संभल हिंसा: दंगाइयों के लगेंगे पोस्टर, नुकसान की पाई-पाई की वसूली जाएगी…
लखनऊ/संभल। संभल में कोर्ट के आदेश पर हुए जामा मस्जिद के सर्वे के दौरान भड़की हिंसा के बाद पुलिस-प्रशासन लगातार कार्रवाई कर रही है। इस मामले में 27 आरोपी पकड़े जा चुके हैं। इनमें से 3 नाबालिग भी हैं।
74 अन्य दंगाइयों-बलवाइयों की पहचान की गई है जो अभी फरार हैं, उनकी तलाश जारी है। इस बीच योगी सरकार संभल में उपद्रव करने वाले आरोपियों पर सख्त एक्शन लेने के मूड में है। सूत्रों के अनुसार सरकार ने निर्णय लिया है कि हिंसा-आगजनी के कारण हुए सार्वजनिक और निजी संपत्ति के नुकसान की भरपाई वह दंगाइयों-बलवाइयों से ही करेगी।
योगी सरकार इसके लिए हिंसा-आगजनी की घटनाओं के लिए रामबाण अचूक इलाज बन चुके वसूली कानून का सहारा लेगी।
गृह विभाग से जुड़े सूत्रों के अनुसार, संभल में जामा मस्जिद सर्वे को लेकर भड़की हिंसा के खिलाफ अब योगी सरकार सख्त करवाए करने जा रही है। हिंसा के पत्थरबाजों और उपद्रवियों पर योगी सरकार नए नुकसान से वसूली अध्यादेश के तहत कार्रवाई करने जा रही है।
योगी सरकार इन उपद्रवियों का भी 'रामबाण' इलाज करने के मूड में है। योगी का यह रामबाण इलाज दंगाइयों के लिए अचूक औषधि का काम करता रहा है। उपद्रवियों के पोस्टर सार्वजनिक स्थानों पर लगाए जाएंगे।
साथ ही हिंसा के दौरान प्राइवेट और सार्वजनिक प्रॉपर्टी को नुकसान की वसूली भी होगी। इतना ही नहीं सरकार उपद्रवियों के ऊपर इनाम भी घोषित कर सकती है।
अब तक पुलिस ने 21 आरोपियों के पोस्टर जारी किये हैं, जिनमें तीन बच्चे भी शामिल हैं। पुलिस अधीक्षक के मुताबिक अभी तक 100 उपद्रवियों की शिनाख्त हो चुकी है।
गौरतलब है कि योगी सरकार पहले ही उपद्रवियों और अपराधियों के खिलाफ नुकसान की वसूली और सार्वजनिक स्थलों पर पोस्टर लगाने का अध्यादेश जारी कर चुकी है। दरअसल, दिसंबर 2019 में सीएए के खिलाफ यूपी के कई शहरों में हिंसा हुई थी।
इसके बाद योगी सरकार की तरफ से लखनऊ समेत अन्य शहरों में आरोपियों के पोस्टर चौराहों लगाए गए थे। साथ ही, सभी को वसूली का नोटिस भेजा था। जिसके खिलाफ हाईकोर्ट में जनहित याचिका दाखिल की गई थी। हाईकोर्ट ने पोस्टर सार्वजनिक करने पर रोक लगा दी थी, जिसके बाद योगी सरकार यह अध्यादेश लेकर आई थी।
इस तरह होगी नुकसान की भरपाई : संभल के पत्थरबाजों और उपद्रवियों पर योगी सरकार सख्त रूप से एक्शन लेने की तैयारी में है। अब तक मिली जानकारी के मुताबिक, सार्वजनिक स्थानों पर इन पत्थरबाजों और उपद्रवियों के पोस्टर लगेंगे।
इन उपद्रवियों से नुकसान की वसूली भी होगी। इसके साथ ही इनपर इनाम भी जारी किया जा सकता है। यूपी सरकार पहले से ही उपद्रवियों और अपराधियों के खिलाफ नुकसान की वसूली और पोस्टर का अध्यादेश जारी कर चुकी है।
पुलिस ने अब तक 12 दर्ज की हैं 12 एफआईआर : संभल हिंसा में अभी तक 27 लोगों को जेल भेजा जा चुका है, जिसमें दो महिलाएं और चार नाबालिग भी शामिल हैं। अब तक कुल 12 एफआईआर पुलिस की तरफ से दर्ज की गई है, जिसमें सांसद जिया-उर-रहमान बर्क और विधायक इकबाल महमूद के बेटे सोहेल इकबाल को नामजद आरोपी बनाया गया है।
साथ ही 2,700 अज्ञात के खिलाफ भी केस दर्ज किया गया है। पुलिस तमाम सीसीटीवी फुटेज और वीडियो के आधार पर उपद्रवियों की शिनाख्त में जुटी है।
100 से ज्यादा लोगों की पहचान, जल्द होगी गिरफ्तारी : संभल के मौजूदा हालात पर एसपी कृष्ण कुमार ने कहा है कि रविवार को हुई हिंसा के बाद इंटरनेट बंद करने का फैसला हुआ था जो अब भी जारी है। इसके अलावा स्थिति सामान्य है और बाकी सभी चीजें बहाल कर दी गई हैं। एसपी ने बताया है कि पुलिस ने घटना में शामिल लोगों के सीसीटीवी फुटेज खंगाले हैं।
100 से ज्यादा लोगों की पहचान कर ली गई है और वे जल्द ही पुलिस की गिरफ्त में होंगे। एसपी ने ये भी बताया कि संभल के सांसद जिया-उर-रहमान बर्क को 23 नवंबर को बीएनएस की धारा 168 के तहत नोटिस जारी किया गया है।
पुलिस ने सरकार को सौंपी रिपोर्ट : संभल पुलिस और जिला प्रशासन ने योगी सरकार को संभल में हुई हिंसा के मामले में एक रिपोर्ट सौंपी है। रिपोर्ट में संभल पुलिस और जिला प्रशासन सरकार को पूरी डिटेल के साथ यह बताया है कि सर्वे की टीम कब आई और उसके बाद हिंसा कहां से और किस समय शुरू हुई।
संभल पुलिस और जिला प्रशासन की रिपोर्ट में इस बात का भी जिक्र है कि हिंसा के समय कितने लोगों की भीड़ मौके पर मौजूद थी और पत्थरबाजी के साथ हिंसा कैसे शुरू हुई। इसके अलावा जिला पुलिस और प्रशासन ने यूपी सरकार को रिपोर्ट में हिंसक भीड़ पर पुलिस एक्शन के बारे में भी बताया है।
इतना ही नहीं सम्भल पुलिस और प्रशासन ने राज्य सरकार को आगे की कार्रवाई, पुलिस जांच और पुलिस के एक्शन की रूपरेखा के बारे में जानकारी दी है। यूपी सरकार को भेजी गई इस रिपोर्ट पर संभल के डीएम डॉ.राजेंद्र सिंह पेंसिया और एसपी कृष्ण बिश्नोई के हस्ताक्षर हैं।
हिंसा में चार लोगों की हुई थी मौत : 24 नवंबर को कोर्ट के आदेश के बाद जामा मस्जिद का सर्वे करने पहुंची टीम के खिलाफ भीड़ ने जमकर पत्थरबाजी और फायरिंग की थी। इसमें चार लोगों की मौत हुई थी।
विपक्षी दलों का आरोप है कि पुलिस की गोली से सभी की मौत हुई, पर पुलिस का कहना है कि उसकी तरफ से गोली नहीं चलाई गई।