हरदोई: जाने कितने राज़ खुलें जिस दिन चेहरों की राख धुले, चर्चित डॉ.शरद वैश्य का 'उजला' नहीं है अतीत, 2020 में वित्तीय गड़बड़झाले में हो चुके सस्पेंड...

जाने कितने राज़ खुलें जिस दिन चेहरों की राख धुले, चर्चित डॉ.शरद वैश्य का उजला नहीं है अतीत, 2020 में वित्तीय गड़बड़झाले में हो चुके सस्पेंड...
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तत्कालीन भाजपा जिलाध्यक्ष की 'मेहर' से वापस पाए थे संडीला सीएचसी की 'मनसबदारी'।

बृजेश 'कबीर', हरदोई। संडीला सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के अधीक्षक पद से इस्तीफा देकर एक बार फिर चर्चा में आए डॉ.शरद वैश्य का भूतकाल बहुत सच्चा सुच्चा नहीं है। साल 2020 में तत्कालीन जिलाधीश पुलकित खरे की पड़ताल में संडीला सीएचसी के तत्कालीन प्रभारी चिकित्साधिकारी रहे डॉ. वैश्य के हाथ प्रशासनिक और वित्तीय अनिमितताओं में सने पाए गए थे। इसके बाद शासन ने उन्हें निलंबित कर दिया था।

प्रकरण में शासन के चिकित्सा अनुभाग के सचिव के जारी आदेश में अपर निदेशक (चिकित्सा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण) को जांच अधिकारी नामित किया गया था। ये मामला इस कदर खिंचा था कि डीएम कैंप पर पहुंचे कोरोना से जुड़ी बैठक में डॉ. वैश्य तत्कालीन जिलाधीश पर सवारी गांठ लिए थे। प्रांतीय चिकित्सा सेवा संघ ने निलंबन के विरोध कोविड 19 के कार्यों के बहिष्कार किया था।

साल 2020 में डॉ.शरद वैश्य पर सोशल मीडिया पर आपत्तिजनक टिप्पणी से सामाजिक सौहार्द बिगाड़ने, वित्तीय और प्रशासनिक अनियमितताएं, आला अफसरों के आदेशों की अवहेलना के आरोप लगा शिकायत की गई थी। तत्कालीन जिलाधीश पुलकित खरे ने तत्कालीन नगराधीश, प्रशासनिक व अधिशासी अभियंता (प्रांतीय लोक निर्माण विभाग) और वरिष्ठ कोषाधिकारी से वित्तीय अनियमितता की जांच कराई थी।

जांच रिपोर्ट के आधार पर 24 मई 2020 की शाम उन्हें निलंबित कर दिया गया था। विभाग के सचिव वी. हेकाली झिमोमी के आदेश में डॉ. शरद वैश्य पर लगे आरोप प्रथम दृष्टया सही मानते हुए उनके कार्य को सरकारी कर्मचारी नियमावली के विपरीत बता तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया था। जांच अपर निदेशक चिकित्सा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण (लखनऊ मंडल) को सौंपी गई थी।

बहुत बड़े वाले हैं डॉ.शरद, 'गुरु' से चाही 'महीनवारी', डांटा तो किया 'रिलीज' : संडीला सीएचसी में तैनात रहे मशहूर सर्जन ने डॉ.शरद वैश्य को जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज कानपुर में पढ़ाया है और 2006 में सण्डीला पोस्टिंग भी उन्हीं ने कराई थी। दो साल बाद 2008 में 'उस्ताद' ने भी स्वास्थ्य विभाग में शल्य चिकित्सक की नौकरी पकड़ ली और सीएचसी संडीला पर पोस्टिंग मिल गई। सर्जन बताते है, बहुत बड़े वाले हैं ये, जब अधीक्षक था तो उनसे ही पैसे 'मंथली' की बात करने लगा। सख्ती से डांट दिया तो साजिशें करने लगा और उन्हें एकतरफा रिलीज़ कर दिया, जिसकी शिकायत शासन और महानिदेशक से की थी। फिर 2020 यह सस्पेंड हो गया और इसकी ग़ाज़ियाबाद पोस्टिंग हो गयी। बाद में पैसा खर्च कर उन्नाव में पोस्टिंग ली और उसी ट्रिक से सण्डीला आ गया।

डॉ.शरद के आने के वक़्त सर्जन सण्डीला सीएचसी के सुपरिंटेंडेंट थे। तत्कालीन भाजपा जिलाध्यक्ष ने तत्कालीन केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा टेनी से बकायदे डॉ. शरद वैश्य को सण्डीला सीएचसी का इंचार्ज बनवा देने की पैरवी की थी। केंद्रीय मंत्री अजय मिश्र टेनी के हस्तक्षेप से अगले ही दिन तत्कालीन सीएमओ हरदोई ने सर्जन को अधीक्षक पद छोड़ सिर्फ सर्जन का कार्य करने को कहा। सोमवार को डॉ. शरद वैश्य के इस्तीफे की सनसनी, मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ.रोहतास पर लगाए उनके आरोप और खुद उनका अपना अतीत, इस कॉकटेल पर बस दो लाइनें जेहन में आती हैं...

चेहरे पे जो लिखा है वही उस के दिल में है, पढ़ ली हैं सुर्ख़ियों तो ये अख़बार फेंक दे...

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