हरदोई: ब्राह्मण सम्मेलन मंच से दिनेश शर्मा के जाते ही 'आयोजकों और खायोजकों' में 'किचकिच', छोटे महाराज को जद्द-बद्द बकते हुए सर्वेश पाण्डेय 'हूंसेपुर' रवाना...

ब्राह्मण सम्मेलन मंच से दिनेश शर्मा के जाते ही आयोजकों और खायोजकों में किचकिच, छोटे महाराज को जद्द-बद्द बकते हुए सर्वेश पाण्डेय हूंसेपुर रवाना...
डॉ.दिनेश शर्मा का मुख्य अतिथित्व, विशिष्ट अतिथि रजनी तिवारी, मुख्य वक्ता नितिन अग्रवाल नहीं पहुंचे। सम्मेलन मंच से पूर्व डिप्टी सीएम के उतरते ही 'आयोजकों और खायोजकों' में मची 'खिच्चू', जिलाध्यक्ष सर्वेश पाण्डेय, मंच संचालक छोटे महाराज को जद्द-बद्द बकते हुए रवाना हुए 'हूंसेपुर'।

बृजेश 'कबीर', हरदोई। अभी कोई चुनाव भी आसपास नहीं है, सिवाए गन्ना सोसाइटी के। इस बीच शहर के बीच बड़े चौराहे पर आर्य कन्या पाठशाला प्रांगण में ब्राह्मण परशुराम संगठित समाज संरक्षण विश्व फाउंडेशन का ब्राह्मण महासम्मेलन आहूत था। कौतूहल ये था कि मुख्य अतिथि पूर्व उप मुख्यमंत्री डॉ. दिनेश शर्मा, विशिष्ट अतिथि उच्च शिक्षा राज्य मंत्री रजनी तिवारी और मुख्य वक्ता आबकारी एवं मद्य निषेध राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) नितिन अग्रवाल के होने की बात प्रचारित थी। लेकिन पहुंचे केवल राज्यसभा सदस्य डॉ. शर्मा ही। बाद में दोनों मंत्रियों के इर्द-गिर्द से जानकारी आई भीड़ जुटाने की गरज से ऐसा किया गया।

और तो और, सदर विधायक कैंप से ब्राह्मण चेहरे के तौर कोई प्रतिनिधित्व करता है तो वह हैं पूर्व पालिकाध्यक्ष और पूर्व डीसीबी चेयरमैन रामप्रकाश शुक्ल, उनकी रिहाइश सम्मेलन स्थल से कुछ ही कदमों पर है, वही नहीं दिखे। सम्मेलन का पहले जो बैनर बनवाया गया उसमें पूर्व जिलाध्यक्ष राजीव रंजन मिश्रा, जो आर्य सभा और उसकी शैक्षणिक संस्थाओं के प्रधान हैं इनका और निवर्तमान जिलाध्यक्ष सौरभ मिश्रा नीरज और क्रय विक्रय समिति अध्यक्ष सुशील अवस्थी छोटे महाराज का नाम बकायदे दर्ज है और ये दोनों पूरे समय रहे भी। मंच संचालन भी मजबूती से अवस्थी ने सम्भाल रखा था।

जिलाध्यक्ष अजीत सिंह बब्बन सांगठनिक प्रोटोकॉल में डॉ. दिनेश शर्मा के साथ पहुंचे। समय पूरा पूर्व जिलाध्यक्ष राम बहादुर सिंह ने भी दिया। जिला उपाध्यक्ष प्रीतेश दीक्षित और महामंत्री अनुराग मिश्रा भी पहुंचे, पर आमंत्रण से अधिक डॉ. दिनेश शर्मा के सानिध्य की चाहत में, कुछ देर दिखने के बाद दोनों ही सीन से तिरोहित थे। जिला मंत्री अविनाश पाण्डेय और आदर्श दीपक मिश्रा ने जरूर मंच को पूरा समय दिया। इस दौरान बालकृष्ण शास्त्री महाराज, जूना अखाड़ा के महंत आत्मानंद गिरि महाराज, महंत विलोम नाथ महाराज, वरिष्ठ भाजपा नेता राजा बक्श सिंह, सदस्य रेल मंत्रालय ऋचा वशिष्ठ भी मंचस्थ थे।


...और हो गई भसड़ : ब्राह्मण महासम्मेलन की पृष्ठभूमि जिलाध्यक्ष सर्वेश पाण्डेय ने तैयार की थी। पाण्डेय सीएसएन डिग्री कॉलेज छात्रसंघ के उपाध्यक्ष और अपने गांव हूंसेपुर के प्रधान रह चुके हैं। लेकिन, छोटे महाराज छात्र राजनीति के प्रोडक्ट को खेल गए। मुख्य आयोजक ब्राह्मण परशुराम संगठित समाज संरक्षण विश्व फाउंडेशन जिलाध्यक्ष सर्वेश पाण्डेय को संचालक ने मंच पर कोई तवज्जो नहीं दी। यही नहीं, दूसरे संगठनों को स्वागत में प्रमुखता दी। ’भारी माला से स्वागत’ कराने को पहले प्राथमिक शिक्षक संघ जिला उपाध्यक्ष अक्षत पाण्डेय की टीम को बुला लिया, फिर कोई और दल आया दूसरा, सर्वेश पाण्डेय ’मंच का कोना’ पकड़े ’खिसिर खिसिर’ करते दिखे। इस बीच मुख्य अतिथि को फरसे आदि भी भेंट हो गए, पर पाण्डेय को हाथ लगाने को नहीं मिला।

फरसे से याद आया, भाजपा दफ्तर में सुहाना जैन ने डॉ.दिनेश शर्मा को फरसा भेंट किया, इस पर उन्होंने चुटकी ली, जैनी अहिंसा मानते हैं, फिर इस भेंट का ’तुक’ ? सम्मेलन खात्मे की ओर बढ़ा, मुख्य अतिथि भोजन कक्ष के भीतर गए और इधर सर्वेश पाण्डेय और उनकी टीम का गुबार बाहर आ गया। बोले, बताओ गेट पर लगे बैनर तक पर जिलाध्यक्ष का फोटो नहीं, महिला मोर्चा जिलाध्यक्ष पूजा शुक्ला का है। बोले, आदमी हमारे, व्यवस्था हमारी और चमचम छोटे महाराज का, बैनर से बाहर, मंच पर तवज्जो नहीं, खाने पर भी मुख्य अतिथि से नहीं मिलवाया, ऐसी तैसी में जाए ...इतना कह सर्वेश पाण्डेय पहले से स्टार्ट बाइक पर सवार हुए और ’गुबार उड़ाते’ हुए हूंसेपुर निकल गए ...ब्राह्मण सम्मेलन के बाद पीछे छोड़ गए खाने की मेज पर डॉ. दिनेश शर्मा, अजीत सिंह बब्बन, राजीव रंजन, सौरभ मिश्रा, राम बहादुर सिंह और छोटे महाराज को, इस तस्वीर पर फ़राज़ को कहीं पढ़ा था...

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हम जातिवादी नहीं, मनुवादी : डॉ. दिनेश शर्मा


राज्यसभा सदस्य और ब्राह्मण महासम्मेलन के मुख्य अतिथि डॉ. दिनेश शर्मा ने कहा, ब्राह्मण को देवता कहा जाता है तो लोगों को दर्द होता है। क्यों नहीं कहा जाना चाहिए देवता, हम अध्ययन करते हैं, अध्यापन करते हैं, समाज को जोड़ कर रखते हैं, संस्कृति की रक्षा करते हैं, सबसे बड़ी बात हम विध्वंस और सृजन की परम्परा से आते हैं। कहा ब्राह्मण को जाति व्यवस्था का दोष दिया जाता है, जबकि मांगलिक अवसरों पर नाई, कहार, माली, धोबी जैसे वर्गों का नेग पहले दिलाकर समाज के वंचित लोगों को जोड़ने का काम करते हैं। रामायण वाल्मीकि और महाभारत वेदव्यास ने रची, वो तो जन्मना ब्राह्मण नहीं थे, पर हम उन्हें भगवान मानते हैं।

मनुवाद में वर्ण आधारित व्यवस्था है, सबको जुड़ कर आगे बढ़ने की व्यवस्था है। कर्म आधारित है मनुस्मृति, जाति आधारित नहीं। जातियां और उपजातियां अंग्रेजों की पैदा की हुई व्याधि है, इसे समझना होगा। इस षड्यंत्र को आज भी पोषित किया जा रहा है। इस ओर मुख्य अतिथि ने राहुल और अखिलेश की ओर इशारा किया। पूर्व उप मुख्यमंत्री ने ब्राह्मण समाज से अंडा केक का बहिष्कार करने का प्रस्ताव पारित करने को कहा।

बोले, ये काटने की संस्कृति का पोषक है। हमारे यहां जन्मदिन पर मोतीचूर बूंदियों को बांध कर स्वादिष्ट लड्डू बनाया जाता था, उसी परंपरा को बढ़ाना है। केक पर मोमबत्ती सजा कर फूं-फां नहीं करनी है। इस दौरान मंच पर कई संत मौजूद रहे, पर मुख्य अतिथि के भोजन कक्ष में जाने और विदाई के बाद संतों की भी सुध नहीं ली गई, लेता भी कौन आयोजक जा चुका था और खायोजक को जो साधना था ’साध’ चुका था।

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