महाकुंभ भगदड़: मरने वालों के आंकड़ों पर सवाल, हाईकोर्ट ने मांगा रिकॉर्ड

Mahakumbh stampede
Mahakumbh stampede: 29 जनवरी मौनी अमावस्या के दिन महाकुम्भ में भगदड़ मची थी। जिसमें कई लोग गायब हो गए और सरकार की तरफ से जो बयान आया उसमें बताया गया कि 30 श्रद्धालुओं की मौत हो गई थी। अब इस घटना को लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की गई है। इस याचिका में लापता और मृतकों की जानकारी जुटाने के लिए एक न्यायिक निगरानी समिति गठित करने के लिए मांग की गई है। इस मामले को लेकर आज हाईकोर्ट में सुनवाई हुई। इस केस की सुनवाई इलाहाबाद हाईकोर्ट की चीफ जस्टिस अरुण भंसाली और जस्टिस क्षितिज शैलेन्द्र की बेंच ने की। आज सुनवाई के दौरान अदालत ने याचिकाकर्ता को निर्देश किया कि अपने आरोपों के समर्थन में संबंधित सामग्री अदालत के रिकॉर्ड में दर्ज कराये। फिलहाल अब इसकी अगली सुनवाई 19 फरवरी को होगी।
भगदड़ में कई लोगों के मौत की आशंका
महाकुम्भ भगदड़ की जांच को लेकर याचिकाकर्ता सुरेश चंद्र पांडेय की ओर से दाखिल जनहित याचिका में दावा किया गया है कि भगदड़ में कई लोगों की मौत हुई थी। जबकि कई लोग अब भी लापता हैं। उन्होंने अदालत से अनुरोध किया है कि इस मामले में न्यायिक निगरानी समिति बनाई जाए, जो निष्पक्ष जांच करे और वास्तविक आंकड़ों का खुलासा करे। याचिका में यह भी आरोप लगाया गया है कि भगदड़ में मारे गए लोगों के शवों को दयनीय स्थिति में रखा गया। याचिकाकर्ता ने कुछ मीडिया रिपोर्टों का हवाला देते हुए कहा कि शवों को जमीन पर बोरों में लपेटकर रखा गया और रेफ्रिजरेशन की समुचित व्यवस्था न होने के कारण वे सड़ने लगे। इसके चलते मृतकों के परिजनों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ा।
यूपी सरकार द्वारा गठित जांच आयोग का दायरा सीमित
याचिकाकर्ता के वकील ने अदालत में भी यह भी तर्क दिया कि यूपी सरकार ने जो जांच आयोग गठित की है उसका दायरा बहुत ही सीमित है। वकील ने यह भी कहा कि सरकार के आयोग की जांच केवल प्रशासनिक स्तर पर हुई लापरवाही तक सीमित है, जबकि लापता लोगों का पता लगाने और मृतकों की वास्तविक संख्या को लेकर कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए हैं। याचिका में यह भी मांग की गई है कि जांच समिति की जानकारी प्रमुख समाचार पत्रों और लोकल मीडिया में भी प्रकाशित कराई जाए, ताकि जनता भी समिति तक अपनी जानकारी पहुंचा सके। इससे जांच में अधिक पारदर्शिता आएगी और प्रभावित परिवारों को न्याय मिल सकेगा।
19 फरवरी को होगी अगली सुनवाई
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ता को निर्देश दिया है कि वह अपने आरोपों को साबित करने के लिए ठोस साक्ष्य अदालत के रिकॉर्ड में दर्ज कराए। इस मामले की अगली सुनवाई 19 फरवरी को होगी।