अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा: आइए पढ़ें इन 76 पन्नों को - अतुल तारे

आइए पढ़ें इन 76 पन्नों को - अतुल तारे
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क्या आप जानते हैं -

- तेलंगाना में एक शहर है, इंदूरनगर। यहां घुमन्तू एवं वनवासी समाज है। जीवन-यापन को लेकर समाज की अपनी परेशानियां हैं। विधर्मी शक्तियां इसका लाभ लेकर भोले-भाले समाज को इसाई बना रही हैं। संघ यहां पहुंचा। आज यहां विकास की सुबह है। घर-घर में हनुमान चालीसा का पाठ हो रहा है।

- मध्यप्रदेश के अलीराजपुर जिले के कट्ठीवाड़ा खंड के आमखुर गांव में आज विश्वास एवं आस्था का संचार हुआ है। कारण संघ के सेवाकार्य।

मध्यप्रदेश के ही छतरपुर में सामाजिक समरसता का एक अध्याय लिखा जा रहा है। इस जिले में 1936 गांव हैं। आज इनमें से 1913 गांवों में एक ही श्मशान में सभी का अंतिम संस्कार हो रहा है।

- बृज क्षेत्र के ग्राम बरसाना में 40 स्वयंसेवकों ने समाज की सज्जन शक्तियों को लेकर परिक्रमा मार्ग चार फीट चौड़ा कर दिया है।

- छत्तीसगढ़ के बिलासपुर के केन्द्रीय कारागृह में एक नूतन प्रयोग चल रहा है। हरित जल अभियान ने न सिर्फ पर्यावरण को बचाया है, बल्कि प्रतिदिन एक लाख ग्यारह हजार लीटर पानी की बचत हो रही है।

- यह सिर्फ चंद उदाहरण हैं। राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ देशभर में 89706 नियमित सेवा प्रकल्प संचालित कर रहा है। इनमें शिक्षा के 40920, स्वास्थ्य के 17461, स्वावलंबन के 10779 एवं सामाजिक सरोकारों के 20546 प्रकल्प हैं।

- देश भर के 1482 प्रतिनिधि कर्नाटक के बेंगलुरु शहर में वार्षिक प्रतिनिधि सभा के लिए एकत्र हुए हैं। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ सरकार से अनुदान नहीं लेता। समाज के सहयोग से संचालित संघ साधना के 100 वर्ष पूर्ण हो रहे हैं। कोई कानूनी बाध्यता नहीं है उसे। पर वह वर्ष भर में सरसंघचालक, सरकार्यवाह कहां-कहां गए, किस-किससे मिले और क्यों मिले, यह वृत्त सार्वजनिक करता है। यह नवाचार है, यह उत्तर है, उन आंख के अंधों को जिन्हें संघ की कार्य पद्धति गोपनीय दिखाई देती है। तरस आता है उनके मानसिक दिवालियापन पर जब वे संघ को कट्टर एवं संकुचित कहते हैं। जो ये नहीं देख पाते कि संघ बैठक की कालअवधि से पूर्व समाज जीवन में सक्रिय उन विशिष्ट व्यक्तियों को भी श्रद्धांजलि देता है, जो उसके विचार से असहमत ही नहीं, उन्हें कोसा भी करते हैं।

- विश्व के पहले और ज्ञात इतिहास का यह पहला संगठन है, जो अपने आप में अनूठा है, सर संघचालक डॉ. मोहन भागवत ठीक कहते हैं, संघ को समझना है तो शाखा में आइये। किनारे पर खड़े होकर धारणा न बनाएं। नहीं पसंद आए तो वापस चले जाइये, पर पहले समझिये।

- देश के पत्रकारों से, समाज वैज्ञानिकों से, राजनेताओं से, बुद्धिजीवियों से, अपेक्षा है कि 76 पृष्ठ का प्रतिनिधि सभा में रखा गया वृत्त बिना किसी पूर्वाग्रह के, दुराग्रह के और बिना मोहित या प्रभावित हुए, शोध की दृष्टि से पढ़ें। एक संगठन, समाज जीवन को प्रभावित करने वाले उन संगठनों के प्रमुख प्रतिनिधियों एवं संघ के विशिष्ट स्तर के दायित्ववान कार्यकर्ताओं के साथ राष्ट्रीय स्तर पर वर्ष में दो बार, एक बार मार्च में, एक बार अक्टूबर में तीन दिन सामूहिक बैठता है। जिसे प्रतिनिधि सभा एवं कार्यकारी मंडल कहते हैं। समाज को अपना वृत्त देता है। समाज के समक्ष उपस्थित चुनौतियों को लेकर प्रस्ताव बनाता है, उस पर गहन विमर्श करता है और फिर पारित करता है। संघ की प्रतिनिधि सभा में या कार्यकारी मंडल में पारित प्रस्ताव कोई बौद्धिक जुगाली नहीं होते। वह समाज को दृष्टि प्रदान करते हैं।

आज विश्व का यह नूतन संगठन 100 वर्ष पूर्ण कर रहा है। अच्छा होता, देश की, समाज की बौद्धिक चेतना जाग्रत करने वाली शक्तियां, संघ की बैठक पर एक अकादमिक दृष्टि रखतीं। पर दुर्भाग्‍य है कि समाज को विशुद्ध भारतीय संदर्भों और संस्‍कारों में गढ़ने वाले इस संगठन को राजनीतिक चश्‍मे से देखने और एक अर्थहीन झूठा विमर्श गढ़ने का असफल प्रयास अब भी जारी है।

पुनश्च- प्रतिनिधि सभा को सिर्फ भाजपा के भविष्य से जोड़ने वाले अतिबुद्धिजीवियों से विनम्र प्रश्न- वह बताएं कि शेष 33 संगठनों के नाम क्या हैं?




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