वर्ल्ड हैपिनेस डे : भागती-दौड़ती दुनिया में क्या है खुशहाली का पैमाना

वर्ल्ड हैपिनेस डे : भागती-दौड़ती दुनिया में क्या है खुशहाली का पैमाना
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डॉ. विनोद यादव (शिक्षाविद् एवं इतिहासकार)

गौरतलब है कि हर साल सयुंक्त राष्ट्र (यूएनओ) की ओर से जारी की जाने वाली 'वर्ल्ड हैपिनेस इंडेक्स' रिपोर्ट में भी अमीरी और भौतिक सुविधाओं का आकलन खुशी के रेफरेंस में नहीं किया जाता। यूएन की हाल में ही जारी हैपिनेस इंडेक्स रिपोर्ट में, दुनिया के 146 देशों को शामिल किया गया है। लगातार छठी बार उत्तरी यूरोप के देश फिनलैंड को विश्व का सबसे खुशहाल देश चुना गया। हमारा देश इस लिस्ट में 100वें नंबर से भी नीचे रहा। साइकॉलोजिस्ट कहते हैं कि हमारे देश में लोग आपसी बर्ताव में पारदर्शिता के बजाय बौद्धिक चतुराई का इस्तेमाल ज्यादा करते हैं, नतीजा यह होता है कि आंतरिक खुशी के अहसास से वंचित रह जाते हैं। इसके उलट फिनलैंड के निवासी आपसी व्यवहार में ईमानदारी बरतते हैं। फिनलैंड के लोगों की खुशी शांति, संतोष और सोशल सिक्योरिटी पर आधारित है। यहां के लोगों का क्षमाशीलता में अटूट विश्वास है। असलियत में क्षमाशीलता ऐसा सद्गुण है, जिसके व्यवहारिक प्रयोग से दिल में दीर्घकालिक खुशी का अहसास होता है। हरेक व्यक्ति अपने जीवन में खुशी चाहता है, मनुष्य जीवन का मकसद ही खुश रहना है। किंतु रोजमर्रा की भागदौड़ में हम अपने लिए एक घंटा भी नहीं निकाल पाते आखिरकार खुशी के अहसास से वंचित ही रह जाते हैं। दलाई लामा का कहना है कि मन की शांति और खुशी सिक्के के दो पहलू हैं, यानी एक दूसरे के पूरक हैं। उनका यह भी मानना है कि जब हम दूसरों की खुशी के लिए अपनी शर्तें बदल देते हैं तो हमारे मन में शांति और दिल में खुशी स्वाभाविक रूप से पैदा होती है।

सूचना तकनीक के क्षेत्र में 'ऐपल' का विशाल साम्राज्य तैयार करने वाले स्टीव जॉब्स ने आखिरी दिनों में कहा-'जिंदगीभर इस बेशुमार दौलत को कमाने के लिए मैंने कड़ी मेहनत की, व्यापार-जगत की नई बुलंदियों को छुआ, किंतु खुद को संतुष्ट करने के लिए यानी अपने लिए समय निकालना जरूरी नहीं समझा। आज मौत के इतना करीब पहुंचकर वे सारी कामयाबियां फीकी लग रही हैं। जिंदगी के आखिरी लम्हों में मैं लोगों को यही संदेश देना चाहता हूं कि जीवन को भरपूर आनंद से जीना चाहते हो तो हर पल खुद से प्यार करो और उन सामाजिक कार्यों में सदैव जुटे रहो जिनको करने से आपको आंतरिक खुशी मिले। हैपिनेस यानी खुशी का संबंध इससे नहीं है कि हमारे पास बहुत-से भौतिक संसाधन हैं, या अथाह दौलत है। बल्कि खुशी एक आंतरिक अवस्था है यानी हैपिनेस का सीधा संबंध दिल से है। विभिन्न परिस्थतियों में या तो हम अति-उत्साहित नजर आते हैं या फिर उदास हो जाते हैं। हैपिनेस की अनुभूति के लिए तमाम भावनात्मक परिस्थतियों के प्रति द्रष्टा भाव का बारंबार अभ्यास बेहद जरूरी है। इसके लिए 'माइंडफुलनेस' सर्वाधिक महत्वपूर्ण एवं कारगर एक्टिविटी है। माइंडफुलनेस कंप्लीट मेडिटेशन तो नहीं किंतु 'ध्यान' के करीब की एक सहज प्रक्रिया है। इसका संबंध किसी भी धर्म, संप्रदाय, जाति या वर्ग से नहीं है। यह मन-मस्तिष्क को बेचैन करने वाले असंख्य विचारों को शांत करने की प्रैक्टिस है।

जब किसी मन प्रफुल्लित होता है तो उसकी तरंगें मन के माध्यम से बाहर की ओर दिखने लगती हैं। असलियत में हैपिनेस एक भावनात्मक अवस्था है, जिसका स्रोत हर व्यक्ति के भीतर मौजूद है। आर्थिक समृद्धि की अपेक्षा व्यक्ति की हैपिनेस उसके भावनात्मक बदलाव पर अधिक निर्भर करती है। तमाम भौतिक संसाधन व ऐश्वर्य न होने के बावजूद भी यदि व्यक्ति के दिल में शांति है, अपनी दिनचर्या के प्रति रचनात्मक दृष्टिकोण है, पॉजिटिव सोच है तो उसकी जिंदगी खुशी से भरपूर है। विश्व में 'हैपिनेस डे' का आगाज सर्वप्रथम भूटान द्वारा किया गया। भूटान दुनिया का एकमात्र ऐसा देश है, जिसने जीडीपी के पीछे भागती-दौड़ती दुनिया को बतलाया कि खुशहाली का पैमाना 'सकल घरेलू उत्पाद' नहीं बल्कि 'सकल राष्ट्रीय खुशी' है। हैपिनेस को आत्मसात करने में भूटान के नागरिकों ने मिसाल कायम की है। भूटान के लोग यथार्थवादी और मिलनसार हैं, वे बड़ी कामयाबी हासिल करने की एवज में छोटी-छोटी खुशियों के पड़ावों को नजरअंदाज नहीं करते। भूटान के लोगों का विश्वास है कि जो दूसरों के प्रति सदैव करुणा और मंगल-मैत्री का भाव रखते हैं, उनका हृदय क्षोभ और विषाद से मुक्त रहता है। यहां के लोग आत्मीयता और प्रेम को सदैव वरीयता देते हैं। अतीत पर पश्चाताप और भविष्य का भय दोनों को छोड़कर वर्तमान का आनंद लेना ही भूटानवासियों के जीवन का मूलमंत्र है।

कोलंबिया यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर एवं वर्ल्ड हैपिनेस रिपोर्ट के सह-संपादक जॉन हैलीवेल का कहना है कि किसी भी देश के नागरिकों के पारस्परिक विश्वास, लिबरल सोच व हैल्पिंग नेचर का हैपिनेस से सीधा संबंध है। और फिनलैंड व भूटान के लोगों में ये तमाम गुण अन्य देशों की बनिस्पत ज्यादा मिलते हैं। फिनलैंड की यूनिवर्सिटी ऑफ हेलसिंकी के मनोवैज्ञानिकों भी इस बात से सहमत हैं कि हैपिनेस के लिए आपसी भरोसा, दूसरे के हितों को तरजीह देना और उदारता सबसे अहम है। दिलचस्प बात यह है कि फिनलैंड में आप्रवासी व अजनबी भी उतने ही भरोसेमंद हो जाते हैं, जितने कि यहां के मूल निवासी। दरअसल, खुशी एक भावदशा है, जिसका स्रोत हर व्यक्ति के भीतर है। हम खुश रहना इसलिए भूल गए हैं, क्योंकि हम अपनी खुशी को दूसरे पर निर्भर रखते हैं। मंसूरी-नैनीताल में घूमने, फाइवस्टार में डिनर करने, मर्सिडीज होने के बाद भी रात को सुकून भरी नींद नहीं आती। मन की बेचैनी को दूर करने के लिए शराब का सहारा लेना पड़ता है। किंतु धन-दौलत, शानौ-शौकत का तामझाम न होने के बावजूद भी यदि आपके पास शांति भरी आरामदायक नींद है, सुबह उठते ही उत्साह और उमंग भरी दिनचर्या है, विवेकशील व रचनात्मक नजरिया है, बेहतरीन सामाजिक संबंध है, पड़ोसियों का प्यार है तो आपसे खुशनुमा जीवन किसका हो सकता है।

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