संभल: CM योगी का बड़ा बयान, कहा - इतना प्राचीन मंदिर रातों-रात प्रशासन ने बना दिया क्या?

CM योगी का बड़ा बयान, कहा -  इतना प्राचीन मंदिर रातों-रात प्रशासन ने बना दिया क्या?
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संभल, उत्तरप्रदेश। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने संभल में मंदिर पाए जाने पर बयान दिया है। उन्होंने सवाल किया है कि, 'क्या इतना प्राचीन मंदिर क्या रातों-रात प्रशासन ने बना दिया।' मुख्यमंत्री के सवाल के बाद संभल में राजनीतिक माहौल गरमा गया है। यहां बीते दिनों एक मंदिर मिला था।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा - अयोध्या में राम मंदिर नहीं होता तो क्या यहां इतने विकास के कार्य होते। आने वाला जनमानस प्रफुल्लित है, यहां आमजनमानस भी खुश हैं लेकिन संविधान में चोरी से सेक्यूलर शब्द डालने वाले लोग दुखी हैं। वे अपने निकम्मेपन पर हमें कोस रहे हैं। याद रखिए ये कितना भी रागा लापें...संभल में 46 साल मंदिर पर ताला डला रहा लेकिन संभल में इतना प्राचीन मंदिर क्या रातों-रात प्रशासन ने बना दिया? क्या वहां बजरंगबली की इतनी प्राचीन मूर्ति रातों-रात आ गई? उन दरिंदों को आज तक सजा क्यों नहीं मिली, जिन्होंने 46 वर्ष पहले संभल में नरसंहार किया था? इस पर चर्चा क्यों नहीं होती है?

बता दें कि, संभल में कल (14 दिसंबर) जिला पुलिस और प्रशासन द्वारा चलाए गए अतिक्रमण विरोधी अभियान के दौरान पाए गए हनुमान मंदिर में रविवार सुबह आरती की गई। दावा है कि, यह मंदिर 46 साल पुराना है। सपा सांसद बर्क के घर से इस मंदिर की दूरी 200 मीटर है। रविवार सुबह यहां लोगों ने इकठ्ठा होकर आरती की।

संभल में बंद पड़े मंदिर में आज से पूजा-पाठ शुरू हो गई है। मंदिर को छुपाने के लिए यहां निर्माण किया गया था। जिला प्रशासन ने रातों रात नया निर्माण हटवाया है। मंदिर को अब पूरी तरह से कब्जा मुक्त कर दिया गया है। मंदिर अपने पुराने स्वरूप में दिखाई देने लगा है। भक्तों ने आज जल चढ़ा कर पूजा-अर्चना की है। यह मंदिर भस्मा शंकर का बताया जा रहा है।

संभल के नखासा चौराहा इलाके में बिजली विभाग और प्रशासन की टीम शनिवार को बिजली चोरी के मामले की जांच कर रही थी। इसी बीच, नखासा थाना क्षेत्र के मोहल्ला खग्गू सराय में 46 साल से बंद पड़ा भगवान शिव का मंदिर मिला। इस मंदिर का ताला प्रशासन ने भारी सुरक्षा के बीच तोड़ा।

रिपोर्ट्स के मुताबिक, अवैध अतिक्रमण और बिजली चोरी के खिलाफ डीएम और एसपी की संयुक्त छापेमारी में यह मंदिर मिला है। स्थानीय ने जानकारी देते हुए बताया कि, 1978 के बाद मंदिर को दोबारा खोला गया है।

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