायद चल रही है। लेकिन, संवैधानिक संशोधन बिना ये मसौदा कानून की सूरत नहीं ले सकता। संविधान के अनुच्छेद 83, 85, 172, 174 और 356 में संशोधन करना होगा।
लोकसभा में विधेयक को पास कराने के लिए 362 और राज्यसभा में 163 सदस्यों का समर्थन जरूरी होगा। संसद से मंजूरी के बाद विधेयक को करीब 15 राज्यों की विधानसभा का अनुमोदन भी जरूरी होगा। बीते लोकसभा आम चुनाव में संविधान बदलने का मुद्दा गरमाता रहा है, तो सरकार कदम फूंक फूंक के रख रही है, डॉ.दिनेश शर्मा के उत्तर से भी लगा ऐसा।
बोले, राजनाथ सिंह, किरेन रिजीजु और अर्जुन राम मेघवाल की कमेटी राजनीतिक दलों से संवाद करेंगे। कोविंद कमेटी ने 62 राजनीतिक दलों से संपर्क किया, 47 ने जवाब दिया है, 15 दलों ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी। पैनल की रिपोर्ट के अनुसार, 32 राजनीतिक दलों ने एक साथ चुनाव के प्रस्ताव का समर्थन किया है और जबकि 15 ने विरोध। बोले, प्रतिपक्ष से यह आग्रह है राष्ट्र निर्माण के मूल में आएं। सकारात्मक सोच के साथ आगे बढ़ें। चुनाव प्रक्रिया सीमित होने से समय बचेगा और खर्च में भी कमी आएगी, अपव्यय रुकने से संचित पैसे से विकास कार्य तेजी से बढ़ेंगे।
भाजपा अध्यक्ष का पार्टी संविधान के अनुसार चुनाव करा नहीं पाते, जहां ’वन पर्सन वन ओपिनियन’ का तंत्र हो, वहां वन नेशन वन इलेक्शन की बात होती है, इस तंज का डॉ. शर्मा ने घुमा कर जवाब दिया। बोले, ये हास्यास्पद बात है, कहने वाले को हमारी सांगठनिक प्रक्रिया पता नहीं है। हमारे सांगठनिक निर्वाचन की प्रक्रिया सदस्यता के साथ शुरू है। सदस्यता समाप्त होगी, चुनाव का एजेंडा घोषित हो जाएगा और पहले प्रदेश इकाइयों में, फिर केन्द्रीय संगठन में निर्वाचन प्रक्रिया अमल में लाई जाएगी।
सवाल उठा, एक देश एक चुनाव मसौदे का हश्र महिला आरक्षण बिल की तरह नहीं हो ? पूर्व उप मुख्यमंत्री डॉ. शर्मा ने इस प्रश्न की कमान पर उत्तर का तीर चढ़ाया और सपा मुखिया अखिलेश यादव की ओर दनदनाता हुआ छोड़ दिया। बोले, इतना ही कहना है, पहले मसौदे को पढ़ें, बड़े मन के साथ बदलाव को अपनाएं, बगैर देखे आशंका ठीक नहीं है। कहा, डॉ. राम मनोहर लोहिया देश भर में एक चुनाव के हामी थे और कई मौकों पर उन्होंने इसकी खुल कर वकालत की। लोहिया को जो भी मानते होंगे तो समर्थन करेंगे।
एसटीएफ को लेकर सपा मुखिया के नए बयान ’सरेआम ठोंको फोर्स’ को लेकर राज्यसभा सदस्य ने कहा, अच्छी और निडर फोर्स जान पर खेल कर अच्छा काम कर रही है, उसे करना काम है इनका। अब किसी पार्टी के लोगों और समर्थकों के भागने या दण्डित होने से कष्ट तो होगा। बोले, नेता जी, बहन जी और अखिलेश के शासन में भी यही स्पेशल टास्क फोर्स थी, बुरी थी तो भंग कर देते, अब मन का नहीं हो पा रहा तो खराब हो गई।
सवाल सैलाब पीड़ितों का उठा। पूर्व डिप्टी सीएम ने कहा, कानून व्यवस्था की तरह ही बाढ़ प्रबंधन भी योगी का अद्भुत काम है। पहले पीड़ितों से शहर भर जाते थे। लेकिन, अब राहत जिले पर ही मिल जा रही। इससे पहले ऐसा कभी नहीं दिखा। बाढ़ से पहली बार कोई बड़ी विभीषिका सामने नहीं आई।
जातिगत जनगणना पर उन्होंने राहुल और अखिलेश को सीधे घेरा। कहा, दोनों दलितों, पिछड़ों और अल्पसंख्यकों को अपमानित करने वाली परम्परा के वाहक हैं। कांग्रेस ने अंबेडकर, बाबू जगजीवन राम और सीताराम केसरी को अपमानित किया, ये वो समूह है जो दलितों पिछड़ों को केवल अपमानित करते हैं। भाजपा ने पिछड़ा प्रधानमंत्री दिया, पहले मुस्लिम, फिर दलित और अब आदिवासी राष्ट्रपति दिया, तो भाजपा को किसी से नहीं, हमसे नसीहत दूसरों को लेने की जरूरत है।